Virtual Carpet Fair : तोड़कर चीनी बाजार जमाएंगे आस्ट्रेलिया में धाक, ईरानी डिजाइन के कालीन भदोही में तैयार
ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड अभी तक चीनी कालीन को पसंद करते थे। कोरोना ने हालात बदले तो दोनों देशों ने ड्रैगन से कारोबारी रिश्ते तोड़ दिये। व्यापार करने के लिये वह भारत से जुड़ना चाह रहे हैं। मंगलवार को देश भर के करीब 50 निर्यातक वर्चुअल कारपेट फेयर में जुटे।
भदोही, जेएनएन। ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड अभी तक चीनी कालीन को पसंद करते थे। कोरोना ने हालात बदले तो दोनों देशों ने ड्रैगन से कारोबारी रिश्ते तोड़ दिये। व्यापार करने के लिये वह भारत से जुडऩा चाह रहे हैं। अवसर को भुनाने की कोशिश में मंगलवार को देश भर के करीब 50 निर्यातक ऑनलाइन जुटे। वह एक अक्टूबर तक दोनों देशों के ग्राहकों से व्यापारिक संबंध बनाएंगे।
चूंकि ऑस्ट्रेलिया के अधिकतर आयातक ईरानी संस्कृति को अधिक पसंद करते हैं, ऐसे में भदोही समेत कई राज्यों निर्यातकों ने इस संस्कृति को कालीन में इस बार कायदे से उकेरा हुआ है। फेयर में शामिल हुए 50 फीसद निर्यातकों ने ईरान के परंपरागत हैराती, काशान, माही व विजार डिजाइन को कालीनों में गढ़ा है। फेयर के माध्यम से वह ग्राहकों को लुभाने की कोशिश में हैं। इनसे जुड़ी कई तरह की डिजाइनें उनके समक्ष परोसी जा रही हैं। यूं कहें कि तीन दिवसीय इंटरनेशनल कारपेट वर्चुअल फेयर के जरिये चीनी बाजार को तोड़कर अब यूरोपीय देशों को भारत से जोडऩे की कोशिश हुई है तो शायद गलत नहीं होगा।
सिर्फ चार फीसद हिस्सेदारी है भारत की
सीईपीसी की मानें तो आस्ट्रेलिया में भारतीय कालीन बाजार की हिस्सेदारी सिर्फ चार फीसद है। आस्ट्रेलिया की प्रति व्यक्ति जीडीपी 57,071 यूएस डालर है, यह यूएसए के निकट है। वहां बाजार विकसित करने की अपार संभावनाएं हैं, मगर भारतीय उद्यमियों की न्यूजीलैंड में भी व्यवसायिक पकड़ कम है।
बदल चुका है दुनिया का बाजार
कालीन निर्यात संवर्धन परिषद (सीईपीसी) के अधिशासी निदेशक संजय कुमार ने बताया कि दोनों देश मिलकर 90 फीसद कालीन व्यवसाय चीन से करते थे। अब हालात में व्यापक बदलाव आया है। आस्ट्रेलिया व न्यूजीलैंड ने भी चीन से किनारा कर लिया है। ऑस्ट्रेलिया में हैंडनाटेड को काफी पसंद किया जाता है।
कारोबारियों की जुबानी
सरकार की मंशा के अनुरूप सीईपीसी द्वारा वर्चुअल फेयर से बेहतर प्रयास किया जा रहा। परंपरागत बाजारों के हालात को देखते हुए नए बाजार की तलाश करना बेहद जरूरी है। यही देश भर के कालीन को ऊपर उठाने के लिये वक्त की मांग है
-ओंकारनाथ मिश्रा, अध्यक्ष, अखिल भारतीय कालीन निर्माता संघ
चीन के खिलाफ यूरोपीय देशों में चल रहे विरोध की लहर के बीच सीईपीसी का यह प्रयास जरूर रंग लाएगा। आस्ट्रेलिया में कालीन बाजार विकसित करने में सफल हुए तो कालीन उद्योग के लिए बड़ी बात होगी। इसका लाभ भविष्य में मिलेगा।
- संजय गुप्ता, निर्यातक, कालीन