विश्व एड्स दिवस : बनारस में घट गई एड्स पीडि़तों की संख्या, जांच में पिछले दो वर्षों की अपेक्षा महज 30 फीसद पाए गए पाजिटिव
एचआइवी-एड्स को लेकर जागरूकता की कवायद रंग ले आने लगी है। इसे ऐसे समझा जा सकता है कि इस साल पिछले दो वर्षों की अपेक्षा महज 30 फीसद पीडि़त ही सामने आए।
वाराणसी, जेएनएन। एचआइवी -एड्स को लेकर जागरूकता की कवायद रंग ले आने लगी है। इसे ऐसे समझा जा सकता है कि इस साल पिछले दो वर्षों की अपेक्षा महज 30 फीसद पीडि़त ही सामने आए। इसकी पुष्टि स्वास्थ्य विभाग के आंकड़े कर रहे हैैं। इसके अनुसार वर्ष 2017 में 1095 व 2018 में 1093 लोग एचआइवी पाजिटिव पाए गए। इस वर्ष अक्टूबर तक यह संख्या 600 तक पहुंची। जिला एचआइवी-एड्स एवं क्षय रोग अधिकारी डा. राकेश कुमार के अनुसार फिलहाल पं. दीनदयाल उपाध्याय राजकीय चिकित्सालय व बीएचयू के सर सुंदरलाल अस्पताल स्थित एआरटी (एंटी रेट्रोवाइरल थेरेपी) सेंटर में लगभग 24,000 पीडि़तों का इलाज किया जा रहा है। इनमें बनारस समेत आसपास के जिलों से भी हैैं।
एड्स से दूरी के लिए जागरूकता जरूरी
आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2018 में दुनिया भर में 3.7 करोड़ से अधिक लोग एचआईवी पीडि़त मिले। वहीं लगभग 11 लाख लोगों की इससे मौत हो गई। भारत में लगभग 21 लाख लोग इस बीमारी से पीडि़त थे और लगभग चार फीसद काल कवलित हुए। डा. आरके सिंह के अनुसार एड्स से बचाव के लिए समुदाय को इसके प्रति जागरूक होना जरूरी है। इसे ध्यान में रखते हुए ही हर साल एक नए विषय के साथ एक दिसंबर को विश्व एड्स दिवस मनाया जाता हैं। इस साल की थीम 'एचआइवी / एड्स महामारी समाप्त : समुदाय से समुदाय तकÓ रखी गई हैं।
यहां करा सकते है जांच
एड्स की जांच के लिए जिले में 10 एचसीटीएस (एचआईवी काउंसलिंग एंड टेस्टिंग सर्विस) हैं। इसके अलावा आठ आईसीटीसी (इंटीग्रेटेड काउंसिलिंग एण्ड टेस्टिंग सेंटर) और दो पीपीटीसीटी (प्रिवेंटिंग पेरेंट टू चाइल्ड ट्रांसमिशन) सेंटर भी हैैं। इलाज के लिए दीनदयाल अस्पताल व आइएमएस बीएचयू में एआरटी सेंटर हैैं। इनमें इलाज के लिए बनारस के साथ ही आसपास के जिलों से भी लोग आते हैैं।
संक्रमण से बचाव में सहायक पीईपी
कोई व्यक्ति एचआइवी से संक्रमित है तो 72 घंटे के अंदर एआरटी सेंटर पर जाकर पीईपी (पोस्ट एक्सपोजर प्रोफिलेक्सिस) दवा की पहली डोज ले सकता है। यह दवा लगातार 28 दिन तक लेने पर एचआइवी के संक्रमण से पूरी तरह बचा जा सकता है।
एड्स : एड्स यानि एक्वायर्ड इम्युनो डिफि़सिएंशी सिंड्रोम जो एचआइवी (ह्यूमन इम्यूनो डिफि़सिएंशी वायरस) से होती है। वायरस धीरे-धीरे व्यक्ति की संक्रमण से लडऩे की क्षमता कम कर देता है।
कारण : एचआइवी संक्रमित व्यक्ति के साथ असुरक्षित यौन संबंध बनाने से, संक्रमित ब्लड चढ़ाने से, संक्रमित सुई लगाने से हो सकता है। एचआइवी संक्रमित महिला के होने वाले बच्चे को भी इसका संक्रमण हो सकता है।
लक्षण : बुखार आना, शाम के समय पसीना आना, ठंड लगना, थकान महसूस होना, उल्टी आना, गले में खराश रहना, दस्त होना, खांसी होना, सांस लेने में समस्या, मांसपेशियों में दर्द, शरीर पर चकते पडऩा आदि।
बचाव : सुरक्षित शारीरिक सबंध, खून को चढ़ाने से पहले जांच, उपयोग की हुई सुइयों और टीकेका दोबारा न उपयोग करें, यौन संबंध में सावधानी, कंडोम का करें इस्तेमाल, मा. एचआइवी संक्रमित हो तो संस्थागत प्रसव कराएं।