Gyanvapi Masjid Case : ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे की वीडियो और फोटोग्राफ जमा, सात दिनों तक आपत्ति का मौका
ज्ञानवापी मस्जिद मामले में मंगलवार को जिला जज की अदालत में लगातार दूसरे दिन मंगलवार को सुनवाई हुई। इस मामले में अदालत ने 26 मई की नई तिथि तय करते हुए ज्ञानवापी सर्वे पर दोनों पक्षों को आपत्ति दर्ज कराने के लिए सात दिनों का समय दिया है।
वाराणसी, जागरण संवाददाता। ज्ञानवापी मस्जिद विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर आठ सप्ताह में जिला जज द्वारा सुनवाई के क्रम में मंगलवार को दूसरे दिन भी सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान अदालत की ओर से अगली सुनवाई की तिथि 26 मई तय की गई है। अब दोनों ही पक्षों की ओर से मामले की पोषणीयता को लेकर अदालत सुनवाई करेगी। इस लिहाज से प्राथमिकता आधारित यह प्रकरण 26 मई को अदालत में सुना जाएगा। इस दौरान अदालत में अन्य मामलों को लेकर भी चर्चा हो सकती है। वहीं तीसरे मामले में प्राप्त शिवलिंग की पूजा अर्चना को लेकर डा. कुलपति तिवारी को भी सुनवाई में शामिल किया गया है।
मुस्लिम पक्ष की ओर से दायर याचिका मामले में इस मुकदमे की पोषणीयता पर 26 मई की तिथि अदालत की ओर से तय कर दी गई है। अब 26 मई को आर्डर 7 रुल 11 पर सुनवाई के साथ ही वीडियोग्राफी, फोटोग्राफी की कॉपी भी दी जाएगी। इसी दिन यह भी तय होगा कि किन- किन याचिकाओं पर सुनवाई प्राथमिकता पर की जानी है। वहीं अदालत ने निर्देश दिया है कि अगले सात दिन में एडवोकेट कमिश्नर की कार्यवाही पर दोनों पक्ष अपनी आपत्तियां दाखिल कर सकते हैं। इस लिहाज से अब कमीशन की कार्यवाही को लेकर सभी रिपोर्ट का अवलोकन करने के बाद दोनों ही पक्ष अपनी ओर से आपत्ति दाखिल कर सकेंगे। मगर, इसके लिए जिला जज की अदालत की ओर से महज सात दिनों का ही मौका दिया गया है।
वहीं 19 मई को जारी रिपोर्ट के अनुसार सुबह 10.30 बजे विशेष न्यायालय आयुक्त विशाल सिंह द्वारा नक्शा और कागज कमीशन रिपोर्ट के साथ ही तीन अलग अलग सीलबंद बक्सों में वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी के कैमरा चिप विशेष न्यायालय आयुक्त की रिपोर्ट के अनुसार दाखिल किया जा चुका है। वाद लिपिक की ओर से तीनों ही बक्सों को अपनी अभिरक्षा में सुरक्षित रख लिया गया है। इस बाबत दोनों ही पक्ष आपत्तियां अगले सात दिनों में प्रस्तुत कर सकते हैं।
मुस्लिम पक्ष की मांग : मस्जिद कमेटी की सिविल प्रोसीजर कोड के आर्डर 7 रूल नंबर 11 (Order VII Rule 11) के तहत दायर याचिका पर भी अदालत सुनवाई करे। ऑर्डर 7 रूल नंबर 11 के अनुसार कोर्ट किसी केस में तथ्यों की मेरिट पर विचार करने के पूर्व पहले यह तय करती है कि क्या दायर याचिका सुनवाई करने लायक है अथवा नहीं। इसके लिए मुस्लिम पक्ष वर्सिप एक्ट 1991 का भी हवाला दे रहा है कि अब मस्जिद को लेकर हिंदू पक्ष का दावा नहीं बनता है।