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आदिवासियों ने पहाड़ का सीना चीर बना दी छह किमी लंबी सड़क तो बदल गई गांव की तस्वीर

पहाड़ का सीना चीरकर, पत्थर वाली भूमि को समतल बनाकर साढ़े छह किमी की लंबी सड़क बना दी।

By Edited By: Published: Wed, 08 Aug 2018 08:45 AM (IST)Updated: Thu, 16 Aug 2018 07:58 AM (IST)
आदिवासियों ने पहाड़ का सीना चीर बना दी छह किमी लंबी सड़क तो बदल गई गांव की तस्वीर

सोनभद्र [आनंद चतुर्वेदी]। आदिवासी इलाके का जिक्र जहां भी होता है झट से लोगों के दिमाग में अति पिछड़े इलाकों की तस्वीर उभरने लगती है। सूबे के सर्वाधिक आदिवासी जनसंख्या वाले जनपद सोनभद्र का चोरपनिया गांव भी अति पिछड़े इलाकों में शामिल था। वर्ष 2014 से पहले तक यहां न तो बिजली थी और न ही गांव तक पहुंचने के लिए सड़क थी। गांव में सरकार ने स्कूल तो बनवा दिया था लेकिन पहाड़ी और दुर्गम इलाका होने के कारण शिक्षक समय से पहुंच नहीं पाते थे।

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जब कभी जाना होता तो नदी, नाला तैरकर या फिर पहाड़ी चढ़कर ही जाना पड़ता था। तभी अचानक गांव के आदिवासियों में खुद के लिए कुछ करने की तमन्ना जागी और बन गये दशरथ मांझी। पहाड़ का सीना चीरकर, पत्थर वाली भूमि को समतल बनाकर साढ़े छह किमी की लंबी सड़क बना दी। इसके बाद जब इसकी जानकारी हुई तत्कालीन सूबे के मुखिया अखिलेश यादव को तो उन्होंने पूरे गांव को बुलाकर सम्मानित किया और उनके जज्बे को सलाम किया। अब गांव में सड़क है, बिजली के सोलर प्लांट स्थापित किया गया है, हर परिवार का घर पक्का हो गया। यूं कहें तो अब गांव की तस्वीर ही बदल गई है।

बच्चों को शिक्षित करने के जज्बे से बढ़ा कदम : जिस चोरपनिया तक पहुंचने के लिए रास्ता नहीं था, गांव पूरी तरह से विकास की किरण से दूर था। उस गांव की तस्वीर बदलने में वहां के आदिवासियों की सोच काम आई। यहां लोगों को लगा कि उनके बच्चे अगर शिक्षित हो जाएंगे तो निश्चित ही उनकी दशा बदल जाएगी।इसलिए ठाना और पहले दिशा तय की और शुरू कर दिए दशा सुधारने का प्रयास। अंतत: नौ दिसंबर 2014 को सड़क बनाने का बीड़ा उठाया और गांव को जोड़ने वाली साढ़े छह किमी लंबी सड़क बना दी।

हर परिवार का एक सदस्य करता था श्रमदान : जिस समय पनारी ग्राम पंचायत के चोरपनिया गांव में सड़क बनाने का बीड़ा उठाया उस समय गांव में रणनीति बनी। उसके तहत हर घर से एक सदस्य श्रमदान के लिए तैयार हुआ। हर सप्ताह रविवार के दिन गांव के सभी परिवार से लोग इकठ्ठा होते थे और श्रमदान कर सड़क बनाने काम करते रहे। यह सिलसिला 22 माह तक लगातार चला। यानी 22 महीने में 6.5 किमी की सड़क बनाकर भगीरथ प्रयास की मिसाल कायम की।

तत्कालीन सीएम ने किया था सम्मानित : श्रमदान कर गांव की तस्वीर बदलने वाले चोरपनिया के आदिवासियों के जज्बे को तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सलाम करते हुए दशकों से खाली पड़ी झोली भर दी। मुख्यमंत्री की नजरों में आने के बाद चोरपनिया में शासन की कई योजनाओं ने दस्तक दी। जिसमे 38 परिवारों को लोहिया आवास, 40 परिवारों को समाजवादी पेंशन, सभी परिवारों को पात्र गृहस्थी का राशनकार्ड,

सभी पात्र परिवारों को सूखा राहत पैकेट, गांव में विद्युतीकरण के लिए पीसीएल का सर्वे, गांव में सौर ऊर्जा प्लांट नेडा द्वारा, ग्रामीण विभाग और लोक निर्माण विभाग द्वारा सड़क की पैमाइश और सर्वे तथा सभी ग्रामीणों को 20-20 हजार का नगद पुरस्कार दिया जा चुका है। इसके अलावा भी समतलीकरण के लिए मेढ़बंधी, गांव में मौजूद मुख्य बंधी का गहरीकरण एवं नई बंधी के निर्माण के लिए भी प्रयास चल रहा है।


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