मीरजापुर में अनजान भाइयों ने पांच सौ किमी से आकर सजाई गरीब नेहा की डोली
इटावा से चलकर मीरजापुर के चील्ह पहुंचे अनजान भाईयों ने बीते रविवार की शाम यानी 28 जून को अपनी देखरेख में रिश्ते की ऐसी पटकथा लिखी जो बरसों तक यादगार बनी रहेगी।
मीरजापुर, जेएनएन। यह किसी फिल्म की कहानी नहीं बल्कि हकीकत का वह अफसाना है जिसे जानकर लोगों के मुंह से सिर्फ वाह निकला। एक गरीब बहन की करुण पुकार सुनकर पांच सौ किलोमीटर दूर बैठे अंजान भाईयों ने न सिर्फ उसकी मदद की ठानी बल्कि वे सभी उसके घर पहुंचे और शादी संपन्न कराई। इटावा से चलकर चील्ह पहुंचे युवाओं रविवार की शाम अपनी देखरेख में इस अंजान रिश्ते की ऐसी पटकथा लिखी जो बरसों तक यादगार बनी रहेगी। जनपद के चील्ह थानाक्षेत्र के मवैया सारीपट्टी निवासी शीतला प्रसाद प्रजापति पेशे से राजमिस्त्री का काम करते हैं। लॉकडाउन के दौरान पिछले तीन महीने से उन्हें न कोई काम ही मिला और न ही आमदनी हुई। उपर से बिटिया के विवाह की तारीख भी नजदीक आती गई। 28 जून को उनकी बेटी की शादी पहले से ही तय थी लेकिन कोरोना के कहर से इस परिवार की आमदनी शून्य हो गई। जैसे-जैसे विवाह की तारीख नजदीक आई माता-पिता की नींद भी गायब होती गई।
ग्राम प्रधान ने संस्था के नाम लिखा पत्र
फिर एक दिन अचानक इंटरनेट पर मदद करने वालों को ढूंढती इनकी बिटिया को इटावा की स्वयंसेवी संस्था प्रशांत फाउंडेशन का नंबर मिला। गरीब परिवार ने उस नंबर पर बात की। फिर ग्राम प्रधान ने भी वास्तविकता की जानकारी कर, एक पत्र संस्था के नाम लिखा। संस्था के संस्थापक डा. रिपुदमन सिंह व अध्यक्ष डा. हेमंत कुमार यादव ने इस परिवार की मदद करने की योजना बनाई। वे पत्र के आधार पर ही संस्था के प्रदेश अध्यक्ष सुरजीत चौहान, गौरव यादव व देवेश यादव सहित करीब दर्जनभर युवाओं के साथ मीरजापुर आ पहुंचे और शादी की पूरी जिम्मेदारी अपने कंधों पर ओढ़ ली।
डर था लेकिन सच का साथ दिया
इटावा की संस्था प्रशांत फाउंडेशन के अध्यक्ष डा. हेमंत कुमार यादव ने बताया कि उनकी टीम में ज्यादातर प्रोफेशल्स हैं। जो किसी न किसी सरकारी सेवा से जुड़े हैं। उन्हें जब यह पत्र मिला तो सहसा विश्वास नहीं हुआ कि इतनी दूर से भला मदद कौन मांगता है। लेकिन हमने सच का साथ दिया और मीरजापुर आए। यहां पहुंचकर जब परिवार से मुलाकात की, उनकी हालत देखी तो हमें लगा कि हमारा फैसला बिल्कुल सही है। उन्होंने बताया कि संस्था लॉकडाउन के दौरान प्रवासियों के लिए भोजन, मास्क, सैनिटाइजर की व्यवस्था करती रही। साथ ही पूरे प्रदेश में गरीबों, मजलूमों व जरुरतमंद की हर मदद की जाती है। युवाओं ने कहा कि उन्हें यह शादी कभी नहीं भूलेगी और ऐसे लोगों की मदद करने से आत्मिक संतुष्टि मिली है।
पिता ने कहा, भगवान बनकर आए लोग
लॉकडाउन में बंदी और फिर बेरोजगारी की वजह से आमदनी का जरिया खो चुके पिता शीतला प्रसाद प्रजापति अपनी भावनाओं को नहीं रोक पा रहे। बातचीत मेें उन्होंने बताया कि उनके लिए तो इटावा से आए लोग भगवान के दूत जैसे हैं। पिता ने कहा कि एक वर्ष से उनके पैरों में दिक्कत है जिसकी वजह से काम नहीं कर पा रहे थे। थोड़ा-बहुत जो काम कर भी रहे थे वह लॉकडाउन की भेंट चढ़ गया। बेटी के ब्याह की ङ्क्षचता खाए जा रही थी तभी इन नौजवानों से संपर्क हुआ। उन्होंने कहा कि हमें भी लग रहा था कोई मदद को नहीं आएगा लेकिन जब वे लोग पहुंचे और बिटिया के विवाह में मदद करने लगे तो लगा कि दुनिया में भगवान आज भी मौजूद हैं।