18 बरस बीते पहाड़ ने चढ़ सकी उद्योग नीति
संवाद सहयोगी, रानीखेत : पर्वतीय औद्योगिक नीति पहाड़ में हांफ रही है। बेरोजगारी व पलायन क
संवाद सहयोगी, रानीखेत : पर्वतीय औद्योगिक नीति पहाड़ में हांफ रही है। बेरोजगारी व पलायन की पीड़ा पर मरहम को बेशक 60 व 70 के दशक से जो आस्थान व इंडस्ट्रीयल एस्टेट अस्तित्व में आए भी, वे पहाड़ी जिलों की तस्वीर तो नहीं बदल सके उल्टा सरकारों की बेरुखी से उजाड़ जरूर बन गए। नतीजतन ढांचागत सुविधाएं न मिलने से बड़े उद्यमी कारखाने लगाने से कतरा रहे, वहीं तमाम इकाइयां ठप हो चुकी हैं। ऐसे में कृषि व स्वरोजगार आधारित उद्योगों संशय की धुंध छा गई है।
दरअसल, तत्कालीन यूपी सरकार ने 1960 में कुमाऊं-गढ़वाल के पर्वतीय जिलों की खुशहाली को विशेष औद्योगिक नीति बनाई। मकसद था पहाड़ के वाशिंदों को घर पर ही रोजगार व पलायन रोकना। अल्मोड़ा जनपद को तब विशेष तवज्जो भी मिली। 1962-64 में पातालदेवी औद्योगिक आस्थान की नीव पड़ी। 1985-86 में यह क्षेत्र विकसित हुआ। इसी कड़ी में द्वाराहाट, स्यालीधार, चिलियानौला, भिकियासैंण, ताड़ीखेत व बाद में दन्यां को औद्योगिक नक्शे में लाने की कवायद चली। उत्तराखंड गठन के बाद उम्मीदों के उलट उद्योग नीति का पहाड़ चढ़ते ही दम फूल गया।
मौजूदा हालात इतने बद्तर हैं कि अफसर-राजशाही की उपेक्षा से तमाम औद्योगिक क्षेत्रों में अवस्थापना कार्य ठप पड़े हैं। नतीजतन 60 के दशक से अब तक जनपद में लगभग 3037 छोटी-मध्यम इकाइयां लगीं। इनमें से 1000 से ज्यादा कारखाने बंद हो चुके हैं। हालांकि नीति की दुर्गत के लिए जिला उद्योग महकमा ढांचागत सुविधाएं मुहैया कराने का जिम्मा संभाले सिडकुल को जिम्मेदार ठहरा रहा है, मगर पहाड़ की उपेक्षा पलायन व बेरोजगारी की पीड़ा पर भारी पड़ रही है।
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पातालदेवी औद्योगिक आस्थान
-1962-64 में 4.27 एकड़ में विकसित, 16 कारखाने लगे, 5 बंद, एक प्रगति पर
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स्यालीधार इंडस्ट्रीयल एरिया
-1985-86 में विकसित, 17.34 एकड़ में एक भी उद्योग नहीं
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द्वाराहाट मिनी एस्टेट
क्षेत्रफल 2.79 एकड़ 1988 में कब्जा, 1993 में विकसित, 55 प्लॉटों में से 52 आवंटित, 21 निरस्त, 4 उद्योग लगे, 5 के भवन तैयार, 4 प्रगति पर
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चिलियानौला इंडस्ट्रीयल एस्टेट
1989 में 2.118 एकड़ पर पजेशन, 1995 में अस्तित्व में आया, 1 इकाई स्थापित
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भिकियासैंण एस्टेट
1990 में 2.35 एकड़ पर कब्जा, 1995 में विकसित, अवस्थापना कार्य सिफर
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दन्यां मिनी इंडस्ट्रीयल एरिया
1990 में 0.80 एकड़ पर कब्जा, 1995 में विकसित, 1 इकाई लगी है
(आंकड़ों से साफ है पर्वतीय उद्योग नीति धरातल पर नहीं उतरी )
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' बाहर के उद्यमियों को पर्वतीय क्षेत्रों में जमीन खरीदने के पर विशेष छूट का प्रावधान है। साथ ही भूमि का व्यवसायिक आदि कराने में भी छूट दी जा रही है। वहीं जिन स्थानों पर पूर्व में दिए गए इंडस्ट्रीयल एरिया बंजर पड़ गए हैं प्राथमिकता पर पहले उन्हें ही उद्यमियों को दिया जाएगा। - मयूर दीक्षित, अल्मोड़ा'