ओपन माइक में युवाओं ने स्वरचित कविता, हास्य व्यंग और कहानियों से व्यक्ति की अभिव्यक्ति
ओपन माइक में युवाओं ने स्वरचित कविता हास्य व्यंग और कहानियां बता कर लोगों का मनोरंजन किया और साथ ही संदेश दिया।
वाराणसी, जेएनएन। यहां मंदिर और मस्जिद में इन्सानियत परेशां है,मगर वहशत है कि दिल में यहाँ बेखाैफ पलती है। ये पंक्तियां 'इश्क।' के बैनर तले भेलूपुर में आयोजित 'ओपन माइक ' में 'विनय सिद्धार्थ' ने जब प्रस्तुत किया, लोग तालियाँ बजाने पर मजबूर हो गये। इसके साथ ही आयुषी तिवारी ने अपनी रचना ''क्या है एक नारी की नज़र में आदमी, आज सबको ये बताना है लाज़मी''। अस्तित्व कुमुद ने ''धूप में छांव बनकर साथ थी, शहर में गांव बनकर साथ थी, कौन कहता है मां हर जगह नहीं होती, मां हर पल लगाव बनकर साथ थी। कविता को प्रस्तुत कर दर्शकों को भावुक कर दिया।
इस कार्यक्रम में बनारस तथा दूसरे शहर से भी आए अनेक युवाओं ने स्वरचित कविता, हास्य व्यंग और कहानियां बता कर लोगों का मनोरंजन किया और साथ ही संदेश दिया कि यदि युवाओं को मंच प्रदान किया जाए तो वो बहुत कुछ करने की क्षमता रखते है। मंजीत सिंह ने अपने जोक्स से सबको लोट-पोट कर दिया। कार्यक्रम में आयुषी तिवारी, अंश प्रताप, अनन्या श्री, अंकिता कुण्डलु, कुमार केतन, आजाद सिंह, मो. आकीब अनीश, शिव द्विवेदी, साक्षी गोपाल, साक्षी चारु, लायबा नूर, जय यादव दिव्य वर्मा, प्रतीक, आकाश कुमार समेत अन्य ने कार्यक्रम में प्रस्तुती दी तथा वाह -वाही लूटी । इस अवसर पर स्वाती त्रिपाठी, विक्रम, दिव्या, तुलसी ,तन्मय, रमन सहीत अन्य लोग मौजूद थें। कार्यक्रम का आयोजन 'सोच' एवं उनकी टीम ने किया तथा कार्यक्रम का संचालन अमीशा तिवारी ने किया।