अब कूड़े से बनेगा कोयला! वाराणसी में 200 करोड़ की लागत से बने प्लांट के 2 चरणों का ट्रायल पूरा
वाराणसी में एनटीपीसी की ओर से सीएसआर फंड से 200 करोड़ रुपये खर्च कर 16 एकड़ में प्लांट स्थापित किया गया है। रमना में कूड़े से कोयला बनाने वाला वेस्ट टू चारकोल प्लांट (हरित कोयला परियोजना) अगस्त तक सक्रिय हो जाएगा।
जागरण संवाददाता, वाराणसी: रमना में कूड़े से कोयला बनाने वाला वेस्ट टू चारकोल प्लांट (हरित कोयला परियोजना) अगस्त तक सक्रिय हो जाएगा। इससे शहर से रोजाना निकलने वाले लगभग 600 टन कूड़े का शत प्रतिशत निस्तारण होने लगेगा। वहीं फैक्ट्रियों, ईंट भट्ठों को सस्ती दर पर चारकोल उपलब्ध होगा।
200 करोड़ की लागत
एनटीपीसी की ओर से सीएसआर फंड से 200 करोड़ रुपये खर्च कर 16 एकड़ में प्लांट स्थापित किया गया है। नोएडा की कंपनी मैकाबर बीके ने इसे डिजाइन करने के साथ तीन यूनिट का निर्माण किया था। इसमें से दो सक्रिय रहेंगी तो एक स्टैंड बाई में रहेगी। नगर निगम अनुबंध के तहत कूड़ा-कचरा उपलब्ध कराएगा। प्लांट का ट्रायल दो चरणों में किया जा चुका है।
छह टन कचरे से तीन टन चारकोल
पिछले वर्ष अक्टूबर में किए गए ट्रायल में छह टन कचरे से तीन टन चारकोल बनाया गया था। वहीं इस वर्ष चार से सात फरवरी तक चले फाइनल ट्रायल में लक्ष्य के सापेक्ष 72 घंटे में 200 टन कूड़े से 70 टन चारकोल बनाया गया था। इसका परीक्षण भी कराया जा चुका है। रिपोर्ट के आधार पर सरकार प्लांट संचालन को हरी झंडी दे चुकी है।
नगर आयुक्त ने किया निरीक्षण
नगर आयुक्त शिपू गिरि ने रविवार को दोनों प्लांटों का निरीक्षण किया। वेस्ट टू चारकोल प्लांट के संबंध में एनटीपीसी के प्रतिनिधि ने उनसे अगस्त तक प्लांट के क्रियाशील होने की संभावना जताई। सीएंडडी वेस्ट प्रासेसिंग प्लांट के बारे में भी संबंधित अधिकारियों ने आश्वस्त किया।
नगर आयुक्त ने 50 एमएलडी क्षमता की रमना एसटीपी का भी निरीक्षण किया। इसे पूरी क्षमता से क्रियाशील और शोधित जल मानक अनुरूप पाया गया। वहीं 500 निराश्रित गोवंश क्षमता वाले छितौनी स्थित कान्हा उपवन के निरीक्षण में ईयर टैगिंग नहीं किए जाने पर पशुचिकित्साधिकारी को तत्परता बरतने का निर्देश दिया।
सीएंडडी वेस्ट प्रासेसिंग प्लांट में लगेगी वेट लाइन मशीन
रमना में ही संचालित सीएंडडी वेस्ट प्रासेसिंग प्लांट में वेट लाइन मशीन लगाई जा रही है। इसका भी संचालन अगस्त तक होने लगेगा। इससे भवन निर्माण या अन्य कार्यों से निकलने वाले वेस्ट से इंटरलाकिंग, टाइल्स, ईंटें आदि बनाई जाएंगी। खास यह कि यह काफी सस्ती दर पर लोगों को उपलब्ध होगा। अभी इस 200 टीपीडी क्षमता के प्लांट में भवन निर्माण या अन्य कार्यों से निकले मलबे से सीमेंट बनाया जा रहा है।