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आजादी के 75 साल बाद मऊ के इस गांव को मिली कच्ची सड़कों से मुक्ति, जानें प्रधान रामाश्रय ने एक साल में कैसे किया कायाकल्प

ग्राम प्रधान रामाश्रय ने मनरेगा के तहत खड़ंजे उखड़वाकर मिट्टी पटवाई और रास्ता ऊंचा करके फिर से खड़ंजा बिछवाया। गांव के रामआशीष रामलाल राजभर शिवशंकर यादव कन्हैया यादव का कहना है कि काफी कम समय में गांव में विकास के कई कार्य हुए। इससे लोगों को काफी सहूलियत मिली है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Thu, 01 Sep 2022 05:47 PM (IST)Updated: Thu, 01 Sep 2022 05:56 PM (IST)
आजादी के 75 साल बाद मऊ के इस गांव को मिली कच्ची सड़कों से मुक्ति, जानें प्रधान रामाश्रय ने एक साल में कैसे किया कायाकल्प
मऊ के नथनपुरा गांव का पंचायत भवन। स्रोत- जागरण

जयप्रकाश निषाद, मऊ: करीब डेढ़ साल पहले तक घोसी तहसील के नथनपुरा गांव का नाम सुनते ही क्षेत्र के लोगों के मन में एक पिछड़े, समस्याओं से जूझते गांव की तस्वीर बरबस ही उभर आती थी। कच्ची-संकरी सड़कें, जहां-तहां कूड़े के ढेर, बजबजाती नालियां गांव के पिछड़ेपन की कहानी कहती नजर आती थीं, पर अब तस्वीर बदल चुकी है। स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव का उपहार नथनपुरा गांव के लोगों को कच्ची सड़कों और जलभराव से मुक्ति के रूप में मिला।

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देश की आजादी के 75 वर्ष बाद गांव में पहली बार इंटरलाकिंग सड़कें बनीं और समस्याओं से जूझते ग्रामीणों को मिली विकास की नई रोशनी। अब नथनपुरा माडल गांव के रूप में पहचान बना चुका है। गत वर्ष प्रधान चुने गए रामाश्रय भारद्वाज के सामने गांव के लोगों को इन समस्याओं के मकडज़ाल से मुक्त कराना पहली चुनौती थी। रामाश्रय ने एक साल में ही गांव में जल संरक्षण, स्वच्छता से लेकर बुनियादी ढांचे के विकास के लिए खूब काम कराया। गांव में सामुदायिक शौचालय तक अधूरा पड़ा था। रामाश्रय ने सामुदायिक शौचालय का निर्माण पूरा कराया।

पंचायत भवन नथनपुरा में ग्रामीणों का प्रमाण पत्र बनाती पंचायत सहायक रानी यादव स्रोत- जागरण

भव्य ग्राम सचिवालय भवन बना गांव की शान

पोस्ट ग्रेजुएट रामाश्रय ने सबसे पहले ग्राम सचिवालय का निर्माण कराया। 15.85 लाख रुपये की लागत से बना यह सचिवालय गांव की शान बन चुका है। यहां ग्रामीणों को वाई-फाई की सुविधा के साथ ही जन्म, मृत्यु, आय, जाति प्रमाणपत्र, कुटुंब रजिस्टर की नकल भी मिलने लगी है। पंचायत सहायक रानी यादव प्रतिदिन यहां आती हैैं, ग्रामीणों को हर संभव सहायता उपलब्ध कराती हैं। पंचायत सचिव हरेंद्र यादव हर मंगलवार को पंचायत सदस्यों के साथ बैठक करते हैैं और ग्रामीणों की समस्याओं का निदान करते हैैं।

बारिश में भी स्कूल पहुंचना हुआ आसान

बारिश के दिनों में घुटनों तक पानी जमा हो जाने से बच्चों, अध्यापकों का प्राथमिक विद्यालय तक पहुंचना दुश्वार था। प्रधान ने रास्ते पर मिट्टी पटवाई और इसके बाद इंटरलाकिंग बिछवा दी। अब बच्चे कीचड़ सने पांवों से स्कूल नहीं पहुंचते और बिना किसी असुविधा के बारिश के दिनों में भी विद्यालय पढऩे आते हैं।

जलनिकासी की समस्या हुई दूर

गांव में जलनिकासी के लिए नाली की व्यवस्था नहीं थी। जहां पानी निकासी की व्यवस्था थी, वहां नाली बनवा दी। घनी आबादी वाले क्षेत्र में पानी निकलना मुश्किल हो रहा था और घरों का पानी गलियों में बह रहा था। इसे देखते हुए गांव में 18 सोख्ता का निर्माण कराया।

जल संचयन पर भी कराया कार्य

जल संचयन के लिए भी गांव में पहली बार प्रयास शुरू हुए हैं। 8.50 लाख रुपये की लागत से गांव में तालाब की खोदाई चल रही है। इसमें लोगों को न सिर्फ रोजगार मिल रहा है, अब तक बर्बाद होने वाले वर्षा जल के संचयन के लिए भी नई गाथा लिखी जा रही है।

यह काम भी कराए

प्राथमिक विद्यालय में शौचालय नहीं था। यहां महिला पुरुष शौचालय का निर्माण कराया गया। गांव में जहां नाली बनाने की जगह नहीं थी, आसपास के घरों में सोख्ता बनवाया।

पिपरी-नथनपुरा तक खड़ंजा बिछवाया

पिपरी पुरवे से नथनपुरा गांव तक खड़ंजा काफी जर्जर हो गया था। थोड़ी भी बारिश होने पर रास्ता इतना खराब हो जाता कि चलना मुश्किल होता था। इस खड़ंजा का निर्माण 2007 में हुआ था। ग्राम प्रधान रामाश्रय ने मनरेगा के तहत खड़ंजे उखड़वाकर मिट्टी पटवाई और रास्ता ऊंचा करके फिर से खड़ंजा बिछवाया। गांव के रामआशीष, रामलाल राजभर, शिवशंकर यादव, कन्हैया यादव का कहना है कि काफी कम समय में गांव में विकास के कई कार्य हुए। इससे लोगों को काफी सहूलियत मिली है।


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