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Varanasi News: तुर्किये में मदद को बनारस से पहुंचे NDRF के जांबाज जवान, प्रशिक्षित कुत्ते भी हैं टीम में शामिल

Varanasi News- भूकंप त्रासदी से बुरी तरह प्रभावित तुर्किये में मदद के लिए 11वीं एनडीआरएफ के 51 जांबाज जवान बनारस से पहुंचे हैं। वे बचाव कार्य के लिए जरूरी उपकरण और प्रारंभिक चिकित्सा के लिए दवाएं ले गए हैं।

By devendra nath singhEdited By: Shivam YadavPublished: Wed, 08 Feb 2023 08:27 PM (IST)Updated: Wed, 08 Feb 2023 08:27 PM (IST)
टीम के साथ दो प्रशिक्षित कुत्ते भी हैं, जो बचाव कार्य में अहम भूमिका निभाएंगे।

वाराणसी, जागरण संवाददाता: भूकंप त्रासदी से बुरी तरह प्रभावित तुर्किये में मदद के लिए 11वीं एनडीआरएफ के 51 जांबाज जवान बनारस से पहुंचे हैं। वे बचाव कार्य के लिए जरूरी उपकरण और प्रारंभिक चिकित्सा के लिए दवाएं ले गए हैं। टीम के साथ दो प्रशिक्षित कुत्ते भी हैं, जो बचाव कार्य में अहम भूमिका निभाएंगे। अन्य टीम भी अलर्ट मोड में हैं। शासन से इनकी रवानगी का निर्देश आदेश आते ही तुर्किये के लिए रवाना हो सकते हैं।

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कमांडेंट मनोज कुमार शर्मा ने बताया कि तुर्किये में भूकंप से भारी जनहानि के बाद ही शासन से अलर्ट का निर्देश मिला था। बुधवार सुबह टीम को रवाना होने का आदेश आया। साथ ही लेने के लिए एयरफोर्स का विमान सुबह 9.40 बजे बाबतपुर स्थित लालबहादुर शास्त्री हवाई अड्डे पर आया। इसके पहले चौकाघाट से 51 जवानों की टीम पूरे साजो-सामान के साथ हवाई अड्डे पर पहुंच चुकी थी। 

यहां से सभी गाजियाबाद के हिंडन हवाई अड्डे पहुंचे। अन्य टीम व सहायता सामग्री के साथ तुर्किये के लिए रवाना हुए। आठ घंटे का हवाई सफर पूरा करके देर रात तुर्किये के अदाना हवाई अड्डे पर उतरे। वहां से सड़क मार्ग से चलकर लगभग ढाई घंटे में नूरडग गाजिनटेप पहुंचे और बचाव कार्य शुरू कर दिया। बनारस से गई जवानों की टीम में मेडिकल स्टाफ, इंजीनियर, मैकेनिकल स्टाफ के साथ बचाव कार्य में दक्ष जवान हैं। नेतृत्व डिप्टी कमांडेंट अभिषेक कुमार राय कर रहे हैं।

तुरंत तैयार हुआ पासपोर्ट

तुर्किये के लिए रवाना होने वाले जवानों के पासपोर्ट का इंतजाम शासन ने 24 घंटे से भी कम समय में किया। उनकी जानकारी फार्म में भरकर गृह मंत्रालय को दी गई थी। पूरी तैयारी अलर्ट के निर्देश के बाद ही कर ली गई थी। तुर्किये पहुंचने पर सभी को आन अराइवल वीजा दिया जाएगा।

मौसम है बड़ी चुनौती

तुर्किये में इस समय तापमान माइनस तीन डिग्री है। ऐसे में बचाव कार्य के लिए गए जवानों के सामने मौसम बड़ी चुनौती होगा। इसे देखते हुए जवान गरम कपड़े साथ ले गए हैं। वहां संचार माध्यमों का पूरी तरह ध्वस्त होना भी बचाव कार्य में बड़ी चुनौती है।

दिल की धड़कन सुन लेगी मशीन

तुर्किये पहुंचे जवान अपने साथ बचाव कार्य के लिए जरूरी अत्याधुनिक उपकरण ले जा गए हैं। इनमें कंक्रीट कटर, आयरन कटर, वुडेन कटर, लोकेशन कैमरे, कई तरह की ड्रिल मशीनें उनके पास हैं। सेंसर मशीन भी है जो मलबे में दबे लोगों की दिल की धड़कन सुनकर पता लगा लेती है। अन्य उपकरणों के साथ चार वाहन भी साथ ले गए हैं। इनमें एक बस, एक ट्रक व दो छोटे वाहन हैं।

साथ में हैं सारे साजो-सामान

11 एनडीआरएफ जवान के पास वो सभी जरूरी साजो-सामान हैं जिनकी उन्हें वहां जरूरत होगी। तीन सप्ताह का राशन, ठहरने के लिए टेंट, मशीनों को चलाने के लिए ईंधन भी उनके पास हैं। इसके अलावा किसी भी सामान की आवश्यकता होने पर तुर्किये में मौजूद भारतीय दूतावास उपलब्ध कराएगा।

बाब और राक्सी पर होगी बड़ी जिम्मेदारी

51 जवानों के बचाव दस्ते के साथ दो प्रशिक्षित कुत्ते भी हैं। इनमें से एक मेल बाब और दूसरी फिमेल राक्सी है। दोनों लेब्राडोर प्रजाति के हैं। पिछले छह सालों से एनडीआरएफ के साथ हैं। मलबे में दबे लोगों को ढूंढने की बड़ी जिम्मेदारी इन पर होगी। दोनों ऐसे बचाव कार्य में प्रशिक्षित हैं। नेपाल में हुए हादसे में कई लोगों की जान बचाकर अपनी अहमियत साबित कर चुके हैं। मौसम से बचाने के लिए इनके भी विशेष कपड़े कोट आदि ले जाए गए हैं।


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