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Varanasi Airport : तो कोहरे में चक्कर लगाते रह जाएंगे हवाई जहाज, आइएलएस नहीं हो सका अपग्रेड

ठंड के दिनों में कोहरे के चलते हवाई यातायात काफी बाधित होती है। कोहरा अधिक होने के चलते दृष्यता कम हो जाती है जिससे विमानों को रनवे पर उतारने में समस्या होती है। वाराणसी हवाई अड्डे पर भी आने-जाने वाले विमानों पर इसका साफ असर दिखाई पड़ रहा है।

By saurabh chakravartiEdited By: Published: Mon, 07 Dec 2020 01:18 PM (IST)Updated: Mon, 07 Dec 2020 01:18 PM (IST)
Varanasi Airport : तो कोहरे में चक्कर लगाते रह जाएंगे हवाई जहाज, आइएलएस नहीं हो सका अपग्रेड
वाराणसी के लाल बहादुर शास्त्री अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर आइएलएस अपग्रेड नहीं हो सका।

वाराणसी, जेएनएन। ठंड के दिनों में कोहरे के चलते हवाई यातायात काफी बाधित होती है। कोहरा अधिक होने के चलते दृष्यता कम हो जाती है जिससे विमानों को रनवे पर उतारने में समस्या होती है। जब तक दृष्यता सामान्य नहीं होती, विमान हवा में चक्कर लगाते रहते हैं या नजदीकी एयरपोर्ट के लिए डायवर्ट कर दिए जाते हैं। खास तौर पर उन हवाई अड्डों पर अधिक समस्या होती है जहां आइएलएस अपग्रेड नहीं हो सका है। वाराणसी के लाल बहादुर शास्त्री अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर भी आने-जाने वाले विमानों पर इसका साफ असर दिखाई पड़ रहा है, क्योंकि यहां अभी आइएलएस (इंस्ट्रूमेंट लैंडिंग सिस्टम) अपग्रेड नहीं हुआ है। अभी भी कैट वन प्रणाली का आईएलएस ही इस्तेमाल किया जा रहा है, जिससे कोहरे के दिनों में विमान सेवाएं ​बाधित हो रही हैं। आलम यह है कि हवा में चक्कर लगाने के बाद विमान लखनऊ और कोलकाता एयरपोर्ट पर डायवर्ट कर दिए जा रहे हैं। पिछले दिनों अहमदाबाद से वाराणसी एयरपार्ट पर पहुंचा स्पाईसजेट एयरलाइंस का विमान दृष्यता कम होने पर आधे घंटे तक वाराणसी हवाई क्षेत्र में चक्कर लगाता रहा। बाद में ईंधन कम होने पर उसे लखनऊ भेजा गया। इसी तरह मुंबई से वाराणसी पहुंचा विस्तारा एयरलाइंस का विमान करीब एक घंटे तक हवा में चक्कर लगाने क बाद वाराणसी एयरपोर्ट पर उतर सका।

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रनवे बढ़े तो बात बने

अधिकारियों का कहना है कि देश के सभी मैट्रो एयरपोर्ट पर कैट थ्री 'ए' व कैट थ्री 'बी' प्रणाली के आइएलएस लागए जा चुके हैं, जिससे 50 मीटर दृष्यता होने पर भी विमानों की लैंडिंग और टेकआफ आसानी से हो जाती है। वाराणसी में रनवे छोटा होने के चलते आईएलएस को अपग्रेट करने में समस्या हो रही है। कम जगह होने के चलते आईएलएस के साथ लगने वाले उपकरणों को स्थापित नहीं किया जा सकता है। यदि भूमि अधिग्रहण का कार्य हो जाता तो रनवे की लंबाई भी बढ़ जाएगी और आईएलएस भी अपग्रेड हो जाता। 

आइएलएस और उसकी क्षमता

कैट वन प्रणाली के आइएलएस जिन एयरपोर्ट पर स्थापित हैं वहां 800 मीटर से कम दृष्यता होने पर विमानों की लैंडिंग और टेकआफ नहीं हो सकती है। वहीं कैट सेकेंट में 300 मीटर से कम होने पर, कैट थ्री 'ए' में 180 मीटर, कैट थ्री 'बी' में दृष्यता 46 मीटर और कैट थ्री 'सी' प्रणाली में शुन्य दृष्यता पर भी विमानों की लैंडिंग टेकआफ आसानी से हो सकती है।


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