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उपग्रह के सहारे मौसम अनुकूलित बीज तैयार करेगा वाराणसी स्थित अंतरराष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान

देश में किस क्षेत्र की फसलों पर कीटों का आक्रमण हो सकता है बाढ़ या सूखे के हालात बन रहे हैं या फसल में कोई बीमारी लगने का खतरा है इसका समय रहते पता लगाकर किसानों को चेताया जा सकेगा।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Tue, 19 Oct 2021 09:10 AM (IST)Updated: Tue, 19 Oct 2021 10:59 AM (IST)
उपग्रह के सहारे मौसम अनुकूलित बीज तैयार करेगा वाराणसी स्थित अंतरराष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान
मौसम अनुकूलित बीज तैयार कर उपज भी बढ़ाई जाएगी।

वाराणसी, शैलेश अस्थाना। देश में किस क्षेत्र की फसलों पर कीटों का आक्रमण हो सकता है, बाढ़ या सूखे के हालात बन रहे हैं या फसल में कोई बीमारी लगने का खतरा है, इसका समय रहते पता लगाकर किसानों को चेताया जा सकेगा। इससे समस्या के निदान के लिए समुचित कदम उठाकर उपज को प्रभावित होने से बचाया जा सकेगा। मौसम अनुकूलित बीज तैयार कर उपज भी बढ़ाई जाएगी। इसके लिए कृषि विज्ञानी कृत्रिम उपग्रहों और अंतरिक्ष विज्ञान की मदद ले रहे हैैं।

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वाराणसी स्थित अंतरराष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान (इरी) के दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय केंद्र में सुदूर संवेदन और भौगोलिक सूचना प्रणाली (रिमोट सेंसिंग और जीआइएस) स्थापित की गई है। संस्थान में सुदूर संवेदन प्रणाली के विज्ञानी डा. अमित श्रीवास्तव ने बताया कि अभी हमारे अध्ययन के केंद्र में अभी प्रमुख धान उत्पादक राज्य जैसे उत्तर प्रदेश, ओडिशा, असम, बंगाल हैं। हम अपने अध्ययन के दायरे में उन क्षेत्रों को भी लाएंगे, जहां बाढ़ या सूखे की वजह से एक या दो फसलें ही ली जा रही हैं या जमीन पूरी तरह परती पड़ी है। इन क्षेत्रों की जलवायु की विशेषता के आधार पर बीजों का चयन व शोध की प्रक्रिया को बढ़ावा दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि संस्थान का मकसद लक्षित क्षेत्र के तापमान, वर्षा की संभावना, मौसम की आद्र्रता, मिट्टी की नमी, सूखा व बाढ़ जैसी खेती को प्रभावित करने वाले वातावरणीय हलचलों पर सतत दृष्टि रखना तो है ही, आंकड़े भी एकत्र करना है। आंकड़ों की मदद से क्षेत्र विशेष में फसलों को भविष्य की संभावित आपदा से बचाया जा सकेगा और वहां की पारिस्थितिकी के अनुकूल फसलों के बीज को शोध द्वारा उन्नत किया जा सकेगा। जलवायु विशेष के अनुकूल बीज होने से वह ज्यादा उपज देने वाला तो होगा ही, कीट और बीमारियों की प्रतिरोधक शक्तियों से युक्त होगा। साथ ही सरकार को हर क्षेत्र के अनुकूल विशिष्ट नीति बनाकर खेती के संबंध में किसानों को परामर्श देने में भी मदद मिलेगी।

नासा और इसरो की ली जा रही मदद 

अमेरिका और भारत की अंतरिक्ष एजेंसी नासा, इसरो के साथ अन्य देशों द्वारा प्रक्षेपित कृत्रिम उपग्रहों से मिलने वाली तस्वीरों और आंकड़ों का अध्ययन व संग्रहण किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि देश के कई अन्य संस्थान भी इस प्रणाली का उपयोग कर रहे हैं, लेकिन इरी का संयंत्र सबसे बड़ा व समृद्ध है।


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