..और बच्चों की राह देख पथरा गई आखें
जिले में तमाम ऐसे लोग हैं जिनके परिजन अन्य स्थानों पर फंसे हुए हैं और उनकी आंखें इंतजार में पथरा गई हैं।
संवाद सहयोगी, रानीखेत : कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव को लॉक डाउन के आदेश के बाद जहा दूसरे राज्यों व महानगरों में पहाड़ के बाशिदे फंसे हुए हैं, वहीं गाव में बुजुर्ग मा-बाप की आखें उनकी राह देखते-देखते पथरा गई हैं। सब कुछ बंद हो जाने के बाद बच्चों को कहीं खाने के लाले ना पड़ जाए यही सोच सोच कर बूढ़े मा-बाप का कलेजा फट रहा है। लाचार मा-बाप बस भगवान से अपनों की कुशलता की दुआ माग सरकार से बच्चों को सकुशल घर पहुंचाने की गुहार लगाई है।
दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु के साथ ही उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश आदि राज्यों में रोजगार की तलाश में गए रानीखेत खैरना स्टेट हाईवे से सटे ताड़ीखेत ब्लॉक के टूनाकोट गाव के कई युवा अभी भी वहीं फंसे हुए हैं। गाव में बूढ़े मा बाप उनकी राह देख रहे हैं। स्थानीय भीम सिंह के दो बेटे नीरज व विजय, आनंदी देवी का बेटा सुरेश, जयमल सिंह का बेटा पूरन व त्रिलोक अभी भी दिल्ली में है। ग्रामीणों का कहना है कि उनके बच्चे निजी कंपनियों में नौकरी करते हैं। अब नौकरी भी चली गई है ऐसे में वह सुबह शाम का खाना कैसे मिल रहा होगा बस यही चिंता सताए जा रही है। परेशान परिजनों ने सरकार से बच्चों को वापस गाव तक लाने की व्यवस्था किए जाने की गुहार लगाई है। आसपास के भुजान, मंडलकोट, तिपोला व बेतालघाट ब्लाक के सीम, सिल्टोना, हल्सों, सिमलखा, धनियाकोट आदि तमाम गावों के युवा भी महानगरों में है।