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डरते हैं हम-आप, इस शख्स के तो दोस्त हैं सांप, अब तक पकड़ चुका है हजारों सांप

सांपों से डरते हम-आप हैैं वहीं एक ऐसा शख्स भी है जो सांपों का दोस्त वाराणसी के मिर्जामुराद निवासी रतन कुमार गुप्ता है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Sat, 25 Jul 2020 07:10 AM (IST)Updated: Sat, 25 Jul 2020 12:42 PM (IST)
डरते हैं हम-आप, इस शख्स के तो दोस्त हैं सांप, अब तक पकड़ चुका है हजारों सांप
डरते हैं हम-आप, इस शख्स के तो दोस्त हैं सांप, अब तक पकड़ चुका है हजारों सांप

वाराणसी [शैलेंद्र सिंह]। सांप की बात सुनते ही आमजन के मन व दिमाग में भय व्याप्त हो घिग्घी बंध जाती है। सांपों से डरते हम-आप हैैं, वहीं एक ऐसा शख्स भी है जो सांपों का दोस्त है। फुंफकार मारते फनधारी सांपों को देख जहां आमजन भागते हैैं, वहीं विषधर इस शख्स को देख खुद भागने लगते हैं। सांपों को बड़े ही आसानी से हाथों से पकड़ लेता है, इतना ही नहीं कुछ माह पूर्व लहरतारा में अजगर को भी हाथों से पकड़ लिया था। युवक का कारनामा देख ग्रामीणों के रोंगटे खड़े हो जाते हैं। मिर्जामुराद निवासी रतन कुमार गुप्ता की बाजार में ही हाइवे किनारे गैस-चूल्हा, कुकर बनाने के साथ घड़ी-चश्मा की दुकान है। यह पिछले पंद्रह वर्षों से बगैर किसी तंत्र-मंत्र विद्या के शौकिया हाथों से सांपों को पकडऩे का काम करता है।

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घरों-दुकानों में सांपों के निकलते ही दूरदराज के लोगों की जुबान पर तुरंत ही रतन की याद आती है। रतन कोबरा के नाम से प्रसिद्ध युवा को मोबाइल पर सूचना मिलते ही वह अपनी बाइक से मौके पर पहुंचकर लकड़ी व लोहे के एक छोटे से डंडे के सहारे खतरनाक फनधारी फुंफकार मारते सांपों को हाथों से पकड़ लेता है। सांप पकड़ जाने पर गृहस्वामी खुश होकर उसकी जेब में जरूर अच्छी बख्शीश  देकर उसे खुश कर देते हैं। सांपों को पकड़ डिब्बे में बंद कर दुकान पर लाने के बाद फिर उसे शीशे के केबिननुमा बॉक्स में रख देता है, फिर 15-20 सांप हो जाने पर उसे बोरी में भरकर सुनसान पहाड़ी-जंगल इलाके में ले जाकर छोड़ देता है। युवा दुकानदार द्वारा अब तक तीन हजार से अधिक सांपों को पकड़ा जा चुका है। सांपों को पकड़ते-पकड़ते उसने यह कला सीख अब उसे अपना शौक बना सांपों को ही दोस्त बना लिया है। ग्रामीणों की सुविधा के लिए हाइवे पर गोपीगंज से रामनगर के बीच कई जगह सांप पकडऩे के लिए संपर्क करे जनसेवा केंद्र की वालराइटिंग करा अपना मोबाइल नंबर भी लिखवा दिया है।

सांप को मारते देख मन में आया विचार

रतन गुप्ता बताते हैैं कि बचपन में जब सांपों को लाठी-डंडे से मारते देखा तो मन में सांपो को बचाने का भाव जागा। पर्यावरण संरक्षण में अपनी भूमिका निभाने वाले प्रकृति की देन सांपो की जिंदगी बचाने हेतु उन्हेंं पकड़ कर अपना दोस्त बनाने का मन बनाया और देखते-देखते अब उनसे गहरी दोस्ती कर ली। युवा दुकानदार के पिता स्व.श्यामलाल गुप्ता सपेरों के संग महुअर खेलने की विद्या जानते थे, और सपेरों के आने पर मिर्जामुराद कस्बा में खूब महुअर खेलते थे। ग्रामीणों की भारी भीड़ जुटती थी।


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