रेलवे में यूएमआइडी से खुलेगा सेहत का ताला, जमीन पर उतरेगी सेहत की संजीवनी
साउथ सेंट्रल रेल ने एक सॉफ्टवेयर तैयार किया है जो 11 लाख रेलकर्मियों समेत 50 लाख से ज्यादा लोगों को सेहत की संजीवनी देगा।
वाराणसी [राकेश श्रीवास्तव]। वह दिन दूर नहीं, जब रेलकर्मी उनके परिजन, आश्रित देश में कहीं भी इलाज करा सकेंगे। साउथ सेंट्रल रेल ने एक सॉफ्टवेयर तैयार किया है, जो 11 लाख रेलकर्मियों समेत 50 लाख से ज्यादा लोगों को सेहत की संजीवनी देगा। रेलवे बोर्ड के अधिशासी निदेशक उमेश भोलांदा के आदेश पर स्मॉर्ट कार्ड की तैयारी अंतिम दौर में पहुंच चुकी हैं। सबकुछ ठीक रहा तो वर्तमान सत्र में ही इलाज की सुविधाएं मिलने लगेंगी।
क्या है यूएमआइडी : रेलवे के साउथ सेंट्रल जोन ने रेलकर्मियों उनके परिजन, आश्रितों पहचान को एक सॉफ्टवेयर बनाया है। सॉफ्टवेयर का नाम यूएमआइडी (यूनिफार्म मेडिकल आइडेंटिटी कार्ड) रखा है। इसमें छिपी पहचान के जरिए देश के किसी रेल अस्पताल उसके रेफरल सेंटर पर इलाज कराना संभव हो सकेगा।
क्यों पड़ी जरूरत : रेलकर्मियों को इलाज के लिए वर्तमान में एक लाल रंग का मेडिकल कार्ड मिलता है। यह कार्ड रेलकर्मियों से दूर रहने वाले आश्रितों के लिए नाकाफी साबित होता है। ऐसे में रेल यूनियनें कर्मचारियों के लिए ऐसा स्मार्ट कॉर्ड चाहती थीं, जिसका मल्टीपल यूज किया जा सके।
निकलेगा निष्कर्ष, हुआ डिमांस्ट्रेशन : रेलवे बोर्ड ने एससीआर जोन को सॉफ्टवेयर बनाने की जिम्मेदारी सौंपी थी। सॉफ्टवेयर बनने एवं उसके नामकरण के बाद चार अप्रैल को रेलवे बोर्ड प्रशासन के समक्ष उसका डिमांस्ट्रेशन (प्रदर्शन) भी हो चुका है।
एआइआरएफ आल इंडिया (रेलवे मेंस फेडरेशन) ने रेलकर्मियों के इलाज संबंधी परेशानियों को कई बार मंत्रालय एवं बोर्ड स्तर पर उठाया था। रेलवे बोर्ड प्रशासन ने भरोसा दिया था, जिसके क्रम में स्मार्ट कार्ड बनाया जा रहा है। डीआरएम ने भी स्मार्ट कार्ड देने को कहा था, जो अब जमीन पर उतरने जा रहा है। - डीपी यादव, केंद्रीय उपाध्यक्ष, ईसीआर।