World Arthritis Day 2020 : दस में आठ व्यक्ति जोड़ों और घुटनों के दर्द से परेशान, आयुर्वेद में आसान है निदान
आजकल की भागदौड़ भरी लाइफ खान-पान की गलत आदतों लंबे समय तक बैठकर काम करने के कारण प्रत्येक व्यक्ति के कमर गर्दन अंगुलियों के जोड़ों में दर्द बहुत आम हो गया है। एक शोध के अनुसार आज 10 में से 8 व्यक्ति जोड़ों और घुटनों के दर्द से परेशान है।
वाराणसी, जेएनएन। आजकल की भागदौड़ भरी लाइफ, खान-पान की गलत आदतों, लंबे समय तक बैठकर काम करने के कारण प्रत्येक व्यक्ति के कमर, गर्दन, अंगुलियों के जोड़ों में दर्द बहुत आम हो गया है। एक शोध के अनुसार आज के दौर में दस में से लगभग आठ व्यक्ति जोड़ों और घुटनों के दर्द से परेशान है। लेकिन, यह समस्या बारिश और ठंडी के दिनों में और ज्यादा बढ़ जाती है। जी हां, मौसम में बदलाव के कारण दर्द की यह समस्या और भी बढ़ जाती है, लिहाजा इस मौसम के संक्रमण काल में आयुर्वेद आपका बेहतर सहारा साबित हो सकता है।
ठण्डी या बारिश में क्यों बढ़ता है दर्द
राजकीय स्नातकोत्तर आयुर्वेद महाविद्यालय एव चिकित्सालय के कायचिकित्सा एवं पंचकर्म विभाग के प्रवक्ता वैद्य अजय कुमार इस बारे में बताते हैं कि आयुर्वेद के सिद्धांत के अनुसार सर्दी के ठंड भरे दिन और बरसात के मौसम में जोड़ों के दर्द में वृद्धि होती है और साथ ही जकड़ाहट और सूजन भी बढ़ती है। इसका कारण होता है इस मौसम में शीत बढ़ने के कारण वात दोष का अधिक बढ़ना तथा कफ के बढ़ने से जकड़ाहट भी अधिक होती है।
अमेरिका में हुए एक शोध से भी यह बात प्रमाणित होती है। वॉशिंगटन स्कूल ऑफ मेडिसिन विश्वविद्यालय के ऑर्थोपेडिक्स और स्पोर्ट्स मेडिसिन डिपार्टमेंट की तरफ से ये शोध अमेरिका के 45 शहरों में किया गया।
शोध के जरिए साफ किया गया कि मौसम सच में लोगों के जोड़ों के दर्द को प्रभावित करता है। ठंडी या बरसात के दिनों में या तापमान कम हो जाने पर अक्सर ही जोड़ों और कूल्हों में दर्द की समस्या जन्म लेती है। उम्र बढ़ने पर यह समस्या और ज्यादा सताती है। कुछ लोगों को तो जोड़ों के दर्द से अंदाजा होता है कि बारिश आने वाली है या तापमान कम होने वाला है। ये शोध यह भी बताता है कि मौसम के साथ घुटनों का दर्द ही नहीं बल्कि कूल्हे के दर्द के साथ भी सीधा संबंध है। मौसम जोड़ों में गठिया को सीधा प्रभावित करता है।
क्या होता है जोड़ों का दर्द
जोड़ों के दर्द कई प्रकार के होते हैं। प्रमुख रूप से ओस्टियो आर्थराइटिस, रयूमोटोइड आर्थराइटिस, गाउटी आर्थराइटिस आदि से लोग ज्यादा परेशान रहते हैं। सामान्य भाषा में इसे हम गठिया के नाम से भी जानते हैं। इसमें हड्डियों के जोड़ों में सूजन आ जाती है, जिससे रोगी को शरीर के इन हिस्सों में दर्द होता है और चलने-फिरने में समस्या आती है। आर्थराइटिस के 100 से भी ज्यादा प्रकार हैं। इनमें सबसे ज्यादा होने वाली बीमारी ऑस्टियो आर्थराइटिस है।
क्या है गठिया रोग के कारण :
गठिया होने के प्रमुख कारणों में है
1.अत्यधिक मिर्च-मसालेदार खाना का सेवन,
2. शराब पीना,
3. कुपोषण,
4. परिश्रम के बाद या धूप-गर्मी से आने पर तुरंत ठंडा पानी पीना,
5. बढ़ती हुई उम्र,
6. व्यायाम न करना या बहुत अधिक व्यायाम करना,
7. संधियों में यूरिक एसिड का जमा होना आदि होते हैं।
गठिया रोग के लक्षण क्या है :
गठिया रोग कई प्रकार के होते है जिसमे सबके लक्षण अलग अलग होते होते है। सामान्य रूप से निम्न लक्षण कमोबेश सबमें मिलते है-
1. गठिया रोग में जोड़ों में सूजन,
2. जोड़ों में दर्द,
3. बुखार,
4. चक्कर आना,
5. उठने-बैठने में जोड़ों में असहनीय दर्द,
6. चलने-फिरने की लाचारी,
7. थकावट महसूस होना,
8. शरीर की दुर्बलता,
9. भूख न लगना,
गठिया में क्या खाएं अौर क्या नहीं
1. गठिया रोग में संतुलित, आसानी से पचने वाला भोजन खाना चाहिए जैसे- चोकर युक्त आटे की रोटी, छिलके वाली मूंग की दाल खाएं।
2. खाना हमेशा ताज़ा और गर्म खाना चाहिए।
3. डेयरी पदार्थ जैसे दूध और दूध से बने उत्पाद कैल्शियम का अच्छा स्रोत है इन्हें ले सकते हैं लेकिन बेहतर यह होगा कि आप गठिया रोग में दूध-दही भी कम मात्रा में ही लें। कैल्शियम की पूर्ति फलों और सब्जियों से करें |
4. गठिया रोग में बादाम, अखरोट, काजू, मूंगफली आदि भी खाएं |
5. चाय में ग्रीन टी और तुलसी की चाय |
6. गठिया रोग में हींग, शहद, अश्वगंधा और हल्दी भी लाभकारी है |
गठिया रोग में क्या क्या परहेज करना चाहिए--
1. गठिया रोग में बासी, गरिष्ठ, घी-तेल में तले हुए, अचार, मिर्च-मसालेदार भोजन न खाएं। इस रोग में गैस पैदा करने वाले खट्टी व ठंडी चीजों से परहेज करना चाहिए |
2. सॉफ्ट ड्रिंक और मैदे से बनी चीजे, डिब्बा बंद भोजन, फ्रोजन सब्जियां और जंक फ़ूड, नहीं लेने चाहिए।
3. गठिया रोग में रात या शाम के समय दही, छाछ, लस्सी आदि का परहेज रखें |
4. गठिया रोग में खटाई युक्त चीजें कच्चा आम, इमली, सिरका आदि का सेवन न करें।
5. कॉफी, चाय और सोडा ड्रिक में कैफीन होती है। कैफीन शरीर में कैल्शियम का पाचन रोकती है, जिससे हड्डियों को नुकसान हो सकता है। इसलिए शरीर में ज्यादा कैफीन नहीं जानी चाहिए। एक दिन में तीन कप से ज्यादा कॉफी हड्डियों को हानि पहुंचा सकती है।
6. ज्यादा एल्कोहल यानी शराब भी हमारी हड्डियों को नुकसान पहुंचाती है।
गठिया रोग में इन बातों का भी रखें ख्याल :
1. नियमित टहलना, घूमना-फिरना, व्यायाम एवं मालिश करें।
2. सीढ़ियां चढ़ते समय, घूमने-फिरने जाते समय छड़ी का प्रयोग करें।
3. गठिया रोग में ठंडी हवा, नमी वाले स्थान व ठंडे पानी के संपर्क में न रहें।
4. गठिया रोग में घुटने के दर्द में बहुत देर तक पालथी मार कर न बैठे एवं अधिक आराम करने की भी आदत न डालें।
5. दर्द निवारक दवाओं की आदत न डालें।
आयुर्वेद में क्या है इलाज़
सही मायनों में समय पर योग्य वैद्य की देखरेख में आयुर्वेद चिकित्सा करने निश्चित ही लाभ मिलता है। अमतौर ओर रोगी सालों साल एलोपैथी का इलाज़ करते रहते है और अत्यधिक मात्रा में पैन किलर का इस्तेमाल करने से उनके साइड इफ़ेक्ट होने लगते है। किडनी और लिवर पर इनके दुष्प्रभाव भी पड़ने लगते है। ऐसे में जितना जल्दी हो सके आयुर्वेद की चिकित्सा प्रारम्भ कर देनी चाहिए। आयुर्वेद में जोड़ों के दर्द का वर्णन विभिन्न प्रकार के वात व्याधि के अंतर्गत किया गया है क्योकि इनका मुख्य कारण बढ़ा हुआ वात होता है।
1. इन रोगों में स्नेहन, स्वेदन आदि चिकित्सा से बहुत लाभ मिलता है।
2. कमर के दर्द में कटि वस्ति, घुटनों के दर्द में जानू वस्ति तथा गर्दन के दर्द में ग्रीवा वस्ति से बहुत लाभ मिलता है।
3. इस रोग में बहुत सी औषधियां खाने के लिए भी दी जाती है जिसके निरंतर सेवन से बहुत फायदा मिलता है।
4. वैद्य की सलाह से योगराज गुग्गुल, सिंहनाद गुग्गुल, रास्नादि गुग्गुल, वातविध्वंसन रस, वातगजांकुश रस आदि औषधियों के सेवन से लाभ मिलता है।
इनके अतिरिक्त कायचिकित्सा एवं पंचकर्म विशेषज्ञ वैद्य अजय कुमार ने बताया कि अलग अलग रोगों में अलग अलग पंचकर्म कराया जाता है जिनमे से कुछ निम्न प्रकार के हैं-
1. घुटने के दर्द में स्नेहन, स्वेदन और जानुबस्ति
2. कमर के दर्द में स्नेहन, स्वेदन और कटि बस्ति
3. गर्दन के दर्द में स्नेहन, स्वेदन और ग्रीवाबस्ति
4. रह्यूमाटोइड एवं एनकायलोजिंग अर्थराइटिस में रुक्ष सर्वांग स्वेद
5. अर्थराइटिस में वाष्प स्वेद