अब जीआइएस तकनीक से टालेंगे वन्यजीव मानव संघर्ष
संवाद सहयोगी, अल्मोड़ा : वन विभाग अब हाईटेक हो गया है। अत्याधुनिक भौगोलिक सूचना विज्ञान (जीआइएस) तकनी
संवाद सहयोगी, अल्मोड़ा : वन विभाग अब हाईटेक हो गया है। अत्याधुनिक भौगोलिक सूचना विज्ञान (जीआइएस) तकनीक से लैस होने के बाद वन्यजीव एवं मानव टकराव रोकने को जीआइएस आधारित अध्ययन शुरू कर दिया गया है। पहले चरण में अल्मोड़ा डिवीजन का पिछले आठ वर्षो का डेटाबेस तैयार कर लिया गया है। इसी की मदद से उन अतिसंवेदनशील क्षेत्रों में मैन पॉवर बढ़ा मानव संसाधन जुटाने की कवायद तेज कर दी गई है।
जी-गवर्नेस में कदम रख चुका वन विभाग हाइटेक तौर तरीके अपना हिमालयी राज्य की सबसे बड़ी चुनौती वन्य जीव मानव संघर्ष की रोकथाम पर मंथन में जुट गया है। इधर अल्मोड़ा डिवीजन में बाकायदा काम शुरू हो गया है। डीएफओ कुंदन कुमार के मुताबिक जीआइएस आधारित नक्शा तैयार कर जिले के गुलदार प्रभावित अतिसंवेदनशील क्षेत्र चिह्नित कर लिए गए हैं।
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डेंजर गांवों का होगा अध्ययन
डिवीजन के डेंजर क्षेत्र हवालबाग, शीतलाखेत, चितई रेंज, धामस, कबड़खान, बाड़ेछीना घोषित किए गए हैं। इन इलाकों में प्रयोग के तौर पर गश्ती दल मुस्तैद किए जाएंगे। साथ ही वनाधिकारी संबंधित क्षेत्र का अध्ययन भी करेंगे ताकि टकराव के असल कारणों का पता लगा संघर्ष टालने की दिशा में कदम उठाए जा सकें।
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गुलदार के शिकार पर तीन लाख का मरहम
= राज्य स्थापना दिवस पर पशु व मानव क्षति पर 1.29 करोड़ का मुआवजा
अल्मोड़ा: राज्य स्थापना दिवस पर गुलदार के शिकार बने ग्रामीणों व पशु क्षति से कराह रहे लोगों को 1.29 करोड़ रुपये की मुआवजा राशि मिली है। वन चेतना केंद्र में शनिवार को गोष्ठी हुई। शुभारंभ विधायक रघुनाथ सिंह चौहान ने किया। उन्होंने मानव एवं वन्यजीव टकराव टालने को वनाग्नि नियंत्रण पर खास जोर दिया। कहा कि जंगल व वन्य जीवों से प्रेम करेंगे तो मानव जीवन भी बचा रहेगा। पर्यावरण भी सुरक्षित रहेगा। इस दौरान डीएफओ कुंदन कुमार की पहल पर वन्यजीव हमले में मारे गए ग्रामीणों के परिजनों को तीन लाख रुपये की मुआवजा राशि के ड्राफ्ट बांटे गए। वहीं घायल व पशु क्षति समेत 1.29 लाख रुपये का मुआवजा बांटा गया। ग्रीन मिशन इंडिया के तहत रामगंगा कैचमेंट एरिया पर बसे द्वाराहाट, सोमेश्वर व जौरासी रेंज में 334 सोलर लर्टेन भी बांटे गए। इस मौके पर सीसीएफ कुमाऊं प्रवीण कुमार, आइएफएस अभिलाषा सिंह, डीएफओ सिविल सोयम केएस रावत, पूर्व डीएफओ जेएस मेहता, वरिष्ठ वैज्ञानिक सतीश आर्या, आरओ संचिता वर्मा, उमेश पाडे रानीखेत, मोहनराम आर्या जैरासी, बिशन आर्या सोमेश्वर, नवीन टम्टा द्वाराहाट, प्रशिक्षु वन क्षेत्राधिकारी अमोल इष्टवाल आदि मौजूद रहे।