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वाराणसी नगर निगम सदन : भ्रष्टाचार के आरोप और हंगामा के बीच पास हो गया 675 करोड़ का बजट

वाराणसी नगर निगम के 675.59 करोड़ के पुनरीक्षित बजट 2020-21 पर सदन ने मुहर लगा दी। इसमें लिए सदन में मौजूद 71 पार्षदों ने चर्चा की। इस दौरान गृहकर व जलकल वसूली के साथ ही नगर निगम के वाहनों पर होने वाले व्यय को लेकर भ्रष्टाचार के आरोप भी उछले।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Thu, 28 Jan 2021 05:40 AM (IST)Updated: Thu, 28 Jan 2021 09:16 AM (IST)
वाराणसी नगर निगम सदन की बैठक को संबोधित करते महापौर मृदुला जायसवाल।

वाराणसी, जेएनएन। नगर निगम के 675.59 करोड़ के पुनरीक्षित बजट 2020-21 पर सदन ने मुहर लगा दी। इसमें लिए सदन में मौजूद 71 पार्षदों ने साढ़े तीन घंटे तक चर्चा की। इस दौरान गृहकर व जलकल वसूली के साथ ही नगर निगम के वाहनों पर होने वाले व्यय को लेकर भ्रष्टाचार के आरोप भी उछले। इसको लेकर जमकर हंगामा भी हुआ। अफजाल अंसारी ने गृहकर को लेकर एक भ्रष्टाचार के प्रकरण को सदन के समक्ष रखा तो नगर आयुक्त गौरांग राठी ने कहा कि ऐसे मामलों को संज्ञान में ले लिया गया है। जांच कराकर दोषियों के खिलाफ एफआइआर होगा। इसमें सुविधा शुल्क देने वाला भी कार्रवाई की जद में आएगा। यह सुनकर तल्ख चर्चा में ठहाके गूंज उठे। हालंाकि, इस दौरान जलकल के आय-व्यय को लेकर चर्चा नहीं हुई जबकि पार्षद सीता शर्मा समेत अन्य ने चर्चा की मांग भी की।

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नामित पार्षदों के परिचय के बाद दोपहर 12 बजे से शुरू हुई सदन की बैठक बिना किसी रुकावट के शाम 3.30 बजे तक चली। कई मदों में आय कम दिखाने पर पार्षदों ने ऐतराज जताया। इस पर नगर निगम प्रशास ने कोरोना काल में कम आय का हवाला दिया। कार्यकारिणी और सदन से पास बजट में आठ करोड़ का अंतर है। इसको लेकर नगर निगम प्रशासन ने सदन को अवगत कराया कि 15वें राज्य वित्त आयोग से पार्षद कोटे के आठ करोड़ का अतिरिक्त बजट भी संलग्न किया गया है। कार्यकारिणी ने करीब 667 करोड़ के बजट को स्वीकृति दी थी।

इंस्पेक्टर का काम कर रहे बेलदार

कर से आय पर चर्चा हुई तो अधिकारियों पर पार्षदों की भृकुटी तन गई। भाजपा पार्षद शंकर साहू ने जीआई सर्वे को कटघरे में खड़ा किया। कहा, भवनों का कर मूल्यांकन टैक्स इंस्पेक्टर की बजाए बेलदार कर रहे हैं। सिकरौल पार्षद दिनेश सिंह ने कहा कि अधिकारी केवल नोटिस देते हैं। आय को भूल जाते हैं। मुख्य कर निर्धारण अधिकारी पीके द्विवेदी ने कहा कि जीआइएस सर्वे का काम शासन स्तर से हुआ है। 11 बिंदुओं पर सर्वे रिपोर्ट शीघ्र ही सदन के पटल होगी। सर्वे में दो लाख 45 हजार भवन सामने आए हैं।

यूनिपोल से आय पर उठे सवाल

यूनिपोल से होनी वाली आय पर चर्चा हुई। सदस्यों ने पूछा कि 76 यूनिपोल से कितनी आय होती है। विज्ञापन अधिकारी आशीष ओझा ने बताया कि चार माह में 31 पोल से 25 लाख की आमदनी हुई है। चूंकि कोरोना के चलते इस बार टेंडर का काम देरी से शुरू हुआ जिसके चलते आय प्रभावित हुई। इसके लिए 140 लोगों को नोटिस भेजी गई है। नगर आयुक्त गौरांग राठी ने कहा कि अगर सदन की मंशा होगी तो विज्ञापन का काम भी आनलाइन किया जाएगा। सपा पार्षद हारून अंसारी ने सुझाव दिया कि पुलिस स्टेशनों व प्राइवेट घरों पर लगने वाले विज्ञापनों से भी मामूली शुल्क लिया जाए। अपर नगर आयुक्त देवी दयाल वर्मा ने कहा कि नगर निगम की संपत्तियों का ब्योरा तैयार किया जा रहा है।

बीएचयू पर 33 करोड़ गृहकर बकाया पार्षदों ने गृहकर से होने वाली 66 करोड़ के बजट पर चर्चा किया। बीएचयू का वर्षों से बकाया नहीं वसूलने पर नगर निगम के अधिकारियों की मंशा पर सवाल उठाया। कहा कि अगर बीएचयू से 33 करोड़ की बकाया वसूल हो जाती तो आय बढ़ जाती। एक मुश्त धन मिलने से विकास के कार्यों को गति मिलती। नगर आयुक्त ने कहा कि वसूली के लिए विभागीय कार्यवाही हो रही है।

कबाड़ वाहनों को करें नीलाम

सदन में नगर निगम के कबाड़ हो चुके वाहनों को नीलाम करने का मामला उठा। महापौर मृदुला जायसवाल ने नगर आयुक्त से पूछा कि बिना किसी तकनीकि पक्षों को रखे हुए यह बताएं कि किस आधार पर गाडिय़ों को कबाड़ घोषित किया जाता है। संदीप त्रिपाठी ने बताया गाडिय़ों के निस्तारण के लिए जो समिति बनाई गई है उसमें अधिकारी मनमानी करते हैं। समिति में दो पार्षद हैं। उन्हेंं मौके का केवल भ्रमण कराया जाता है, असल स्थिति से अवगत नहीं कराया जाता है। उन्होंने आप बीती बताते हुए बताया कि 12 मार्च को केवल आदमपुर जोन व करसड़ा में खड़ी गाडिय़ों को दिखाया गया लेकिन गायब हुए पाट्र्स के बारे में नहीं बताया गया। बाद में अधिशासी अभियंता अजय राम ने सदन को अवगत कराया  कि मूल्यांकन के आधार पर गाडिय़ों को कबाड़ घोषित कर नीलाम किया जाता है। नगर आयुक्त ने बताया कि गाडिय़ों की पाॄकग के लिए तीन जगहों को बनाया गया है। उन्होंने पिछले साल की कार्रवाई से अवगत कराते हुए कहा कि गाडिय़ों के पाट्र्स बदलने के मामले पर बीते साल कई लोगों पर कार्रवाई की जा चुकी है।  सख्ती करके हर माह ढाई लाख बचा रहे हैं। प्रयास यह है कि विदेश की महंगी गाडिय़ों में केवल एक पाट्र्स पर अगर लाखों रुपया खर्च हो रहा है तो उसके बदले नई वर्जन की गाड़ी को खरीदकर संचालन कराया जाता है। यह भी चेक किया जाता है कि दाम से ज्यादा रिपेयरिंग पर तो खर्च नहीं आ रहा।

इन लोगों ने भी रखी बात

उप सभापति नरसिंह दास, सुशील गुप्ता योगी, अशोक मौर्या, बृजेश श्रीवास्तव, बबलू शाह, सुनील सोनकर, शिव प्रकाश मौर्या, बृजेशचंद्र श्रीवास्तव, रवींद्र सिंह, राजेश पासी, गोपाल यादव, मिथिलेश साहनी, कमल पटेल, सफीकुज्जमा अंसारी, राजेश यादव चल्लू, प्रशांत सिंह पिंकू, कुंवर कृष्णकांत सिंह आदि।


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