वाराणसी में अपनी पाठशाला में सात बच्चों के साथ से सैकड़ों गरीब बच्चों का जीवन हो रहा रोशन
अभाव में पले बढ़े वीरभद्र प्रताप सिंह ने खुद और परिवार की मदद को देख असहाय और गरीबों के मदद का जिम्मा उठाया। करौंदी और छित्तूपुर में स्लम एरिया के बच्चों को पढ़ाने की शुरुआत की तो साथ निभाने के लिए सात मित्रों का साथ मिला।
वाराणसी, रवि पांडेय। हम अकेले ही चले थे ज़ानिब - ए - मंजिल मगर ,लोग साथ आते गए ,कारवां बनता गया। यकीनन यह लाइन वीरभद्र प्रताप सिंह जैसी शख्सियत पर सटीक बैठती है।अभाव में पले बढ़े वीरभद्र प्रताप सिंह ने खुद और परिवार की मदद को देख असहाय और गरीबों के मदद का जिम्मा उठाया।
बीएचयू से बीकॉम के बाद करौंदी और छित्तूपुर में स्लम एरिया के बच्चों को पढ़ाने की शुरुआत की तो साथ निभाने के लिए सात मित्रों का साथ मिला। छित्तूपुर के मलिन बस्तियों के लोग शराब पीकर विरोध करना शुरू कर दिए तो बीएचयू के छात्र छात्राओं ने डर के कारण जाना बंद कर दिया। इसी बीच वहीं के एक आदमी की मदद से करसड़ा बनवासी बस्ती गए जहां न बिजली थी और न ही बच्चों को पढ़ाने की जगह। साथियों की मदद से पैसे इकट्ठा किया तो बस्ती वालों ने शारिरिक श्रम से एक कमरा बरामदे का चबूतरा बनवाया। जिसे "अपनी पाठशाला" का नाम दिया।टीम की मदद से यहां बस्ती के 25 से 30 बच्चों को 2017 से मजदूरी और भीख मांगना छुड़ाकर पढ़ाई के साथ ही उनको कपड़ें , कापी किताब और खाने की व्यवस्था भी करते हैं। करौंदी में जो बच्चे पैसे के अभाव में उच्च शिक्षा नहीं कर पाते ऐसे 10 से 15 बच्चों को निश्शुल्क कोचिंग पढ़ाते हैं।
मदद से पढ़े वीरभद्र ने असहायों के मदद का उठाया जिम्मा
इब्राहिम पुर ,अहरौला ,आजमगढ़ के रहनेवाले वीरभद्र के पिता राघवेंद्र सिंह गांव पर खेती करते रहे।बच्चों की पढ़ाई के लिए बनारस में नौकरी करने आये तो सतुआ बाबा के आश्रम से नौकरी की शुरुआत की । ईमानदारी के कारण हरिश्चंद्र घाट के पास अमेरिका की संस्था में साईं मां ने आश्रम की जिम्मेदारी सौंप दी । परिवार के रहने और खाने के साथ ही बच्चों की पढ़ाई के लिए संस्था ने मदद किया।परिवार और अन्य भाई बहनों की पढ़ाई में मिली मदद को देखकर वीरभद्र ने आजीवन गरीब और असहायों के मदद का वीणा ही नही उठाया बल्कि बखूबी निभा रहे हैं।इस कार्य में अखरी स्थित ब्रम्हर्षि कालोनी की रहने वाली रश्मि सिंह घर के काम से फुरसत के बाद बच्चों की पढ़ाई के लिए जाती हैं। अखरी के गरीब परिवार का धीरज कन्नौजिया खुद की पढ़ाई और गृहस्थी के काम के बाद बच्चों को नियमित पढ़ाने जाता है।
दोस्तों ने बनाई दिवि वेलफेयर सोसाइटी
वीरभद्र ने साथ मिलकर काम करने वाले बीएचयू के छात्रों शुभम मिश्रा जेआरएफ ,धीरेन्द गिरी ,प्रिया सिंह ,विनीत सिंह , रश्मि सिंह और डॉक्टर दीपक सिंह के साथ मिलकर 4 अप्रैल 2018 को दिवि वेलफेयर सोसाइटी के रजिस्ट्रेशन कराया। सांई मां ने संस्था की मदद के लिए अमेरिका के एनजीओ ग्लोब टॉप्स से 9 लैपटॉप और कनाडा के जिल बाइग्रस और आयरलैंड के डेविड की मदद से बच्चों के खाने पीने की व्यवस्था कराई।
विधायक की मदद से बस्ती को किया रोशन
करसड़ा बुनकर कालोनी के पास बनवासी बस्ती में जाने के लिए न तो सड़क थी और न ही बिजली ।संस्था के बच्चों ने रोहनिया विधायक सुरेन्द्र नारायण सिंह को जब अपने कार्य के बारे में बताया तो उन्होंने तत्काल अधिकारियों से बात करके योगी सरकार की उज्वला योजना से 18 खंभे लगाकर 11 परिवारों को कनेक्शन दिलाकर बस्ती को रोशन कर दिया और बस्ती के लिए सड़क भी बनवाई।
संस्था का ड्रीम 100 बच्चों को हर वर्ष निश्शुल्क शिक्षा
संस्था के लोगों ने बताया कि आइआइटी रुड़की से रिटायर प्रोफेसर जगदीश राय के मार्गदर्शन में गरीब और जरूरतमंद बच्चों का टेस्ट कराकर 100 बच्चों को प्रतिवर्ष निशुल्क शिक्षा देना ड्रीम प्रोजेक्ट है।इसके लिए बीएचयू के कुछ अधिकारियों और शहर के संभ्रांत नागरिकों ने मदद का भरोसा दिया है।