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वाराणसी नगर निगम : परिवहन घोटाले में पांच निलंबित, चार फर्मों के खिलाफ दर्ज होगी FIR

नगर निगम के परिवहन घोटाले की रिपोर्ट आने के बाद नगर आयुक्त गौरांग राठी ने अवर अभियंता सहित पांच कर्मचारियों को निलंबित कर दिया है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Thu, 27 Feb 2020 06:22 PM (IST)Updated: Fri, 28 Feb 2020 10:20 AM (IST)
वाराणसी नगर निगम : परिवहन घोटाले में पांच निलंबित, चार फर्मों के खिलाफ दर्ज होगी FIR
वाराणसी नगर निगम : परिवहन घोटाले में पांच निलंबित, चार फर्मों के खिलाफ दर्ज होगी FIR

वाराणसी, जेएनएन। नगर निगम के परिवहन घोटाले की रिपोर्ट आने के बाद नगर आयुक्त गौरांग राठी ने अवर अभियंता सहित पांच कर्मचारियों को निलंबित कर दिया है। इस मामले मेें तत्कालीन परिवहन प्रभारी अजय राम के खिलाफ कार्रवाई के लिए शासन को पत्र लिखा गया है। साथ ही नगर निगम में सामानों की आपूर्ति करने वाली चार फर्मों के खिलाफ एफआइआर और छह को ब्लैक लिस्टेड किया गया।

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ये जानकारी नगर आयुक्त गौरांग राठी ने नगर निगम के कार्यकारिणी कक्ष में आयोजित पत्रकार वार्ता में दी। निलंबित कर्मचारियों में अवर अभियंता ललित मोहन श्रीवास्तव, सहायक फीटर संतोष कुमार के अलावा परिवहन विभाग में लिपिक रहे वाचस्पति मिश्रा, दिनेश कुमार और नवनीत कुमार शामिल है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2018-19 के दौरान वाहनों और उसके कलपुर्जों की खरीद की जांच में केवल 22.48 लाख के टायर ट्यूब के खरीद में ही धांधली सामने आई है। इसमें घोटाले की राशि दस से बीस फीसद तक ही हो सकती है। उन्होंने कहा कि पूरा कागज नहीं मिलने से वास्तव में कितने का घोटाला हुआ है यह तय नहीं किया जा सकता है। अभी भी 19 लाख की 158 पत्रावलियां गायब है। उसकी खोजबीन की जा रही है। नगर आयुक्त ने बताया कि जांच में यह सामने आया है कि ड्राइवरों द्वारा वाहनों के लिए जो सामान मांगा गया है उससे अधिक सामान की खरीदारी हुई है। इसमें 1.85 लाख की खरीदारी की गई है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2016-17 के दौरान 2.22 करोड़ से जेसीबी, डंपर और हापर की खरीदारी की गई थी। इन वाहनों के मरम्मत पर वर्ष 2018-19 में 8.66 लाख का नुकसान हुआ है। इसमें कई वाहनों का मरम्मत आठ से दस बार कराया गया है। साथ ही इसके स्पेयर पार्ट की कहीं इंट्री नहीं की गई है।

इससे पूर्व अपर नगर आयुक्त देवी दयाल वर्मा की नेतृत्व वाली जांच समिति ने बुधवार को रिपोर्ट सौंप दी थी। इससे बाद से कर्मचारियों मेें बेचैनी बढ़ गई थी। नगर आयुक्त गौरांग राठी ने पहली जांच के आधार पर परिवहन के प्रभारी अजय राम और अवर अभियंता ललित मोहन श्रीवास्तव के वेतन आहरण पर रोक लगाया था। इसके बाद दूसरी जांच समिति को तथ्यात्मक जांच के लिए गठित की थी। इसके बावजूद डेढ़ महीने से अधिक समय में किए गए जांच में समिति ने एक भी कर्मचारी पर नहीं तय हुई देनदारी तय नहीं कर पाई। जबकि नगर आयुक्त ने कहा कि दूसरी जांच समिति कागजात का गहनता से अध्ययन कर सभी आरोपियों पर देनदारियों को तय करेगी।

एक पखवारे में जवाब नहीं देने पर होगा एफआइआर

नगर आयुक्त ने कहा कि पांचों कर्मचारियों को निलंबन की नोटिस दी जाएगी। इसके बाद उनसे जवाब मांगा जाएगा। इसके बाद उनके खिलाफ नगर निगम एफआइआर दर्ज कराएगा। उन्होंने कहा कि हम सभी प्रक्रियाओं का पालन करते हुए चल रहे है जिससे बाद में कोई दिक्कत न हो। उन्होंने बताया कि कदाचार में शामिल होने पर एफआइआर दर्ज करना विधि सम्मत प्रक्रिया नहीं है। ऐसे में कर्मचारी को न्यायालय से राहत मिल सकती है। इसे देखते हुए उनके जवाब आने के बाद एफआइआर दर्ज कराया जाएगा।

वर्ष 2014-18 तक के कार्यों के लिए लिखेंगे शासन को

पत्रकार वार्ता के दौरान नगर आयुक्त ने माना कि यह प्रक्रिया पहले से चली आ रही है। ऐसे में शासन अगर जरूरत समझे तो इस मामले की वर्ष 2014 से 18 तक के कार्यों की जांच कराए। इसके लिए शासन को लिखेंगे। उन्होंने कहा कि हमारे पास जांच करने के उतने संसाधन नहीं है।

नगर निगम नहीं मानता है घोटाला

प्रेसवार्ता के शुरू में ही नगर आयुक्त ने कहा कि तथाकथित घोटाले की रिपोर्ट में ऐसा कुछ भी नहीं है जिससे यह साबित हो सके कि कितने का घोटाला हुआ है।  उन्होंने कहा कि इसमें प्रकियात्मक अनियमितता सामने आई है। यह सिस्टम फेल्योर है। लाग बुक तक मैंटेन नहीं कया गया है।

लखनऊ में कर्मचारियों को मिली है  रिकवरी नोटिस

इस माह के शुरू में लखनऊ नगर निगम के परिवहन विभाग में हुए घोटाले की रिपोर्ट आने के बाद शामिल कर्मचारियों से रिकवरी की नोटिस जारी की जा चुकी है। वहां पांच कर्मचारियों पर 80 लाख की देनदारी तय की गई है।


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