खेल उजागर होने पर वीआइपी ड्राइविंग लाइसेंस बंद, परिवहन कार्यालय में वसूले जाते थे 1500 से 2000 रुपये
परिवहन कार्यालय में वीआइपी ड्राइविंग लाइसेंस बनाने के नाम पर चल रहा खेल उजागर होने पर परिवहन आयुक्त धीरज साहू ने उस पर रोक लगा दी है।
वाराणसी [जेपी पांडेय]। परिवहन कार्यालय में वीआइपी ड्राइविंग लाइसेंस बनाने के नाम पर चल रहा खेल उजागर होने पर परिवहन आयुक्त धीरज साहू ने उस पर रोक लगा दी है। वीआइपी डीएल के नाम पर परिवहन विभाग में 1500 से 2000 रुपये वसूले जा रहे थे। इसकी जांच कराई जा रही है कि पिछले दिनों जिलों में रोज कितने वीआइपी डीएल बनाए गए हैं तथा उनकी हैसियत या बनाने की वजह क्या थी। आदेश होते ही परिवहन विभाग में अफरा-तफरी मच गई है। क्योंकि कई ऐसे अभ्यर्थियों का डीएल वीआइपी के नाम पर बनाया गया जो सामान्य तौर पर हैं, उन्हें अचानक कोई जरूरत नहीं थी।
परिवहन कार्यालय में डीएल के लिए आवेदन करने पर अभ्यर्थी को दो से तीन माह बाद टेस्ट (परीक्षा) देने का मौका मिलता है। उस तिथि पर अभ्यर्थी के नहीं आने पर फिर आगे की तिथि पोर्टल जारी कर देता है।
कई अफसरों पर गिर सकती है गाज
सही तरीके से जांच कराई जाए तो कई परिवहन अधिकारियों पर गाज गिरनी तय हैं, क्योंकि उन्होंने मानक से हट कर वीआइपी डीएल बनाया है। कई एआरटीओ ने अपने चहेतों और बाबू को कंप्यूटर पासवर्ड दे रखा था जो अभ्यर्थी से सौदा करने के बाद उसे पास कर देते थे।
क्यों बनाया वीआइपी श्रेणी
जिले में मंत्री, जनप्रतिनिधि, जिले के आला अफसर, बाहर से छुट्टी पर आए अभ्यर्थी, जिनकी एक-दो दिन के अंदर ट्रेन और प्लेन हो, उन्हें कार्यालय आने में परेशानी हो आदि के लिए बनाई गई श्रेणी।
एटीसी के जांच में पकड़ा
अपर परिवहन आयुक्त (प्रशासन) ने पिछले दिनों भदोही जिले के परिवहन कार्यालय में अचानक छापेमारी कर जांच की तो मालूम चला कि सीसीटीवी कैमरा तीन माह से खराब पड़ा है। मौके पर अभ्यर्थियों का टेस्ट लिया तो एक-दो को छोड़कर कोई पास नहीं हो सका जबकि रोज पास होने वालों की संख्या 70 से 80 थी। गोरखपुर में भी वीआइपी डीएल बनाने का मामला उजागर हुआ है।
वीआइपी डीएल बनाने की प्रक्रिया को बंद कर दिया है
मुख्यालय से वीआइपी डीएल बनाने की प्रक्रिया को बंद कर दिया है। आवेदन करने वाले अभ्यर्थी को टेस्ट के लिए जो तिथि मिलेगी उसी दिन आना पड़ेगा।
- सर्वेश सिंह, एआरटीओ (प्रशासन)।