Weather update वाराणसी में गर्मी का टूटा 21 साल का रिकार्ड, पारा 46.0 डिग्री, शाम को आंधी-पानी
वर्ष 1998 में 46.8 डिग्री सेल्सियस अधिकतम तापमान के बाद मंगलवार को 46.0 डिग्री पारे के साथ 21 साल का रिकार्ड टूट गया। वाराणसी में पूरे दिन लोग भीषण गर्मी की मार झेलते रहे।
वाराणसी, जेएनएन। वर्ष 1998 में 46.8 डिग्री सेल्सियस अधिकतम तापमान के बाद मंगलवार को 46.0 डिग्री पारे के साथ 21 साल का रिकार्ड टूट गया। पूरे दिन लोग भीषण गर्मी की मार झेलते रहे। धरती तप गई थी और आसमान से बरस रही आग त्वचा को झुलसा रही थी। लोग गर्मी से बिलबिला उठे थे। हालांकि देर शाम आई आंधी व हल्की बरसात ने गर्मी से थोड़ी राहत दी। एक-दो दिन में तेज बारिश का अनुमान लगाया जा रहा है।
लगातार कई दिनों से जिस तरह से तापमान बढ़ रहा था उससे लग रहा था कि 1998 का भी रिकार्ड टूट सकता है। हालांकि पारा 46 डिग्री सेल्सियस तक ही पहुंच कर शांत हो गया। वरना अगर 46.8 डिग्री से अधिक पारा अधिक जाता तो करीब 50 साल का रिकार्ड टूट सकता था। खैर, पंजाब, राजस्थान व जम्मू-कश्मीर से आ रही उत्तर-पश्चिमी हवा के कारण वातावरण अधिक गर्म हो गया। इसके बाद पूरब आ रही हवा के टकराहट के कारण मौसम ने करवट ली और शाम करीब साढ़े छह बजे तेज हवा शुरू हो गई। इससे पहले शाम पांच बजे से ही आसमान में बादलों का डेरा शुरू हो गया था। प्रसिद्ध मौसम विज्ञानी प्रो. एसएन पांडेय ने बताया कि जम्मू-कश्मीर व दिल्ली में एक पश्चिमी विक्षोभ आ रहा है। इसका असर एक-दो दिन बार पूर्वांचल में भी आ जाएगा। इससे बरसात होने की संभावना बनेगी।
वाराणसी में मंगलवार को तापमान
46.0 डिग्री सेल्सियस अधिकतम तापमान
27.1 डिग्री सेल्सियस न्यूनतम तापमान
मई माह में सबसे अधिक गर्मी
अधिकतम पारा वर्ष
46.8 1998
46.0 2020
45.8 2020
44.6 2019
44.6 2018
44.6 2017
आंधी में ट्रिप हो गए कई उपकेंद्र, आपूर्ति बाधित
आंधी आने के बाद भले ही भीषण गर्मी से राहत मिली, लेकिन कई स्थानों पर बिजली बेपटरी भी हो गई। कई उपकेंद्र ट्रिप हो गए। वहीं कई अन्य उपकेंद्रों को एहतियात के तौर बंद कर दिया गया था। आंधी शांत होने के बाद धीरे-धीरे सभी बंद उपकेंद्रों को चालू किया गया। कैंटोमेंट स्थित 132 केवी उपकेंद्र से जुड़ी 33 केवी लाइन ट्रिप हो गई। इसके कारण 33 केवी उपकेंद्र चौकाघाट, 33 केवी उपकेंद्र विद्यापीठ व नगर निगम की लाइन बंद हो गई। इस वजह से कैंट रेलवे स्टेशन से लेकर सिगरा तक आपूॢत बाधित हुई। इसके अलावा लंका, गोदौलिया, मैदागिन, भेलूपुर, पांडेयपुर, सारनाथ क्षेत्रों में भी बिजली सप्लाई प्रभावित हुई। कारण कि कई जगह खंभे गिर गए थे तो पोल टूट कर गिर गए थे। तारों पर पेड़ की डालियां भी गिरी हुई थी।