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Varanasi Gyanvapi Case : अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी के प्रार्थना पत्र पर सोमवार को सुनवाई

वाराणसी के ज्ञानवापी परिसर में कमीशन की कार्यवाही कर रहे एडवोकेट कमिश्नर को बदलने के लिए अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी की ओर से सिविल जज (सीनियर डिवीजन) रवि कुमार दिवाकर की अदालत में शनिवार को दाखिल प्रार्थना पत्र पर सोमवार को सुनवाई होगी।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Sun, 08 May 2022 10:15 PM (IST)Updated: Sun, 08 May 2022 10:15 PM (IST)
Varanasi Gyanvapi Case : अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी के प्रार्थना पत्र पर सोमवार को सुनवाई
अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी की ओर से शनिवार को दाखिल प्रार्थना पत्र पर सोमवार को सुनवाई होगी।

जागरण संवाददाता, वाराणसी : ज्ञानवापी परिसर में कमीशन की कार्यवाही कर रहे एडवोकेट कमिश्नर को बदलने के लिए अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी की ओर से सिविल जज (सीनियर डिवीजन) रवि कुमार दिवाकर की अदालत में शनिवार को दाखिल प्रार्थना पत्र पर सोमवार को सुनवाई होगी। अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी के अधिवक्ताओं ने एडवोकेट कमिश्नर की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए उन्हें बदलने की अदालत से अपील की है। अदालत ने एडवोकेट कमिश्नर और वादी पक्ष को अपना पक्ष रखने का अवसर देते हुए उनसे आपत्ति मांगी है।

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अदालत का कहना था कि इस प्रकरण में प्रतिवादी अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी द्वारा एडवोकेट कमिश्नर पर प्रश्नचिह्न लगाया गया है, जबकि प्रतिवादी शासन, प्रशासन व पुलिस आयुक्त की ओर से शासकीय अधिवक्ता द्वारा एडवोकेट कमिश्नर को निष्पक्ष कहा गया है। प्रार्थना पत्र की प्रति अभी तक वादी पक्ष के अधिवक्ताओं को प्राप्त नहीं कराई गई है और न ही एडवोकेट कमिश्नर अपना पक्ष रखने के लिए उपस्थित हुए हैं। ऐसे में न्यायोचित होगा कि प्रार्थना पत्र की प्रति वादी पक्ष को दी जाए।

अंजुमन इंतजामिया मसाजिद के अधिवक्ताओं का आरोप है कि एडवोकेट कमिश्नर द्वारा सर्वे के दौरान उनकी आपत्तियों पर ध्यान नहीं दिया गया। छह मई को निरीक्षण के दौरान एडवोकेट कमिश्नर की न्यायिक प्रक्रिया निष्पक्ष नहीं थी। वादी पक्ष के अधिवक्ताओं के दिए जा रहे निर्देश के अनुरूप कार्यवाही की जा रही थी। उनके द्वारा लिखित रुप से विरोध किया गया। इसके बावजूद भी कमीशन की कार्यवाही के लिए सात मई की तिथि और तीन बजे का समय निर्धारित किया गया। अधिवक्ताओं ने एडवोकेट कमिश्नर की कार्यप्रणाली पर कई सवालिया निशान लगाए।

सुनवाई के दौरान प्रशासन की ओर से उपस्थित जिला शासकीय अधिवक्ता (सिविल) महेंद्र प्रसाद पांडेय द्वारा न्यायालय को बताया गया कि छह मई को कमीशन की कार्यवाही सुचारु ढंग से संपादित की गई। इनके बदलने की दरखास्त विधिक प्रक्रिया का दुरुपयोग है।

इस प्रकरण में एडवोकेट कमिश्नर और वादी पक्ष के अधिवक्ताओं का पक्ष आने के बाद अदालत द्वारा अग्रिम आदेश जारी किया जाएगा। एडवोकेट कमिश्नर द्वारा कमीशन कार्यवाही की रिपोर्ट भी अदालत में प्रस्तुत की जानी है, जिसपर सुनवाई के लिए पहले से ही दस मई की तिथि मुकर्रर है।

ज्ञानवापी का केस वापस नहीं लेगा वादी पक्ष

ज्ञानवापी प्रकरण में वादी पक्ष दो धड़ों में बंटता नजर आ रहा है। जिस विश्व वैदिक सनातन संघ के नेतृत्व में पांच महिलाओं ने यह वाद दायर किया था, उसके प्रमुख केस वापस लेने की बात कह रहे हैं। हालांकि वाद दायर करने वाली चार महिलाओं ने केस वापस लेने से इन्कार किया है। विश्व वैदिक सनातन संघ के प्रमुख जितेंद्र ङ्क्षसह बिसेन का कहना है कि मुकदमा वापस लेने की बात कही है। ऐसा इंटरनेट मीडिया पर वायरल है। इस संबंध में उनसे बात करने की कोशिश की गई, लेकिन बार-बार फोन काटने से बात नहीं हो सकी। पुलिस प्रशासन भी उनकी तलाश कर रहा है कि आखिर ऐसा क्या हुआ कि उन्होंने ऐसा निर्णय लिया।

बता दें कि जितेंद्र सिंह बिसेन के नेतृत्व में ही दिल्ली की राखी सिंह, मंजु व्यास, सीता साहू, लक्ष्मी देवी व रेखा पाठक ने अदालत में श्रृंगार गौरी के नियमित दर्शन के लिए अगस्त 2021 में अदालत में मुकदमा दाखिल किया था। यह पांचों महिलाएं भी विश्व वैदिक सनातन संघ की सदस्य हैं। राखी सिंह को छोड़कर अन्य वादी महिलाओं ने मुकदमा वापस लेने की बात से इन्कार किया है। इस संबंध में वादी पक्ष के वरिष्ठ अधिवक्ता हरिशंकर जैन का कहना है कि यदि एक वादी के मुकदमा वापस लेने पर भी कोई इस मामले में कोई भी प्रभाव नहीं पड़ेगा, क्योंकि चार अन्य महिलाएं भी वादी पक्ष की हैं।


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