Move to Jagran APP

चंदौली जिले में ज्वाइंट मजिस्ट्रेट के तबादले के साथ ही दब गई भूमाफिया की फाइल

भूमाफिया के खिलाफ चल रही कार्रवाई की फाइल दबा दी गई। वहीं दबाव में पुलिस कार्रवाई भी नहीं कर पाती है। अब जेई के अपहरण के मामले में बबलू सिंह का नाम आने के बाद एक बार फिर से चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया है।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Thu, 14 Oct 2021 07:53 PM (IST)Updated: Thu, 14 Oct 2021 07:53 PM (IST)
चंदौली जिले में ज्वाइंट मजिस्ट्रेट के तबादले के साथ ही दब गई भूमाफिया की फाइल
भूमाफिया के खिलाफ चल रही कार्रवाई की फाइल दबा दी गई।

चंदौली, जागरण संवाददाता। बलुआ थाने में जिला पंचायत सदस्य के खिलाफ दर्ज नौ मुकदमे और जेई अपहरण कांड से नया मामला भी सामने आया है। पपौरा में तालाब पर मकान, खडेहरा में भी ग्राम सभा की जमीन पर कब्जा करने का प्रकरण खुला है। आरोपित का गांजा बिक्री में भी नाम आ चुका है। जबकि सफेदपोशों के संरक्षण से हमेशा से कार्रवाई टल जाती थी।

loksabha election banner

तत्कालीन ज्वाइंट मजिस्ट्रेट प्रेमप्रकाश मीणा की जांच के बाद पपौरा निवासी जिपंस गोपाल सिंह उर्फ बबलू का नाम सरकारी दस्तावेजों में भूमाफिया के रूप में शुमार हो गया। उन्होंने बलुआ थाने में दर्ज नौ मुकदमों में कार्रवाई आगे बढ़ा दी थी। हालांकि सफेदपोशों के दबाव के चलते भूमाफिया के खिलाफ चल रही कार्रवाई की फाइल दबा दी गई। वहीं दबाव में पुलिस कार्रवाई भी नहीं कर पाती है। अब जेई के अपहरण के मामले में बबलू सिंह का नाम आने के बाद एक बार फिर से चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया है।

ज्वाइंट मजिस्ट्रेट ने कुर्सी संहालते ही सरकारी भूमि व तालाबों पर अतिक्रमण करने वालों के खिलाफ चाबुक चलाना शुरू कर दिया था। कम समय में ही विभिन्न गांवों में तमाम सरकारी व निजी भूमिधरी से अतिक्रमण को हटवाया। पपौरा निवासी जिपंस के विरुद्ध शिकायत मिलने पर जब उन्होंने स्वयं मौके पर जाकर पैमाइश कराई तो आरोपित का मकान का 80 फीसद तालाब में बना मिला था। खडेहरा में भी अपने रकबे से ज्यादा भूमि पर दबंगई से कब्जा कर तीन मंजिला भवन बनवा लेने का नया मामला प्रकाश में आया था। दोनों ही मामलों में जांचोपरांत ज्वाइंट मजिस्ट्रेट ने ध्वस्तीकरण की नोटिस जारी करते हुए सरकारी दस्तावेजों में गोपाल का नाम भूमाफिया के रूप में दर्ज करा दिया था। आपराधिक इतिहास खंगाला तो उसके विरुद्ध बलुआ थाने में मादक द्रव्य रखने व गैंगस्टर जैसे 9 मामले मिले। आरोप है कि जांचों के भय से कुछ सफेदपोशों की पैरवी पर ज्वाइंट मजिस्ट्रेट का आनन-फानन तबादला चकिया कर दिया गया। हालांकि जाते-जाते ज्वाइंट मजिस्ट्रेट ने पलीते में आग तो लगा ही दी है, लेकिन उनके तबादले के साथ ही यह कार्रवाई ठंडे बस्ते में चली गई।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.