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आयकर चोरी में वाराणसी के दो व्यवसायियों को जेल, विशेष मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने सुनाया फैसला

करोड़ों रुपये की आयकर चोरी के मामले में मंगलवार को विशेष मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट रवि कुमार दिवाकर की अदालत ने नगर के दो व्यवसायियों कमल कुमार अग्रवाल व अजय कुमार अग्रवाल को जमानत देने से इंकार करते हुए न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Wed, 24 Feb 2021 06:50 AM (IST)Updated: Wed, 24 Feb 2021 06:50 AM (IST)
आयकर चोरी में वाराणसी के दो व्यवसायियों को जेल, विशेष मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने सुनाया फैसला
आयकर चोरी में वाराणसी के दो व्यवसायियों को जेल भेज दिया गया।

वाराणसी, जेएनएन। करोड़ों रुपये की आयकर चोरी के मामले में मंगलवार को विशेष मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट रवि कुमार दिवाकर की अदालत ने नगर के दो व्यवसायियों कमल कुमार अग्रवाल व अजय कुमार अग्रवाल को जमानत देने से इंकार करते हुए न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया। भेलूपुर थानान्तर्गत जवाहर नगर एक्सटेंशन क्षेत्र कमल कुमार अग्रवाल और अजय कुमार अग्रवाल ने अदालत में समर्पण कर जमानत देने की अदालत से अपील की थी। दोनों व्यवसायियों की जमानत का विरोध विशेष लोक अभियोजक नियाज अहमद खां ने किया।

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अभियोजन के मुताबिक 17 नवंबर 2017 को आयकर विभाग ने इको ग्रुप के विभिन्न प्रतिष्ठानों और उसके निदेशकों के आवास पर छापेमारी की थी। कमल कुमार अग्रवाल की कंपनी व फैक्टरी में सर्च और सीजर एक्शन के दौरान यह तथ्य प्रकाश में आया कि वित्तीय वर्ष 2016-17 में कंपनी को  1,80,82,45,228 रुपये (एक अरब,अस्सी करोड़, बयासी लाख, पैंतालीस हजार दो सौ अठाइस रुपये) शुद्ध लाभ का एकाउंट में प्रदर्शित है जबकि आडिट रिपोर्ट में नेट प्राफिट 30,06,733.64 (तीस लाख, छह हजार, सात सौ तैंतीस रुपए चौसठ पैसे) दिखाए गए। कमल कुमार अग्रवाल द्वारा अपने आडिट प्राफिट एंड लास एकाउंट में वास्तविक आय को छिपाया गया। इसी तरह अजय कुमार अग्रवाल पर भी 14 करोड़ 11लाख 91 हजार 814 रुपए की आयकर चोरी का आरोप है। आयकर विभाग ने वर्ष 2019 में दोनों व्यवसायियों के खिलाफ अदालत में आयकर चोरी का परिवाद दाखिल कर दिया।

जमानत अर्जी पर सुनवाई के दौरान व्यवसायियों की ओर से अंडरटेकिंग दी गई कि वह अपने अपराध को आयकर विभाग से कंपाउंड कराना चाहता है। अदालत ने अभियोजन और बचाव पक्ष की बहस सुनने तथा पत्रावलियों के अवलोकन के पश्चात अपने फैसले में कहा कि आरोपितों की जमानत प्रार्थना पत्र निरस्त किए जाने योग्य है।


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