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Varanasi Gyanvapi Case : अविनाशी शिव के अस्तित्व की जांच की आवश्यकता नहीं, वकील हरिशंकर जैन और विष्णु शंकर ने कोर्ट में दी दलील

ज्ञानवापी-शृंगार गौरी प्रकरण में जिला जज की अदालत में हुई सुनवाई में ज्ञानवापी परिसर में मिले शिवलिंग के आयु निर्धारण पर बहस हुई। मंदिर पक्ष के वादी संख्या दो से पांच की ओर से शिवलिंग के आयु निर्धारण के लिए दिए प्रार्थना पत्र पर उनके वकील ने अपनी दलील दी।

By devendra nath singhEdited By: Saurabh ChakravartyPublished: Thu, 29 Sep 2022 07:24 PM (IST)Updated: Thu, 29 Sep 2022 07:24 PM (IST)
ज्ञानवापी-शृंगार गौरी प्रकरण में जिला जज की अदालत में सुनवाई के दौरान हरिशंकर जैन, विष्‍णु जैन और वादीगण।

जागरण संवाददाता, वाराणसी : ज्ञानवापी-शृंगार गौरी प्रकरण में जिला जज की अदालत में गुरुवार को हुई सुनवाई में ज्ञानवापी परिसर में मिले शिवलिंग के आयु निर्धारण (कार्बन डेटिंग) पर बहस हुई। मंदिर पक्ष के वादी संख्या दो से पांच की ओर से शिवलिंग के आयु निर्धारण के लिए दिए गए प्रार्थना पत्र पर उनके वकील ने अपनी दलील दी।

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वादी संख्या एक के वकील ने इसका विरोध किया और कहा कि अविनाशी शिव के अस्तित्व की जांच की आवश्यकता नहीं है। मस्जिद पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट का हवाला देते हुए विरोध किया। अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रखा है। अगली सुनवाई सात अक्टूबर को होगी।

शिवलिंग की कार्बन डेटिंग या अन्य वैज्ञानिक विधि ( ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार) के जरिए जांच की जाए

राखी सिंह समेत पांच महिलाओं की ओर से शृंगार गौरी के नियमित दर्शन-पूजन समेत अन्य मांगों को लेकर दाखिल मुकदमे की सुनवाई दोपहर तीन बजे जिला जज डा. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत में शुरू हुई। मंदिर पक्ष की मंजू व्यास, लक्ष्मी देवी, रेखा पाठक और सीता साहू (वादी संख्या दो से पांच) की ओर से अदालत में दाखिल शिवलिंग के आयु निर्धारण के प्रार्थना पत्र उनके वकील हरिशंकर जैन व विष्णु शंकर जैन ने दलील दी। उन्होंने कहा कि ज्ञानवापी परिसर में एडवोकेट कमिश्नर की कार्रवाई के दौरान मिले शिवलिंग की कार्बन डेटिंग या अन्य वैज्ञानिक विधि ( ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार) के जरिए जांच की जाए।

ताकि उसके ताकि उसकी आयु, धातु व विशेषता आदि का पता लगाया जा सके। इसके लिए भारतीय पुरात्व सर्वेक्षण के विशेषज्ञों की कमीशन बनाई जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि शिवलिंग के आयु का निर्धारण मुकदमे के फैसले में अहम भूमिका निभा सकता है।

वादी संख्या एक राखी सिंह के वकील मानबहादुर सिंह व अनुपम द्विवेदी ने इसका विरोध किया। मानबहादुर सिंह ने अदालत में कहा कि शिवलिंग में भगवान शंकर बसते हैं जो अविनाशी हैं। उनके अस्तित्व की जांच नहीं हो सकती है। कार्बन डेटिंग की प्रक्रिया में शिवलिंग के कुछ हिस्सों को खुरचकर जांच करनी होगी।

शिवलिंग के आयु निर्धारण का विरोध किया

ऐसे में शिवलिंग खंडित हो जाएगा। हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार खंडित शिवलिंग की पूजा नहीं हो सकती है। साथ ही कहा कि यह मूल मुकदमे का विषय नहीं है। इसे मुकदमे में शामिल करने से मूल मुकदमा प्रभावित होगा। इसके साथ ही मस्जिद पक्ष के वकील मेराजुद्दीन सिद्दिकी ने भी वादी शिवलिंग के आयु निर्धारण का विरोध किया। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने उक्त स्थान को सील करने के साथ वहां किसी तरह के छेड़छाड़ न करने का आदेश दिया है।

ऐसे में वहां किसी तरह की जांच की मांग सुप्रीम कोर्ट में ही की जा सकती है। साथ ही कहा कि जिसे मंदिर पक्ष शिवलिंग बताकर उसके आयु निर्धारण की बात कह रहा है वह एडवोकेट कमिश्नर की कार्रवाई के दौरान मिला था। अभी तक अदालत ने एडवोकेट कमिश्नर की कार्रवाई की रिपोर्ट को स्वीकार भी नहीं किया है।

ऐसे में इस तरह की मांग नहीं की जा सकती है। अदालत इस मामले में पक्षकार बनने के लिए दिए गए प्रार्थना पत्रों व वादी संख्या एक राखी सिंह की ओर से करमाइकल लाइब्रेरी की खोदाई में मिले गणेश लक्ष्मी की मूर्ति को सुरक्षित रखने के प्रार्थना पत्र पर सुनवाई अगली तिथि में करेगी।


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