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अब नहीं जाएगा गंगा में 60 एमएलडी मलजल, फरवरी तक बनकर तैयार हो जाएगा वाराणसी में एसटीपी

गंगा निर्मलीकरण के तहत बड़ी राहत मिलने जा रही है। नगवां व सामनेघाट स्थित नाला समेत रामनगर के चार नाले बंद कर दिए जाएंगे क्योंकि नमामि गंगे योजना के तहत प्रस्तावित निर्माणाधीन रमना व रामनगर एसटीपी (सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट) फरवरी माह तक कार्य करने लगेगा।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Wed, 20 Jan 2021 09:10 AM (IST)Updated: Wed, 20 Jan 2021 09:10 AM (IST)
अब नहीं जाएगा गंगा में 60 एमएलडी मलजल, फरवरी तक बनकर तैयार हो जाएगा वाराणसी में एसटीपी
वाराणसी में नगवां व सामनेघाट स्थित नाला समेत रामनगर के चार नाले बंद कर दिए जाएंगे।

वाराणसी, जेएनएन। गंगा निर्मलीकरण के तहत बड़ी राहत मिलने जा रही है। नगवां व सामनेघाट स्थित नाला समेत रामनगर के चार नाले बंद कर दिए जाएंगे क्योंकि नमामि गंगे योजना के तहत प्रस्तावित निर्माणाधीन रमना व रामनगर एसटीपी (सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट) फरवरी माह तक कार्य करने लगेगा। 90 फीसद से अधिक कार्य हो चुका है। छह से अधिक नाले बंद कर दोनों एसटीपी से जोड़ दिए जाएंगे।

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वर्तमान में करीब 150 एमएलडी मलजल गंगा में प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से गिर रहा है। इसमें नगवां व सामनेघाट नाले से 50 एमएलडी व रामनगर में चार नाले से 10 एमएलडी मलजल रोजाना गंगा में गिरता है। इसे देखते हुए रमना में 50 एमएमलडी व रामनगर में 10 एमएलडी एसटीपी निर्माण का प्रस्ताव बनाया गया था। वर्ष 2018 में रमना एसटीपी का निर्माण कार्य प्रारंभ हुआ था। दिसंबर 2019 तक कार्य पूर्ण होना था, लेकिन वित्तीय परेशानियों के अलावा कोरोना संक्रमण काल के दौरान ठप पड़े कार्य के चलते योजना पूर्ण होने में विलंब हो गया। अब फरवरी 2021 तक कार्य पूर्ण हो जाएगा। ऐसे की लेटलतीफी के साथ रामनगर एसटीपी कार्य भी इसी अवधि में पूर्ण हो रहा है।

नगवां नाले पर पंपिंग स्टेशन तैयार

कार्यदायी संस्था जल निगम की गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई की ओर से नगवां व सामनेघाट पर पंपिंग स्टेशन का कार्य पहले ही पूर्ण हो चुका है। अब सिर्फ वहां पंप स्थापित करने का कार्य शेष है। नगवां से रमना तक पाइप लाइन का कार्य भी हो चुका है। सिर्फ एसटीपी से उसे कनेक्ट करना है।

सीवेज सिस्टम से नहीं जुड़े 50 हजार घरों के शौचालय

गंगा निर्मलीकरण का सच यह भी है कि अब तक 50 हजार घरों के शौचालय सीवेज सिस्टम से नहीं जुड़े हैं। करीब 50 एमएलडी का मलजल गंगा में प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष तौर पर गिर रहा है। ऐसे घरों की संख्या सर्वाधिक वरुणापार इलाके की है। नए सीवेज सिस्टम से घरों के शौचालयों को जोडऩे के लिए सरकार ने 105 करोड़ रुपये आवंटित किया था। 50 हजार 235 घरों के शौचालयों का कनेक्शन सीवेज सिस्टम से करना था। अब तक 23 हजार 400 घरों का कनेक्शन ही हो सका। करीब 27 हजार शौचालयों के कनेक्शन का काम डेढ़ वर्ष से अटका है। कमोवेश ऐसे ही हालात पुराने शहर में हुए विस्तारित इलाके का भी है। इस इलाके के लिए दीनापुर में 140 एमएलडी क्षमता की एसटीपी लगी है। इससे लहरतारा, फुलवरिया, छावनी क्षेत्र, नदेसर, मंडुआडीह, महमूरगंज आदि इलाके जुड़े हैं, लेकिन इन इलाकों में भी करीब 23 हजार घरों के शौचालयों का कनेक्शन नहीं हो सका है। इन इलाकों में भी नमामि गंगे के तहत जारी बजट से शौचालयों का कनेक्शन करना था। सीवेज सिस्टम से नहीं जुड़े शौचालय सोख्ता पिट, भूमिगत जल निकासी व नालों से जुड़े हैं। सोख्ता पिट भूमिगत जल स्रोत को दूषित कर रहा है। गंगा का जलस्तर भी भूमिगत जल स्रोत से जुड़ा है। ऐसे में अप्रत्यक्ष रूप से गंगा ही मैली हो रहीं हैं। वहीं, भूमिगत जल निकासी व नालों से जुड़े शौचालय तो प्रत्यक्ष तौर पर गंगा को मैला कर रहे हैं।

शाही नाले से 60 एमएलडी गंदगी गिर रही गंगा में

गंगा में शाही नाले से खिड़किया घाट पर 60 एमएलडी मलजल गिर रहा है। इसको रोकने के लिए शहर के पुराने इलाके से गुजरे शाही नाला को डायवर्ट किया जा रहा है। कबीरचौरा स्थित महिला जिला अस्पताल से शाही नाला की आधी लाइन को मोड़कर चौकाघाट लिफ्टिंग पंप से जोड़ा जाएगा ताकि दीनापुर में बने 140 एमएलडी क्षमता के नए एसटीपी तक मलजल को भेजा जा सके।  

नगर में क्रियान्वित सीवेज सिस्टम

पुराने शहर का सीवेज सिस्टम : क्षमता- 80 एमएलडी, लागत- 50 करोड़

वरुणापार सीवेज सिस्टम : क्षमता- 120 एमएलडी, लागत- 400 करोड़

सिस वरुणा सीवेज सिस्टम : क्षमता- 140 एमएलडी, लागत- 500 करोड़

बीएचयू के लिए भगवानपुर सीवेज सिस्टम : क्षमता- 12 एमएलडी, लागत- 25 करोड़

डीरेका का सीवेज सिस्टम : क्षमता- 10 एमएलडी, लागत-25 करोड़

नगर में निर्माणाधीन सीवेज सिस्टम

असि नाले को जोड़ता सीवेज सिस्टम : क्षमता- 50 एमएलडी, लागत- 145 करोड़

रामनगर का सीवेज सिस्टम : क्षमता 12 एमएलडी, लागत- 75 करोड़    

फरवरी में निर्माणाधीन रमना व रामनगर एसटीपी का कार्य पूर्ण हो जाएगा

फरवरी में निर्माणाधीन रमना व रामनगर एसटीपी का कार्य पूर्ण हो जाएगा। इस दोनों प्लांटों से छह से अधिक नाले जोड़ दिए जाएंगे। इससे 60 एमएलडी मलजल का शोधन एसटीपी से होने लगेगा तो गंदगी गंगा में नहीं जाएगी।

-एके पुरवार, मुख्य अभियंता जल निगम


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