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हिंसा नहीं बल्कि मीरजापुर आध्यात्म, कला और साहित्य की संगम स्थली, वेब सीरीज से नाराज हुए लोग

वेब सीरीज में दिखाई जा रही हिंसक छवि से बेहद निराश और दुखी हैं विंध्यवासिनी क्षेत्र के लोग पुरानी पहचान खो जाने का डर ‘तांडव’ के साथ ही फिर यह सवाल उठने लगा है कि मीरजापुर जैसी वेब सीरीज भी शहरों को बदनाम करने का काम कर रही है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Wed, 20 Jan 2021 10:46 AM (IST)Updated: Wed, 20 Jan 2021 10:59 AM (IST)
पेश है कालीन-दरी, पर्यटन और मंदिर के लिए ख्यात इस की पड़ताल..

सतीश रघुवंशी, मीरजापुर। वेब सीरीज तांडव को लेकर जहां विवाद गहराता जा रहा है, वहीं, अमेजन प्राइम के चर्चित वेब सीरीज मीरजापुर की मुश्किलें भी बढ़ती जा रही हैं। स्थानीय लोगों का आरोप है कि वेब सीरीज के जरिए मीरजापुर की छवि खराब करने की कोशिश की गई और इससे उनकी धार्मिक, सामाजिक और क्षेत्रीय भावना को ठेस पहुंची। जाहिर है इस कारण लोगों में काफी आक्रोश भी है। इस वेब सीरीज में भले ही जिले की हिंसक छवि को पेश करने की कोशिश रही हो, लेकिन विंध्य क्षेत्र आज भी गंगा-जमुनी तहजीब और आस्था के संगम में गोता लगाता है।

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विश्व पटल पर मशहूर मां विंध्यवासिनी का दर्शन-पूजन करने के साथ ही सक्तेशगढ़ के परमहंस आश्रम में स्वामी अड़गड़ानंद व देवरहा हंस बाबा आश्रम में संस्कार व भक्तिरस की धारा में डुबकी लगाने विभिन्न देशों से लोग पहुंचते रहते हैं। यही नहीं, चुनार का किला व विंढम फाल समेत विंध्य की पहाड़ियों के रमणीय स्थल बरबस ही सैलानियों को मंत्रमुग्ध करते हैं। यहां की कालीन-दरी, पाटरी व पीतल के बर्तनों की ख्याति भी वैश्विक स्तर पर है, लेकिन चंद कमाई की खातिर मीरजापुर वेब सीरीज के निर्माता व निर्देशक ने विंध्य की धरती को बदनाम करने की कोशिश की। यही वजह है कि जनप्रतिनिधियों से लेकर यहां के मानिंद व युवाओं ने इस कुत्सित प्रयास का पुरजोर विरोध किया।

विंध्य पर्वत के सुरम्य अंचल में बसी विंध्यनगरी देश को मानक समय देने के साथ ही फिजां में गंगा-जमुनी तहजीब की मिठास घोलती रही है। विंध्याचल के कंतित में ही प्रसिद्ध सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की पवित्र कंतित शरीफ दरगाह व चुनार में कासिम सुलेमानी की दरगाह है। अजमेर शरीफ न जा पाने वाले जायरीनों द्वारा इसी दरगाह पर चादर चढ़ाकर मन्नतें पूरी की जाती हैं। मां विंध्यवासिनी के लिए चुनरी मुस्लिम समाज के लोग बनाते हैं तो कंतित शरीफ की मजार पर पहली चादर हिंदू परिवार की ओर से चढ़ाई जाती है।

साहित्य के क्षेत्र में आचार्य रामचंद्र शुक्ल, बद्री नारायण प्रेमघन, बेचन शर्मा उग्र, शिव प्रसाद कमल सरीखे साहित्यकारों ने भी अपनी लेखनी से साहित्य जगत को समृद्ध करते हुए समरसता का संदेश दिया। प्राकृतिक सौंदर्य से सराबोर होने के साथ ही अध्यात्म, कला व साहित्य की बेजोड़ संगम स्थली विंध्याचल अनायास ही पूरी दुनिया के लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती है। बीते 90 सालों से बदलावों के दौर से गुजर रही विंध्यनगरी अपनी कला-संस्कृति, अध्यात्म, साहित्य व समरसता की तहजीब को संजोने में कामयाब रही है। गिनी-चुनी घटनाओं को छोड़ दें तो विंध्य क्षेत्र शांति व सौहार्द का ही संदेशवाहक रहा है। बावजूद इसके मनोरंजन के नाम पर कल्पना पर आधारित कत्ल व हिंसा के धरातल पर रिश्तों को कलंकित करने की कहानी बुनी गई। मीरजापुर ही नहीं, बल्कि बलिया, गाजीपुर, जौनपुर सहित पूरे पूर्वांचल को बदनाम करने का यह कुत्सित प्रयास है।

जनप्रतिनिधियों व आमजनमानस में है आक्रोश : मीरजापुर के जनप्रतिनिधि व आम जनमानस ने वेब सीरीज पर समुदाय व जातिवाद बढ़ाने का आरोप लगाया। साथ ही इसे पारिवारिक रिश्तों को तोड़ने वाला भी बताया। यही वजह है कि बड़ी संख्या में लोगों ने सड़क पर उतर कर आक्रोश जताया और मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजकर इसे अविलंब रोकने की मांग की है। फिलहाल सीरीज के प्रोड्यूसर रितेश साधवानी समेत चार लोगों के खिलाफ यहां देहात कोतवाली में धार्मिक भावनाओं को भड़काने, अश्लीलता परोसने और लोगों को आहत करने के आरोप में मुकदमा दर्ज किया गया है।

सच्चाई से उलट है मीरजापुर वेब सीरीज : अमेजन प्राइम की चर्चित वेब सीरीज मीरजापुर से अब लोगों को बोरियत महसूस होने लगी है। इसकी पटकथा को लव, सेक्स, षड्यंत्र, अवैध संबंध, मारकाट, रिश्तों के कत्ल, गाली-गलौज व हिंसा से जोड़कर परोसने की कोशिश की गई है। साथ ही सत्ता के लिए समाज व पारिवारिक रिश्तों की हत्या का ताना-बाना दिखाया गया है। विंध्य धरा की गंगा-जमुनी संस्कृति व परंपरा से पटकथा का कोई लेना-देना नहीं है। सामान्य तौर पर कहें तो सभ्य समाज इसे देखना कतई पसंद नहीं करता है।


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