इत्तेहाद अब्नाए सलफिया के जलसे में बोले शारजाह के मौलाना, हर तरह की दहशतगर्दी के खिलाफ है इस्लाम
सिगरा स्थित ईदगाह अहले हदीस में इत्तेहाद अब्नाए सलफिया वाराणसी की ओर से शनिवार को सालाना इजलास-ए-आम आयोजित हुआ।
वाराणसी, जेएनएन। सिगरा स्थित ईदगाह अहले हदीस में इत्तेहाद अब्नाए सलफिया वाराणसी की ओर से शनिवार को सालाना इजलास-ए-आम आयोजित हुआ। देश-विदेश के उलमा-ए-कराम ने इस्लाम की बुनियादी शिक्षाओं पर रोशनी डाली।
शारजाह के शेख जफरूल हसन मदनी ने कहा कि सलफियत ही वास्तविक इस्लाम है। सलफियत का अर्थ केवल अल्लाह की इबादत करना है। कहा जिंदगी पैगंबर-ए-इस्लाम के बताए तरीकों से गुजारें और अच्छे व्यवहार रखें। सलफियत अमनो-आमान और मेल-मिलाप की दावत देता है। साथ ही बदला और हर तरह की दहशतगर्दी का पुरजोर विरोध करता है।
मौलाना शेख अब्दुल हसीब मदनी ने कहा कि सोशल मीडिया के गलत इस्तेमाल परिवारों को तोड़ रहे हैं। माता-पिता की जिम्मेदारी है कि बच्चों को मोबाइल का बेजा इस्तेमाल करने से रोकें। शेख मुस्तफा अजमल मदनी-मुंबई ने कहा कि अच्छे समाज का निर्माण करने के लिए अच्छे अखलाक और किरदार का होना जरूरी है। इस्लाम की तालीम है कि अपने हाथ या जुबान से किसी को तकलीफ न दी जाए।
वहीं शेख अब्दुल गफ्फार ने कहा कि इस्लाम ने पर्दे का हुक्म महिलाओं की सुरक्षा के लिए दिया है। अध्यक्षता जामिआ सलफिया के नाजिम-ए-आला मौलाना अब्दुल्ला सऊद सलफी, संचालन मौलाना अब्दुल रहमान सलफी व धन्यवाद ज्ञापन संस्था के शेख जफर नोमान ने किया। इस अवसर पर इत्तेहाद के सदर शेख अब्दुल रहीम रियाजी, अब्दुल अब्दुलरऊफ सलफी, नादिर लुत्फी, अब्दुल रकीब, अब्दुल मलिक, अब्दुल अजीम, वसीम अख्तर, मसूद जमाल आदि थे। उधर, भेलूपुर स्थित अंजुमन तरक्की अहले सुन्नत डेवढिय़ाबीर के मैदान में रजा इस्लामिक मिशन की ओर से आयोजित दो दिवसीय 'जश्ने रसूले अकरम' का समापन शनिवार को हुआ। पहले दिन जहां मुफ्ती मोइनुद्दीन अहमद, मौलाना सैयद कमाल अख्तर, मौलाना मोहम्मद मुजक्किर हुसैन, मौलाना रिजवान आदि ने तकरीर पेश की, वहीं दूसरे दिन शायरों ने नातिया कलाम का नजराना पेश किया।
रातभर फिजा में गूंजते रहे नौहे के बोल
दालमंडी स्थित मरहूम हकीम मोहम्मद काजिम के आवास पर अंजुमन हैदरी की ओर से गम-ए-हुसैन के सिलसिले से शनिवार को कदीमी शब्बेदारी आयोजित हुई। शराफत अली खां व साथियों ने सोजख्वानी पेश की। इस दौरान मौलाना अली हैदर-सहारनपुर, मौलाना जाफर अली रिजवी-दिल्ली, मौलाना शाहिद रिजवी-मुंबई व मौलाना नावेद अली आब्दी-झांसी ने मजलिस को खेताब किया। इस अवसर पर अंजुमन आबिदिया-चौहट्टा लाल खां, अंजुमन गुलजारिया अब्बासिया-शिवाला व अंजुमन जव्वादिया-पितरकुंडा ने नौका मातम किया। अंतिम मजलिस के बाद ताबूत का जुलूस निकाला गया। वहीं अंजुमन हैदरी-चौक ने नौहे पेश किए।