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वनाग्नि से हजारों पौधे नष्ट, लाखों की वनसंपदा खाक

अल्मोड़ा में वैश्विक महासंकट कोरोना से जंग के बीच फायर सीजन में जंगलात बचाना चुनौतीपूर्ण हो गया है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 06 Apr 2020 06:55 PM (IST)Updated: Tue, 07 Apr 2020 06:20 AM (IST)
वनाग्नि से हजारों पौधे नष्ट, लाखों की वनसंपदा खाक
वनाग्नि से हजारों पौधे नष्ट, लाखों की वनसंपदा खाक

संवाद सहयोगी, अल्मोड़ा : वैश्विक महासंकट कोरोना से जंग के बीच फायर सीजन में जंगलात बचाने की चुनौती और ज्यादा बढ़ गई है। लंबी अवधि तक शरदकालीन वर्षा के कारण अब तक सुरक्षित पहाड़ में तेज धूप खिलने के बाद जोखिम बढ़ गया है। खरपतवार जला कर छोड़ दिए जाने से जैवविविधता से लबरेज स्याहीदेवी वन क्षेत्र से लगे सलना वन पंचायत का जंगलात धू धू कर जल उठा। महिलाओं ने करीब ढाई घंटे तक लपटों से लड़ने के बाद हालांकि आग पर काबू पा लिया। मगर सहायतित प्राकृतिक पुनरोत्पादन से उगे हजारों बहुपयोगी पौधों समेत लाखों की वन संपदा खाक हो गई।

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पारा चढ़ने के साथ ही कोरोना के बढ़ते संक्रमण के साथ वन क्षेत्रों के लिए जोखिम भी बढ़ गया है। सोमवार को सलना क्षेत्र में खरपतवार जलाना भारी पड़ गया। तेज हवा के झोंकों से लपटें बेकाबू हो गई। देखते ही देखते सलना वन पंचायत आग की चपेट में आ गया। स्याही देवी विकास समिति के पदाधिकारियों ने प्रधान दिनेश पाठक को सूचना दी। इस पर पूर्व प्रधान हेमा पाठक, दिनेश चंद्र पाठक, चेतन स्वरूप मेहरा आदि झापू (आग बुझाने के लिए टहनियों का झाड़ू) लेकर चारों तरफ से आग बुझाने में जुटे। हवा तेज होने के कारण लपटों ने लगभग आधा हेक्टेयर से अधिक क्षेत्रफल में सहायतित प्राकृतिक पुनरोत्पादन से उगे बहुपयोगी बांज, बुरांश, काफल, मेहल, फल्याट आदि के हजारों पौधे नष्ट हो गए। वन क्षेत्राधिकारी संचिता वर्मा ने कहा कि आग नाप भूमि पर लगी है। निगरानी बढ़ाई जा रही है। बहरहाल, तपिश बढ़ने के साथ ही फायर सीजन की चुनौति ने चिंता बढ़ा दी है।


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