मुश्किल में गांव की सरकार, वाराणसी में तीन लाख का काम, खाते में सवा लाख से कम
गांव की सरकार इस वक्त मुश्किल में है। खासकर छोटी आबादी वाली ग्राम पंचायतें। 15वें वित्त आयोग की राशि सभी के खाते में आ चुकी है।
वाराणसी [विकास ओझा]। गांव की सरकार इस वक्त मुश्किल में है। खासकर छोटी आबादी वाली ग्राम पंचायतें। 15वें वित्त आयोग की राशि सभी के खाते में आ चुकी है। जो बचे होंगे, उन्हें भी इस सप्ताह तक हर हाल में मिलने की उम्मीद है। शासन ने इस बार पंचायतों को टॉरगेट दिया है कि लॉकडाउन के कारण गांव लौटे श्रमिकों को अधिक से अधिक रोजगार देना है। बरसात के कारण मिट्टी के काम बंद है इसलिए मनरेगा के सहयोग से पक्के निर्माण में श्रमिकों को काम देने पर बल दिया गया है। इसी क्रम में प्रत्येक ग्राम पंचायत में पंचायत भवन, सामुदायिक शौचालय का निर्माण कराया जाना है। हालांकि बहुतायत गांव में पंचायत भवन बन चुका है लेकिन अभी 250 गांव में शेष है। पंचायतों की मानें तो 61 पंचायतों के शहर में शामिल किए जाने के कारण, इस वर्ष 15वें वित्त आयोग की राशि उनके हाथ आने की उम्मीद नहीं है। शेष 699 गांवों में सामुदायिक शौचालय पर न्यूनतम तीन लाख खर्च होने हैं। कुल ब्लाक की बड़ी पंचायतों को दस लाख तो छोटी को सवा लाख रुपये से भी कम वित्त आयोग से मिले हैं। चुनिंदा इन कामों के अलावा भी पंचायतों के पास कार्य की लंबी फेहरिस्त है।
तीन श्रेणी के बनने हैं सामुदायिक शौचालय
प्रत्येक ग्राम पंचायतों में सामुदायिक शौचालय तीन श्रेणी में बनाए जाने हैं। रिवाइज रेट मुताबिक छह सीट वाले शौचालय पर सात लाख 50 हजार रुपये, चार सीट वाली यूनिट पर छह लाख 41 हजार व दो सीट वाले पर तीन लाख 98 हजार रुपये तय है।
15वें वित्त आयोग की तीन हिस्सेदारी
ग्राम पंचायतों को 15वें वित्त आयोग से मिलने वाली अनुदान राशि विगत वर्ष के सापेक्ष कम हो गई है। पहले चौदहवें वित्त आयोग की संस्तुति पर पंचायतों को नब्बे फीसदी धनराशि आवंटित होती थी। वहीं 15वें में सिर्फ 70 फीसद राशि देने का प्रावधान है। 15-15 फीसदी राशि क्षेत्र पंचायत और जिला पंचायत को देने की बात है।
...सब कुछ बयां कर रही चिरईगांव ब्लाक की रिपोर्ट
चिरईगांव विकास खण्ड के 76 ग्राम पंचायतों में प्रथम किस्त के रूप में कुल लगभग ढाई करोड़ की राशि आई है। मुस्तफाबाद, नरायनपुर, उमरहां, बराई, छांही, छितौना, चिरईगांव, गोबरहां, जयरामपुर, जाल्हूपुर, कमौली ग्राम पंचायतों को प्रथम किस्त पांच लाख से अधिक मिले हैं। 19 ग्राम पंचायतें ऐसी हैं जहां दो लाख से अधिक अनुदान मिला है। शेष 46 ग्राम पंचायतों को दो लाख से भी कम राशि प्रथम किस्त के रूप में मिली है। मुस्तफाबाद गांव को सर्वाधिक 9 लाख 32 हजार 555 रुपये और सबसे कम धराधर गांव को एक लाख 10 हजार 704 रुपये मिले हैं। कमोवेश सभी ब्लाकों में है। बहरहाल, कई पंचायतें 14वें वित्त आयोग की शेष राशि के बूते सरकार की मंशा को पंख देने में जुट गई हैं। कुछ अभी उम्मीद में टकटकी लगाए बैठे हैं।