विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस 2020 : स्वस्थ जीवन शैली अपनाएं, मानसिक तनाव दूर भगाएं
विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस प्रतिवर्ष दस अक्टूबर को मनाया जाता है। कोरोना संक्रमण काल में मानसिक विकारों के मामलों में काफी बढोतरी आई है लिहाजा कई मामलों को देखते हुए प्रशासन इस बार लोगों के मानसिक स्वास्थ्य को लेकर सक्रिय है।
वाराणसी, जेएनएन। विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस प्रतिवर्ष दस अक्टूबर को मनाया जाता है। कोरोना संक्रमण काल में मानसिक विकारों के मामलों में काफी बढोतरी आई है, लिहाजा कई मामलों को देखते हुए प्रशासन इस बार लोगों के मानसिक स्वास्थ्य को लेकर सक्रिय है। इस दिवस को लेकर जिलाधिकारी एवं जिला स्वास्थ्य समिति के अध्यक्ष कौशल राज शर्मा ने स्वास्थ्य विभाग को निर्देशित किया है कि विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस (10 अक्टूबर) पर सभी राजकीय चिकित्सालयों, मानसिक स्वास्थ्य चिकित्सालय, सभी सामुदायिक एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर ओपीडी में मानसिक स्वास्थ्य संबंधी नि:शुल्क जांच की जाए और चिकित्सीय परामर्श प्रदान किया जाए। इस अवसर पर चिकित्सकों एवं विशेषज्ञों द्वारा जन समुदाय को मोबाइल की लत, डिप्रेशन, मादक पदार्थों के सेवन आदि से मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ने वाले बुरे प्रभाव आदि के बारे में बताया जाए और लोगों को मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरुक किया जाए। जिलाधिकारी ने कहा कि इस वर्ष की निर्धारित थीम ‘दयालुता’ के आधार पर जनसमुदाय प्रतिदिन योग तथा सकारात्मक सोच बनाये रखने का प्रयास करे तथा सभी के प्रति नम्र व्यवहार रखें और दयालु रहें।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. वीबी सिंह ने बताया कि प्रत्येक वर्ष 10 अक्टूबर को मनाए जाने वाले विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस के अवसर पर चोलापुर प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र पर मानसिक स्वास्थ्य शिविर लगाया जायेगा जिसमें चिंता, अवसाद और अन्य मानसिक स्वास्थ्य संबंधी बीमारियों के मरीजों की निःशुल्क जांच करते हुये उन्हें चिकित्सीय परामर्श दिया जाएगा। इसके साथ ही राजकीय चिकित्सालयों, समस्त प्राथमिक एवं सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर जनजागरूकता की गतिविधियां की जायेंगी। मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने कहा कि आधुनिक जीवन शैली में खासकर युवाओं में मोबाइल और इंटरनेट में बहुत अधिक समय बिताना और उसकी लत लग जाना, मादक पदार्थों का सेवन करने आदि से उनके मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है। परिस्थिति ऐसी बन जाती है कि किसी बीमारी से ग्रसित अधिक परेशान होकर, किसी भी कार्य में अच्छे परिणाम न आने पर, परीक्षा के समय पढ़ाई का बहुत अधिक दबाव, परीक्षा में अच्छे अंक न आने पर युवाओं का मानसिक स्वास्थ्य असंतुलित हो जाता है जिसको दूर करना बेहद आवश्यक है। उन्होने सभी अभिभावकों से अपील की है कि अपने बच्चों को मोबाइल की लत से दूर रखें, घरेलू कामों में शामिल करें, किताबें, साहित्य आदि पढ़ने और इंडोर-आउटडोर खेलों के लिए प्रोत्साहित करें।
गैर संचारी रोग (एनसीडी) कार्यक्रम के नोडल अधिकारी एवं एसीएमओ डा. पीपी गुप्ता ने बताया कि लोगों में इस बात की जागरूकता बढ़ी है कि जो लोग सिर्फ पागलपन को ही मानसिक रोग समझ रहे थे। उनमें यह समझ बनी है कि मानसिक रोग सिर्फ पागलपन नहीं है बल्कि मिर्गी के दौरे पड़ना, नींद न आना या देर से नींद आना, चिंता, घबराहट, उलझन, उल्टा सीधा बोलना, किसी प्रकार का नशा करना आदि भी इसी श्रेणी में आते हैं | इन सभी लक्षणों के लिए आज जनमानस को जागरूक करने की जरूरत है। सकारात्मक सोच रखने से इन परेशानियों से बचा जा सकता है।
राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के प्रभारी एवं मनोचिकित्सक डा. रवीन्द्र कुशवाहा ने बताया कि दुनियाभर में मोबाइल और इंटरनेट यूजर की तुलना में भारत में बहुत अधिक मोबाइल यूजर हैं और जिनकी संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है जिससे मोबाइल की लत के साथ ही साथ मानसिक स्वास्थ्य पर भी बुरा असर बढ़ता जा रहा है। उन्होंने बताया कि यदि किसी भी व्यक्ति में गहन चिंतन, अवसाद, नींद न आना, घबराहट आदि के लक्षण दिखाई देते हैं तो वह एसएसपीजी मंडलीय चिकित्सालय कबीरचौरा के कमरा नंबर 10 में संपर्क कर सकता है, जहां प्रत्येक सोमवार, बुधवार और शुक्रवार ओपीडी में मरीज की निःशुल्क जांच, परामर्श एवं इलाज किया जाता है।