Vat Savitri Vrat वाराणसी में सुहागिन महिलाओं ने पति की लंबी आयु के लिए रखा व्रत
वाराणसी में अखंड सौभाग्य का व्रत वट सावित्री का पूजन शुक्रवार को विधि-विधान से वाराणसी में किया गया। इस दौरान शारीरिक दूरी का भी ख्याल रखा गया।
वाराणसी, जेएनएन। अखंड सौभाग्य का व्रत वट सावित्री का पूजन शुक्रवार को विधि-विधान से वाराणसी में किया गया। सुहागिन महिलाओं ने पति की लंबी आयु के लिए बरगद के पेड़ के समीप जाकर पूजन किया। हालांकि कुछ ने कोरोना संकट के कारण शारीरिक दूरी का ख्याल रखते हुए घर में ही पूजन-विधान का रास्ता अपनाया। ज्येष्ठ कृष्ण अमावस्या को मनाए जाने वाले इस व्रत में बरगद के वृक्ष का पूजन और परिक्रमा का विधान है।
ख्यात ज्योतिषाचार्य पं. ऋषि द्विवेदी ने बताया कि सनातन धर्म में मानस पूजा का प्रावधान है। ऐसे में प्रतीक रूप में घर में ही बरगद का चित्र रख कर पूजन किया जा सकता है। ख्यात ज्योतिषाचार्य पं. दीपक मालवीय के अनुसार अमावस्या गुरुवार की रात लगने से शुक्रवार को दिनभर पूजन का मुहूर्त है लेकिन सबसे उत्तम मुहूर्त सुबह दस बजे से दोपहर 12.30 बजे तक था। शास्त्रों में कहा गया है कि वट वृक्ष की जड़ों में ब्रह्मा, तने में भगवान श्रीविष्णु और डालियों में भगवान शंकर का निवास होता है। यह व्रत संतान प्राप्ति के लिए परम हितकारी है। प्रात: स्नान कर व्रत का संकल्प करना चाहिए।
श्री विष्णु का पूजन और अर्चन
विद्वानों के अनुसार सुहागिनों के सामने विकल्प था कि घर में भगवान विष्णु का चित्र रखकर उसके समक्ष पूजा करें। धर्म नगरी काशी में पहली बार व्रत रखने वाली महिलाओं में खासा उत्साह दिखा, उनने बाजार से कच्चा सूत, सौभाग्य की सामग्री जिसमें चूड़ी, बिंदी, सिंदूर, कंघा, आल्ता आदि की खरीदारी भी किया। इन सामग्री को पूजा के अवसर पर दान करने की वैदिक परंपरा है। शहर से लेकर देहात तक वट सावित्री का पूजन महिलाअों ने उत्साह और उल्लास के साथ किया।