वाराणसी में बेसहारा जानवरों का सहारा बने विशाल, पॉकेट मनी से करते हैं दवा और खाने का प्रबंध
मिनी लॉकडाउन में बेजुबान और बेसहारा जानवरों पर आफत टूटी है। सड़कों और गलियों में घूमने वाले इन बेजुबान जानवरों की कोई सुध लेने वाला नहीं है। ऐसे में शहर के कई युवा बेसहारा जानवरों को सहारा बन नई मिसाल पेश कर रहे हैं।
वाराणसी, जेएनएन। मिनी लॉकडाउन में बेजुबान और बेसहारा जानवरों पर आफत टूटी है। सड़कों और गलियों में घूमने वाले इन बेजुबान जानवरों की कोई सुध लेने वाला नहीं है। ऐसे में शहर के कई युवा बेसहारा जानवरों को सहारा बन नई मिसाल पेश कर रहे हैं। जानवरों को खाना खिलाना और उनकी देखभाल करना, अब उनकी दिनचर्या में शामिल हो गया है। बीमार पड़ने वाले जानवरों का अपने खर्च पर इलाज करा यह युवा अन्य लोगों के लिए मिसाल बनकर सामने आ रहे हैं। बेजुबान जानवरों पर लॉकडाउन में टूटी आफत में उनका सहारा बनने के लिए इन युवाओं की तरह लोगों को आगे आना चाहिए।
बचपन से पशु प्रेमी हैं विशाल
इंगलिशिया लाइन क्षेत्र निवासी विशाल सिंह बचपन से ही पशुप्रेमी है। जानवरों को खाना खिलाने व इलाज के बहाने सेवा करना विशाल का शौक है। रोजाना क्षेत्र में घूमने वाली गाय और कुत्तों को नियमित खाना खिलाते हैं। सुबह, दोपहर और शाम तीनो समय सैंकड़ों जानवरों के खाने पीने की जिम्मेदारी उठाई है। अगर कोई जानवर उन्हें बीमार दिखाई देता है तो वह उसका अपने खर्च पर ईलाज करवाने का प्रयास करते हैं। विशाल को जानवरों से प्यार और उनकी मदद करने की प्रेरणा परिजनों से ही मिली। विशाल की माने तो संकट की इस घड़ी में गरीब लोगों के साथ इन बेजुबान जानवरों की मदद के लिए लोगो को सामने आना चाहिए।
लॉकडाउन में बेसहारों को कराया भोजन
विशाल सिंह का सेवा भाव बेजुबान जानवरों तक ही सीमित नहीं है। उन्होंने पिछले साल लॉकडाउन में लाचार और मजबूर लोगों की भी सेवा की। क्षेत्र के उत्साही युवाओं की मदद से जरूरतमंद लोगों में खाना भी बंटवाया। स्थानीय पुलिस भी समय आने पर विशाल से ही मदद मांगती है। इसके अलावा क्षेत्रीय लोगों के हर दुख- सुख में खड़े होने के कारण विशाल की पहचान सबसे अलग है। पेशे से खिलाडी विशाल के उत्कृष्ट कार्यों से प्रभावित स्थानीय पुलिस ने उन्हें सम्मानित करने के लिए उच्चाधिकारियों को पत्र लिखा है।