Move to Jagran APP

इर पानी की त्राहि त्राहि, उधर अनमोल जल की बर्बादी

संवाद सहयोगी रानीखेत बेशक अबकी रुक रुक कर हुई बारिश ने काफी हद तक सुकून दिया। खा

By JagranEdited By: Published: Mon, 06 May 2019 11:25 PM (IST)Updated: Mon, 06 May 2019 11:25 PM (IST)
इर पानी की त्राहि त्राहि, उधर अनमोल जल की बर्बादी
इर पानी की त्राहि त्राहि, उधर अनमोल जल की बर्बादी

संवाद सहयोगी, रानीखेत

loksabha election banner

'बेशक अबकी रुक रुक कर हुई बारिश ने काफी हद तक सुकून दिया। खासतौर पर वर्षा की फुहार से जंगल भी बचे रहे। तो प्राकृतिक जलस्त्रोतों को संजीवनी मिलती रही। मगर पारा चढ़ते ही दुश्वारिया बढ़ने लगी है। जलस्त्रोतों का प्रवाह कम और नदियों का जलस्तर घटने से पहाड़ पर पानी की माग व आपूर्ति का समीकरण बिगड़ने लगा है। इससे पेयजल संकट गहराने लगा है। अल्मोड़ा जनपद में 12 गाव संकटग्रस्त घोषित हैं। इसके उलट भावी जलसंकट की चुनौतियों से सबक ले बूंद बूंद बचाकर चलने के बजाय हम पानी की बर्बादी बाज नहीं आ रहे। आलम यह है कि कहीं हलक तर करने को लोग तरस रहे, वहीं तमाम इलाकों में अनमोल जल की खूब बेकद्री हो रही'

--------------

सिर या गाड़ियों से पानी ढोकर प्यास बुझाने की जुगत

पर्वतीय अंचल में ग्रामीण बूंद बूंद को तरसने लगे हैं। हालात ये हैं कि सुबह से शाम तक लोग कोसों दूर प्राकृतिक स्त्रोतों से सिर कंधों या फिर वाहनों से पानी ढो कर प्यास बुझाने की जुगत में लगे हैं। सहालग के सीजन में तो मुश्किल दूनी हो गई है। रानीखेत खैरना स्टेट हाईवे पर रानीखेत से कोसी घाटी तक स्थिति ज्यादा खराब है।

==================

दिनभर डेढ़ किमी की दौड़

स्टेट हाईवे पर बजोल व बमस्यूं गाव में संकट ज्यादा है। लोग करीब डेढ़ किमी दूर दनगाढ़ के स्त्रोत से पानी ढो रहे हैं। स्थानीय देवेंद्र सिंह मेहरा के अनुसार करीब 650 की आबादी बेहाल है।

=================

बजीना डौरब में हैंडपंपों का सहारा

बजीना व डौरब में भी पेयजल संकट से लोग परेशान है। घरों में नलों से बूंद तक नहीं टपक रही। किनारे लगे हैंडपंप ही सहारा बने हुए हैं। मगर कब तक पानी खींचेंगी गारंटी नहीं। काम धंधा छोड़ लोग सुबह से शाम तक पानी ढोते देखे जा सकते हैं।

==================

वाहन से पानी ढोना बनी मजबूरी

उपराड़ी व पिलखोली क्षेत्र में तो पानी के लिए हाहाकार मचा हुआ है। लोग वाहनों में पानी के बर्तन ढोकर जैसे तैसे जुगाड़ कर रहे। पिलखोली निवासी गोधन सिंह फत्र्याल के अनुसार सप्ताह में महज एक दिन पानी मिलता है। जिसमें दो लीटर से अधिक नहीं आता। ऐसे में वाहनों से पानी ढोना मजबूरी बन चुका है। देवेंद्र पंत, लता पंत, भगवती देवी, उषा फत्र्याल, रमेश राम के अनुसार सुबह से शाम तक पानी ही दिनचर्या बन चुकी है।

===================

'पानी की समस्या को देखते हुए जल्द टैंकरों से पेयजल आपूर्ति की जाएगी। साथ ही कुछ निजी वाहनों को भी अनुबंधित किया जा रहा है। माग के अनुरूप लोगों को पानी उपलब्ध कराया जाएगा। लोगों को समुचित पेयजल मिले इसके लिए बर्बादी करने वाले तथा लिकेज रोकने को ठोस कदम उठाए जाएंगे।

-केएस खाती, एसई जल संस्थान अल्मोड़ा'

===================

आकड़ों में उपभोक्ता व स्टैंडपोस्ट

-अल्मोड़ा : 13169

-रानीखेत : 8538

-सल्ट : 885

==========

स्टेंडपोस्ट

= अल्मोड़ा : 30505

= रानीखेत : 30912

= सल्ट : 13111

==========

हैड़पंप

= अल्मोड़ा : 534

= रानीखेत : 605

= सल्ट : 121

(छह खराब है।)

प्रभावित क्षेत्रों में दौड़ाए जा रहे 09 टैंकर।

===========

ये हैं जिले के संकटग्रस्त क्षेत्र

= वर्तमान में चितई, डीनापानी, कसारदेवी, चीनाखान (अल्मोड़ा)

= पिलखोली, धर्मगाव, डौरा, ताड़ीखेत, चिलियानौला, डढोली (रानीखेत) समेत 12 गाव

=========================

अपनों से जूझ रही जीवनदायिनी कोसी व शिप्रा

जहा एक और पेयजल लाइनों में लीकेज बढ़ रही है तो वहीं प्यास बुझाने वाली जीवनदायिनी कोसी को लगातार प्रदूषित किया जा रहा है। मुर्गे ढोने वाले वाहन, डंपर व अन्य यात्री आदि वाहनों की कोसी नदी में धुलाई से नदी लगातार प्रदूषित होती जा रही है। कोसी नदी के अस्तित्व को बचाने को केंद्र व राज्य सरकार करोड़ों रुपया खर्च कर रही है, मगर कोसी अब अपनों से ही जूझ रही है। हाईवे पर नावली के समीप वाहन चालकों ने कोसी नदी पर गाड़ी धोने का स्थान बना लिया है। आए दिन वाहन चालक नदी में गाड़ी की धुलाई कर रहे है। कोसी जैसा हाल ही उत्तरवाहिनी शिप्रा नदी का भी हो चुका है। लोग जगह-जगह धड़ल्ले से नदी क्षेत्र में गंदगी डाल रहे हैं।

लोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.