कोसी घाटी में जीवंत हुई देवभूमि की गौरवशाली परंपरा
संवाद सहयोगी रानीखेत कोसी घाटी में देवभूमि की सांस्कृतिक विरासत व गौरवशाली परंपरा जीवं
संवाद सहयोगी, रानीखेत : कोसी घाटी में देवभूमि की सांस्कृतिक विरासत व गौरवशाली परंपरा जीवंत हो उठी। कत्यूरकालीन सभ्यता के गवाह पौराणिक सोमनाथ कौतिक (मेले) में कंडारखुआ पट्टी के 48 गावों के ग्रामीणों ने सदियों पुरानी अनूठी परंपरा के तहत देवाधिदेव शिव को एक-एक नाली फसल अर्पित करने की रस्म निभाई। लोक कलाकारों ने उत्तराखंडी संस्कृति में रचेबसे गीतों से सुरम्य पर्वतीय वादियों की सैर कराई। विभिन्न गांवों से पहुंची महिला टोलियों के झोड़ा गीतों पर थिरकना खास आकर्षण रहा।
काकड़ीघाट स्थित कर्कोटेश्वर महादेव मंदिर में वैशाख के अंतिम सोमवार को ऐतिहासिक सोमनाथ मेले ने अमिट छाप छोड़ी। परंपरा के अनुसार नौगाव की अगुवाई में कंडारकुआ पट्टी के 48 गावों के प्रतिनिधि मेला स्थल पर पहुंचे। पंडिताचार्य ने इन ग्रामों से भेंट में मिली एक-एक नाली अनाज महोदव को अर्पित किया। दोपहर बाद पारंपरिक झोड़ा गीतों के जरिये भूमिदेव व अन्य लोकदेवी देवताओं की स्तुति के साथ ही महादेव की महिमा का बखान मंत्रमुग्ध कर गया।
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मां शारदे लोककला समिति के दीपक जोशी, लोकगायक फौजी गिरीश भट्ट, नवीन पाठक, मेघना चंद्रा, कविता पंत, निजता अंचला, फौजी इंद्र धामी, लक्ष्मण रावत आदि ने फन का जादू बिखेरा। इस दौरान 'हिट दगणी कमला, अल्मोड़ में म्यौरो बंगला..' समेत कई गीतों पर लोग खूब झूमे। संचालन स्वामी विवेकानंद समिति अध्यक्ष हरीश सिंह परिहार व सचिव विशन कनवाल ने संयुक्त रूप से किया।
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यह रहे मौजूद
विधायक राज्य मंत्री रेखा आर्या, संस्कृति कर्मी विमला रावत, पूर्व प्रमुख धन सिंह रावत, जानकी ढौढियाल, रमेश कांडपाल, सुरेंद्र कनवाल, गोकुल बिष्ट, दीवान सिंह फत्र्याल, हरीश नेगी, गणेश सिंह फत्र्याल, तारा सिंह परिहार, हिम्मत सिंह, धरम सिंह, सुरेंद्र बेलवाल, नारायण सिंह बिष्ट, विशन सिंह जंतवाल, वीरेंद्र बिष्ट, पूरन सिंह व हरीश वर्मा आदि।
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