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विश्व अल्जाइमर्स दिवस : परिवार में बुजुर्गों के प्रति अपनापन दिखाएं, भूलने की बीमारी से बचाएं

उम्र बढऩे के साथ ही तमाम तरह की बीमारियां हमारे शरीर को निशाना बनाना शुरू कर देती हैं ।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Sun, 20 Sep 2020 06:23 PM (IST)Updated: Sun, 20 Sep 2020 06:23 PM (IST)
विश्व अल्जाइमर्स दिवस : परिवार में बुजुर्गों के प्रति अपनापन दिखाएं, भूलने की बीमारी से बचाएं
विश्व अल्जाइमर्स दिवस : परिवार में बुजुर्गों के प्रति अपनापन दिखाएं, भूलने की बीमारी से बचाएं

आजमगढ़, जेएनएन। उम्र बढऩे के साथ ही तमाम तरह की बीमारियां हमारे शरीर को निशाना बनाना शुरू कर देती हैं। इन्हीं में से एक प्रमुख बीमारी बुढ़ापे में भूलने की आदतों (अल्जाइमर्स -डिमेंशिया) की है। ऐसे बुजुर्गों की तादाद बढ़ रही है। इसीलिए इस बीमारी की जद में आने से बचाने के लिए हर साल 21 सितंबर को विश्व अल्जाइमर्स-डिमेंशिया दिवस मनाया जाता है। इसका उद्देश्य जागरूकता लाना है, जिससे घर-परिवार की शोभा बढ़ाने वाले बुजुर्गों को इस बीमारी से बचाकर उनके जीवन में खुशियां लाई जा सकें। इसी के तहत 21 से 27 सितंबर तक चलने वाले राष्ट्रीय डिमेंशिया जागरूकता सप्ताह के तहत जिले में विभिन्न कार्यक्रमों के जरिए इस बीमारी की सही पहचान और उससे बचाव के उपायों के बारे में जागरूकता लाने की बड़ी कोशिश की जाएगी । 

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मानसिक रोग कार्यक्रम के नोडल अधिकारी एवं जिला क्षय रोग अधिकारी (डीटीओ) डा. परवेज अख्तर का कहना है कि बुजुर्गों को डिमेंशिया से बचाने के लिए जरूरी है कि परिवार के सभी सदस्य उनके प्रति अपनापन रखें। अकेलापन न महसूस होने दें, समय निकालकर उनसे बातें करें, उनकी बातों को नजरंदाज कदापि न करें बल्कि उनको ध्यान से सुनें। ऐसे कुछ उपाय करें कि उनका मन व्यस्त रहे, उनकी मनपसंद की चीजों का ख्याल रखें। निर्धारित समय पर उनके सोने-जागने, नाश्ता व भोजन की व्यवस्था का ध्यान रखें।

यह लक्षण प्रतीत होने पर चिकित्सक से लें परामर्श

अमूमन 65 साल की उम्र के बाद लोगों में यह बीमारी देखने को मिलती है या यूं कहें कि नौकरी पेशा से सेवानिवृत्ति के बाद यह समस्या पैदा होती है। इसके लिए जरूरी है कि जैसे ही इसके लक्षण नजर आएं तो जल्दी से जल्दी चिकित्सक से परामर्श करें ताकि समय रहते उनको उस समस्या से छुटकारा दिलाया जा सके। इस बीमारी के प्रमुख लक्षणों में से एक है कि जीवन शैली में एकदम से बदलाव आना जैसे शरीर में आलसपन का आना, लोगों से बात करने से कतराना, बीमारियों को नजरंदाज करना, भरपूर नींद का न आना, किसी पर भी शक करना आदि।

फोन मिलाएं - समस्या का समाधान पाएं :

यदि आप मानसिक तनाव या चिंता महसूस कर रहे हैं तो राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य और स्नायु विज्ञान संस्थान के टोल फ्री नंबर- 080-46110007 पर कॉल करके मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी हर समस्या का समाधान पा सकते हैं।   

क्या कहते हैं आंकड़े.....

सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय और अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) नई दिल्ली की तरफ से अभी हाल ही में जारी एक एडवाइजरी में कहा गया है कि वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार देश में करीब 16 करोड़ बुजुर्ग (60 साल के ऊपर) हैं । इनमें से 60 से 69 साल के करीब 8.8 करोड़, 70 से 79 साल के करीब 6.4 करोड़, दूसरों पर आश्रित 80 साल के करीब 2.8 करोड़ और 18 लाख बुजुर्ग ऐसे हैं, जिनका अपना कोई घर नहीं है या कोई देखभाल करने वाला नहीं है।


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