Varanasi Development Authority ने मूंदीं आंखें और दे दी मनमानी की छूट, निर्धारित मानक को दरकिनार
निर्धारित मानक को दरकिनार कर शहर में बहुमंजिले होटल गेस्ट हाउस व पेईंग गेस्ट हाउस संग व्यावसायिक भवनों का निर्माण होता रहा और वाराणसी विकास प्राधिकरण आंखें मूंदे रहा। होटलों में शेड बैक (खुला क्षेत्र) और बचने के लिए दूसरा कोई रास्ता नहीं है।
वाराणसी, जेपी पांडेय। निर्धारित मानक को दरकिनार कर शहर में बहुमंजिले होटल, गेस्ट हाउस व पेईंग गेस्ट हाउस संग व्यावसायिक भवनों का निर्माण होता रहा और वाराणसी विकास प्राधिकरण आंखें मूंदे रहा। होटलों में शेड बैक (खुला क्षेत्र) और बचने के लिए दूसरा कोई रास्ता नहीं है। कोई घटना होने पर दूसरे संसाधनों की मदद से लोगों को बचाया भी नहीं जा सकता। हालत यह है कि एक-दो बिस्वा जमीन पर पांच से छह मंजिल के होटल, गेस्ट हाउस और पेईंग गेस्ट हाउस चल रहे हैं। जहां सुरक्षा के विभिन्न उपकरण तक नहीं लगे हैं। संकरी गली में फायर ब्रिगेड की गाडिय़ां तक मौके पर पहुंच सकतीं।
वीडीए से आवासीय और व्यावसायिक भवनों के लिए अलग-अलग नक्शा पास होता है। 12 मीटर से कम चौड़ी सड़क पर कोई भी व्यावसायिक भवन का नक्शा पास नहीं हो सकता लेकिन शहर के 80 फीसद होटल, गेस्ट हाउस और पेईंग गेस्ट हाउस संकरी सड़कों पर संचालित हो रहे हैं।
वाहन तक जाने में होती दिक्कत
कई जगह तो होटलों आदि तक वाहन तक नहीं जा पाते हैं। यात्रियों को पैदल जाना पड़ता है। इन क्षेत्रों में होटल, गेस्ट हाउस और पेईंग गेस्ट हाउस की कभी चेकिंग नहीं होती है। वीडीए की अनदेखी ने अवैध निर्माण कराने में कोई कसर नहीं छोड़ी तो जिला प्रशासन व पर्यटन विभाग ने लाइसेंस देने में। करीब 200 से अधिक होटल, गेस्ट हाउस और पेईंग गेस्ट हाउस बिना लाइसेंस के संचालित हो रहे हैं।
बेसमेंट में बार, सड़क पर पार्किंग
ज्यादातर होटल, गेस्ट हाउस संचालकों ने बेसमेंट में वाहन पार्किंग कराने की बजाय उसमें बार और शाप खोल लिए हैं। तीन साल पहले तत्कालीन वीडीए वीसी राजेश कुमार ने टीम लगाकर सर्वे कराया था तो 83 होटल और गेस्ट हाउस के बेसमेंट में बार और शाप मिले थे। सभी को नोटिस जारी कर 15 दिन में वाहन पार्किंग की व्यवस्था कराने का निर्देश दिया गया था। सिगरा व दुर्गाकुंड में बेसमेंट खाली भवन स्वामी को नोटिस दिया गया, लेकिन वीसी के जाते ही फिर व्यावसायिक होने लगा।
आवासीय भवनों में चल रहे होटल
जिला प्रशासन के मुताबिक जिले में कुल 996 होटल, गेस्ट हाउस, मठ, मंदिर और धर्मशालाएं हैं, जहांं यात्री ठहरते हैं। इससे 334 पेईंग गेस्ट हाउस अलग हैं। ज्यादातर होटल आवासीय भवनों में संचालित हो रहे हैं या उनके नक्शे वीडीए से पास नहीं है।
अतिथि गृह के लिए यह है मानक
होटल के लिए कम से कम 400 वर्ग मीटर जमीन जरूरी, किसी भी अतिथि गृह का 55 फीसद क्षेत्रफल कमरों के इस्तेमाल में। 45 फीसद क्षेत्रफल बरामदा, रसोईघर, जलपान गृह, प्रतीक्षा व स्वागत कक्ष, पैसेज एवं सीढिय़ों आदि के लिए सुरक्षित। यहां सिर्फ पर्यटक के ठहरने की व्यवस्था होगी। वीडीए से स्वीकृत नक्शे के अलावा कोई निर्माण मान्य नहीं। पार्किंग, बेसमेंट में कक्ष निर्माण नहीं। जेनरेटर भी प्रदूषणमुक्त।
सुरक्षा के लिए यह करना जरूरी
भूकंपरोधी निर्माण, अग्निशमन सुरक्षा की व्यवस्था, रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम, दो सीढ़ी, लिफ्ट, विद्युत भार का आकलन करने के बाद निर्धारित क्षमता का बिजली कनेक्शन, उसी हिसाब से वायरिंग आदि।
इतना छोडऩा पड़ता है सेटबैक
400 से 500 वर्गमीटर के लिए साढ़े चार मीटर आगे-पीछे, एक साइड में तीन मीटर चौड़ा।
500 वर्गमीटर से अधिक होने पर छह मीटर आगे-पीछे, एक साइड में तीन मीटर चौड़ा।
पईंग गेस्ट हाउस के लिए
250 वर्गमीटर जमीन जरूरी, 50 फीसद जमीन का इस्तेमाल, वीडीए में पंजीयन।
इन क्षेत्रों में ज्यादा मनमानी
छावनी क्षेत्र, कैंट रेलवे स्टेशन के पास परेड कोठी, सारनाथ व गंगा घाट किनारे।
इनसे लेनी पड़ती है एनओसी
अपर जिलाधिकारी प्रोटोकल कार्यालय में आवेदन करने पर तहसील, लोक निर्माण, पर्यटन, विद्युत सुरक्षा निगम, अग्निशमन विभाग, पुलिस, एलआइयू व वीडीए की। इनमें एक भी एनओसी न होने पर होटल, गेस्ट हाउस का लाइसेंस नहीं मिलेगा।
दिल्ली व कानपुर में हो चुके हैं हादसे
दिल्ली के द्वारका इलाके में इस साल 15 अगस्त को चारमंजिला होटल में आग लगने से दो व वर्ष 2018 में प्रतापगढ़ में आर्यन होटल में आग लगने और धुएं से दम घुटने से 13 लोगों की मौत हुई थी। यहां यात्रियों के लिए दूसरा कोई रास्ता नहीं था। निचले तल के प्रवेश गेट के पास शार्ट सर्किट से यहां लगी थी आग।
यह भी जानें
80 : फीसद शहर के होटल, गेस्ट हाउस और पेईंग गेस्ट हाउस संकरी सड़कों पर
200 : से अधिक होटल, गेस्ट हाउस व पेईंग गेस्ट हाउस बिना लाइसेंस के संचालित
12 : मीटर चौड़ी सड़क होने पर ही करा सकते होटल व व्यावसायिक भवन का निर्माण