वेदों के नित्य परायण से ही होगा विश्वकल्याण, सम्पूर्णानंद विश्विद्यालय परिसर में हुआ नित्यवेदपारायणम
Hari Prabodhini Ekadashi सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय स्थित वाग्देवी मन्दिर में बुधवार को वेद विभाग की ओर से कृष्णयजुर्वेदीय तैत्तिरीय शाखा के नित्य पारायण का उद्घाटन किया गया। कार्यक्रम में उपस्थित आचार्य मणि ने भी वेदों के कई गूढ़ तत्त्वों को उद्घाटित किया एवं वैज्ञानिक पक्ष को रखा।
वाराणसी, जेएनएन। हरिप्रबोधिनी एकादशी के पर्व पर सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय स्थित वाग्देवी मन्दिर में बुधवार को वेद विभाग की ओर से कृष्णयजुर्वेदीय तैत्तिरीय शाखा के नित्य पारायण का उद्घाटन किया गया। जिसके पारायणकर्त्ता तेनालि, गुन्टूर ( आंध्र प्रदेश) के श्रीनोरि केदारेश्वर, सलक्षण घनपाठी जी थे। पारायणोपरान्त उन्होंने विश्व कल्याणार्थ नित्यवेदपाठ का संकल्प लिया। उनके द्वारा वाग्देवी मन्दिर में नित्य वेद पाठ होगा। इस अवसर पर राज्यमन्त्री ( स्वतंत्र प्रभार) नीलकण्ठ तिवारी के प्रतिनिधि उपस्थित रहे। इसी क्रम में काशी हिंदू विश्वविद्यालय के पूर्व वेदविभागाध्यक्ष प्रो. हृदयरंजन शर्मा ने वेदव्याकरण के सिद्धांत के साथ ही साथ उसके प्रयोग विधि की विस्तृत जानकारी दी। वर्तमान वेद विभागाध्यक्ष प्रो. पतंजलि मिश्र ने स्वर प्रक्रिया का उच्चारणाभ्यास के उपरांत विभिन्न प्रायोगिक तत्त्वों को उद्घाटित किया। उन्होंने वेदों के संरक्षण हेतु प्रतिमाह 5000 रुपये सहयोग राशि देने की घोषणा की।
अध्यक्षता कर रहे कुलपति आचार्य प्रो. राजाराम शुक्ल ने बताया कि वेदों के नित्य पारायण से विश्व का कल्याण होगा। मन्त्रों के शुद्ध उच्चारण से एक अद्भुत उर्जा उत्पन्न होती है, जो पूर्णतः वैज्ञानिक है। उन्होंने यह भी बताया कि वाग्देवी मन्दिर में अन्य वेदों के नित्य पारायण हेतु कार्य योजना तैयार है अतिशीघ्र योजना गतिशील होगी, हम वेदों के संवर्धन, संरक्षण हेतु दृढ़ संकल्पित हैं। संयोजक एवं समन्वयक वेदवेदांग संकायाध्यक्ष प्रो. महेंद्र पाण्डेय ने वेदों के संरक्षण हेतु कई महत्वपूर्ण जानकारी दी। संचालन वेदविभागीय आचार्य डा. विजय कुमार शर्मा ने किया। इस मौके पर आचार्य प्रो. सुधाकर मिश्र, प्रो. अमित कुमार शुक्ल, प्रो. विनय कुमार पाण्डेय, प्रो. ब्रजभूषण ओझा, प्रो. शैलेश पाण्डेय, प्रो. हेतराम कछवाहा, प्रो. हरप्रसाद दीक्षित, डाॅ. मधुसूदन मिश्र, डा. राजा पाठक, डा. ज्ञानेंद्र सापकोटा, डा. शरद नागर, डा. सत्येन्द्र यादव, डा. कुप्पा विल्वेश, डा. कुन्जबिहारी द्विवेदी, डा. अमन्द मिश्र, डा. नितिन आर्य सहित सभी विश्वविद्यालयीय आचार्य, गणमान्य एवं छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे l