वाराणसी ईएसआइसी अस्पताल को मिला आइएसओ प्रमाण पत्र, हर माह आते हैं 20 हजार से अधिक मरीज
Varanasi ESIC Hospital वाराणसी का ईएसआइसी अस्पताल एक बार फिर से चर्चा में है। इस बार संस्थान को आइएसओ प्रमाण पत्र मिला है। हर माह इस अस्पताल में 20 हजार से अधिक मरीज अपने इलाज के लिए आते हैं।
वाराणसी [मुकेश श्रीवास्तव]। पीएम नरेन्द्र मोदी ने ईएसआइसी अस्पताल के सुपर स्पेशियलिटी ब्लाक का लोकार्पण किया था। वहीं 150 बेड के इस अस्पताल की ओपीडी में हर माह 20 हजार से अधिक मरीज आ रहे हैं। अब इसको आइएसओ का प्रमाण पत्र प्रदान किया गया है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पांडेयपुर स्थित जिस ईएसआइसी (कर्मचारी राज्य बीमा निगम) के अस्पताल का लोकार्पण किया था, उसे आइएसओ प्रमाण पत्र मिल गया है। यह प्रमाण पत्र 2025 तक के लिए मिला है। इस बीच एक टीम आकर यहां की सुविधाओं का फिर से मूल्यांकन करेगी। यह अस्पताल पूर्वांचल का एकमात्र ईएसआइसी का अस्प्ताल है।
यहां वाराणसी के साथ ही गाजीपुर, मीरजापुर, चंदौली, भदोही, सोनभद्र, जौनपुर, बलिया, मऊ, आजगढ़ के साथ ही गोरखपुर के भी बीमित कर्मचारियों का यहां पर उपचार हाेता है। पहले यह अस्पताल खंडहर के रूप में राज्य सरकार के अधीन था। 2016 में इसे केंद्र सरकार ने अपनी अधीन ले लिया और आज 150 बेड का आधुनिक सुपर स्पेशियलिटी अस्प्ताल बन गया है। पहले जहां एक माह में कुछ 500 से भी कम मरीज आते थे वहीं अब एक माह में 20 हजार से अधिक मरीज आ रहे हैं।
ईएसआइसी अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डा. अभिलाष वीबी ने बताया कि आइएसओ प्रमाण पत्र के लिए यहां से प्रस्ताव बनाकर भेजा गया था। इसमें यहां की सारी चिकित्सा सेवा को दर्शाया गया था। बताया कि यह प्रमाण पत्र क्वालिटी मैनेजमेंट सर्विसेज के लिए मिलता है। यह देखा जाता है कि अस्पताल सारे मापदंड पर खरा है या नहीं। आइएसओ प्रमाण पत्र पिछले माह मिला। इसकी अवधि अप्रैल 2025 के लिए है। इससे पहले जुलाई 2023 व 24 में दो बार यहां की सुविधाओं का फिर से सर्वे किया जाएगा। इसके बाद यह प्रमाण पत्र हमेशा के लिए मान्य हो जाएगा।
मालूम हो कि 150 बेड के इस अस्पताल में 20 बेड बेड आइसीयू का है। इसमें सारी लगभग सारी स्पेशियलिटी की सुविधाएं है। साथ ही मेडिकल अंकालोजी, यूरोलाजी, कार्डियोलाजी व नेफ्रोलाजी की सुपर स्पेशिलिटी सुविधाएं भी है। बताया कि यहां की ओपीडी में प्रतिदिन 750-800 मरीज आ रहे हैं। साथ ही आइपीडी का आंकड़ा लगभग 80 मरीजों का है।