Varanasi Weather Update : पुरुवा हवा की नमी के कारण बरसात की पूरी संभावना, तापमान में होगी कमी
बादलों की आवाजाही के बीच धूप के साए में ही वाराणसी और आसपास के जिले के लोगों का समय बीत रहा। विरल होते बादलों के बीच बंगाल की खाड़ी की ओर से आ रही पुरुवा हवाओं की नमी ने बरखा की आस बरकरार रखी है।
जागरण संवाददाता, वाराणसी : बादलों की आवाजाही के बीच धूप के साए में ही वाराणसी और आसपास के जिले के लोगों का समय बीत रहा। विरल होते बादलों के बीच बंगाल की खाड़ी की ओर से आ रही पुरुवा हवाओं की नमी ने बरखा की आस बरकरार रखी है। शुक्रवार को पूर्वी उत्तर प्रदेश में कहीं-कहीं छिटपुट वर्षा हो सकती है। इससे तापमान में और कमी आ सकती है।
वरिष्ठ मौसम विज्ञानी प्रो. एसएन पांडेय बताते हैं कि ट्रफ लाइन हालांकि अब नीचे की ओर उत्तर पश्चिम मध्य प्रदेश चला गया है। फिर भी बंगाल की खाड़ी की ओर से आने वाली नम हवाओं से छिटपुट वर्षा की संभावना बनी हुई है। बीएचयू के मौसम विज्ञानी प्रो. मनोज कुमार श्रीवास्तव भी बताते हैं कि अब ज्यादा तो नहीं लेकिन कहीं-कहीं स्थानीय उष्णता से हवा की नमी मिलकर बूंदाबांदी या छींटों के रूप में वर्षा करा सकती है हालांकि अब इसकी संभावना कम होती जा रही है। बादलों की आवाजाही के बीच अधिकतम तापमान सामान्य से एक डिग्री सेल्सियस नीचे मंगलवार की तरह ही 32.2 डिग्री सेल्सियस बना रहा। जबकि न्यूनतम तापमान 2.4 डिग्री सेल्सियस बढ़कर 25 डिग्री सेल्सियस पर जा पहुंचा।
गंगा के जलस्तर में वृद्धि थमी
गंगा के जलस्तर में वृद्धि दर एक बार फिर बढ़ने के साथ बुधवार की शाम से थम गई। स्थिरता आने के साथ ही रात के नौ बजे तक राजघाट पर गंगा 66.50 मीटर पर बह रही थीं। बीते 36 घंटे में आए उतार-चढ़ाव की बात करें तो बुधवार की सुबह आठ बजे तक गंगाजल में एक सेमी प्रति घंटा की वृद्धि हो रही थी। यह सुबह 11 बजे के बाद आधा सेमी प्रति घंटा हो गई, जो रात के 10 बजे तक जारी रही। रात के बाद गंगा का जलस्तर फिर एक सेमी प्रति घंटा के वेग से बढ़ना शुरू हुआ।
रात के दस घंटों में जलस्तर में 10 सेमी की वृद्धि हुई और यह गुरुवार की सुबह आठ बजे तक जलस्तर 66.46 मीटर पर आ पहुंचा था। सुबह के बाद जलस्तर वृद्धि की दर फिर कम हुई और शाम के चार बजे तक आठ घंटों में पानी चार सेंमी बढ़कर 66.50 मीटर पर आ पहुंचा था। केंद्रीय जल आयोग के मध्य गंगा प्रखंड कार्यालय के अनुसार रात के नौ बजे तक जलस्तर स्थिर बना हुआ था। हालांकि घाटों पर गंगा का पानी लहराता रहा।