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world Family Day 2020 एक छत के नीचे तीन पीढ़ी के 24 सदस्य, हर समय त्योहार जैसी रौनक

world Family Day 2020 आजमगढ़ में इस परिवार में एक छत के नीचे तीन पीढ़ी के 24 सदस्य हर समय त्योहार जैसी रौनक दिखती है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Fri, 15 May 2020 12:40 AM (IST)Updated: Fri, 15 May 2020 09:37 AM (IST)
world Family Day 2020 एक छत के नीचे तीन पीढ़ी के 24 सदस्य, हर समय त्योहार जैसी रौनक
world Family Day 2020 एक छत के नीचे तीन पीढ़ी के 24 सदस्य, हर समय त्योहार जैसी रौनक

आजमगढ़ [अनिल मिश्र]। सुबह लगभग सात बजे का वक्त था। किचन में एक बड़े बर्तन में चाय बन रही थी। घर के एक-एक कमरे से अलग-अलग आवाज आ रही थी। कुछ बच्चे अपने दादा-दादी के साथ कहानियां सुन रहे थे। दूसरी पीढ़ी के कुछ लोग छह पर खुली हवा में टहल रहे थे तो कुछ योग और प्राणायाम कर रहे थे। यह नजारा था शहर के सीताराम (दलालघाट) शाह परिवार का। जहां एक ही छत के नीचे तीन पीढिय़ों के 26 व्यक्ति रहते हैं।

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सभी में एक अलग से प्यार की अनुभूति

यह परिवार लॉकडाउन से पूर्व भी इसी तरह रहता था लेकिन विभिन्न कारोबार से जुड़े होने के कारण एक साथ सभी लोग इकटठा नहीं हो पाते थे। बच्चे स्कूल चले जाते थे। घर आने पर होमवर्क और बड़े अपनी-अपनी कारोबार में व्यस्त हो जाते थे। इतने बड़े परिवार की जीवन शैली में काफी अरसे बाद कुछ बदलाव आया है। सभी का बात और काम में कब दिन व्यतीत हो जाता है, पता ही नहीं चलता है। क्योंकि कारोबार से जुड़े घर के सभी सदस्य तो घर पर ही रहते हैं। शाम को जब साझा चूल्हे पर भोजन बनता है तो बच्चे इंतजार करते हैं और किचन तक पहुंच थाली लेकर एक साथ बैठ जाते हैं। किसी के भी चेहरे पर नाराजगी नहीं दिखती है। सभी में एक अलग से प्यार की अनुभूति होती है। आधुनिक दौर में सिमट रहे परिवारों के लिए तीन पीढिय़ों का यह परिवार मिसाल बना है। परिवार के सबसे बुजुर्ग दीन दयाल शाह (80) और उनकी पत्नी प्रेमा देवी (67) तीन पीढिय़ों के साथ रह रहे हैं।

कोविड-19 के बचाव का अनुपालन

घर के सभी शारीरिक दूरी (फिजिकल डिस्टेंसिंग) के साथ कोविड-19 से बचाव के उपाय का पूरी तरह पालन कर रहे हैं। तीन पीढिय़ों का यह परिवार उनके लिए सबक है, जो लॉकडाउन के नियमों का उल्लंघन कर बाजार में घूमकर खुद और परिवार को जोखिम में डाल रहे हैं। घर में दूरी, सैनिटाइजर एवं साबुन से बार-बार हाथ धोने और मास्क लगाकर रखने के प्रति सभी पूरी तरह जागरूक हैं।

ऐसे बीत रहा दिनदीन दयाल शाह और प्रेमा देवी बताती हैं कि सुबह-शाम भजन-कीर्तन के साथ बच्चों को अपने समय की घटनाएं और कहानी-किस्से सुनाते हैं। आजकल तो टीवी पर रामायण और महाभारत देखने के साथ ही पुराने समय की सुनहरी यादों को साझा कर रहे हैं। अब तक बेटे भी चाय-नाश्ता के साथ भोजन  बनाना सीख रहे हैं। बच्चे आनलाइन पढ़ाई के बाद मौका मिला तो लूडो व कैरम  और मोबाइल से गेम खेलते हैं।


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