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वाराणसी के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी का मकान खंडहर में तब्‍दील, परिवार मनरेगा में काम करने को मजबूर

वाराणसी में आराजी लाइन विकास खंड के सजोई गांव निवासी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्व. नन्‍हकू गिरी का परिवार जर्जर मकान में रहने को मजबूर है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Sun, 19 Jul 2020 03:53 PM (IST)Updated: Sun, 19 Jul 2020 06:06 PM (IST)
वाराणसी के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी का मकान खंडहर में तब्‍दील, परिवार मनरेगा में काम करने को मजबूर
वाराणसी के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी का मकान खंडहर में तब्‍दील, परिवार मनरेगा में काम करने को मजबूर

वाराणसी, जेएनएन। आराजी लाइन विकास खंड के सजोई गांव निवासी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्वर्गीय नन्‍हकू गिरी का परिवार खंडहर मकान में रहता है और भरण पोषण के लिए मनरेगा में मजदूरी भी करता है। आश्‍चर्य की बात यह है कि परिवार को सरकार की ओर से आज तक कोई सुविधा नहीं मिली है। बताया जाता है कि स्वतंत्रता संग्राम सेनानी नन्हकू गिरी की मृत्यु 13 मार्च 1992 को हो गया था। मृत्‍यु के बाद उनकी पत्नी मरजादी देवी को जिला प्रशासन की तरफ से हर वर्ष 15 अगस्त व 26 जनवरी पर बुलाकर सम्मानित किया जाता था और पेंशन भी मिलता था। लेकिन पत्नी मरजादी देवी की भी 18 जून 2010 को मृत्यु हो गई।

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विधवा बहू को किसी तरह का पेंशन, आवास आदि की सुविधा नहीं मिली

उनके तीन पुत्रों अमिका गिरी, राधेश्याम गिरी व हृदय नारायण गिरी की भी कुछ दिनों बाद मृत्यु हो गई थी। इसके बाद उनकी दो बहु  अहमदाबाद और कोलकाता में जाकर बस गईं और स्वर्गीय हृदयनारायण की पत्नी बिंदो देवी पति की मृत्यु के बाद सजोई गांव में ही पुश्तैनी कच्चे  मकान में रहने लगीं। वर्तमान में जर्जर मकान में वह अपनी 8 पुत्रियों और दो पुत्रों को लेकर रहती हैं और मजदूरी करके किसी तरह परिवार का भरण पोषण कर रही हैं। विधवा बहू को किसी तरह का पेंशन, आवास आदि की सुविधा नहीं मिली।

जमीन पर पड़ोसियों ने चढ़ावाया अपना नाम, घर से निकालने की दे रहें धमकी

बहू बिंदों का आरोप है कि मैं स्वतंत्रता संग्राम सेनानी की बहू हूं लेकिन किसी प्रकार की सरकारी सहायता मुझे नहीं मिलती है। बताया कि जिस कच्चे मकान में रह रही हैं उस जमीन पर भी पड़ोसियों ने अपना नाम चढ़ा लिया है और हमेशा घर से निकालने की धमकी देते रहते हैं। इस समय मैं असहाय हूं और मुझे मदद की जरूरत है। स्‍व. नन्‍हकू के पोते महेश गिरी मनरेगा में काम करके परिवार चलाने में मां के साथ हाथ बठाता है। उक्त मामले में ग्राम प्रधान प्रतिनिधि रवींद्र कुमार पटेल से पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि यह परिवार बहुत ही गरीब है। इनके दादा स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे और उन्होंने देश की आजादी में अहम भूमिका निभाई थी। प्रयास यही है कि जल्द से जल्द इनको आवास दिया जाए। वहीं खंड विकास अधिकारी सुरेंद्र प्रताप सिंह का कहना है कि इसकी जानकारी नहीं थी। अब जानकारी हुई है तो जितना हो सकेगा, सहायता किया जाएगा।

1942 में अग्रेजों ने नन्‍हकू को किया था गिरफ्तार, जेल में दी थी यातनाएं

स्वतंत्रता संग्राम सेनानी नन्‍हकू गिरी 1942 में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी निहाला सिंह की टीम के साथ बनकट गांव के सामने रेलवे लाइन उखाड़ने मे साथ थे। सभी आजादी के दीवाने कभी गन्ना के खेत में तो कभी कालिका धाम स्थित जंगल में दिन काटते थे। दिसंबर 1942 में अग्रेजों ने घर के पास से उन्‍हें गिरफ्तार कर लिया था। बहू बिंदो देवी बताती हैं कि जेल में उन्‍हें काफी यातनाएं दी गई थी। पैर में रस्सी बांध कर लटकाया जाता था। वे लगभग पांच माह तक जेल मे रहे थे। आज उस परिवार का सुधि लेने वाला कोई नहीं है।


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