यहां ढाई करोड़ का काम ढाई साल में ही हो गया तमाम, जानिए क्या है पूरा मामला
सारनाथ स्थित सारंगनाथ महादेव कुंड के सुंदरीकरण के नाम पर पर्यटन मंत्रालय के पैसे को अफसरों ने बंदरबांट कर लिया। 250.31 लाख रुपये से हुआ कार्य ढाई साल में ही जीर्ण-शीर्ण हो गया।
वाराणसी, जेएनएन। सारनाथ स्थित सारंगनाथ महादेव कुंड के सुंदरीकरण के नाम पर पर्यटन मंत्रालय के पैसे को अफसरों ने बंदरबांट कर लिया। 250.31 लाख रुपये से हुआ कार्य ढाई साल में ही जीर्ण-शीर्ण हो गया। जगह-जगह रेलिंग टूटने, जमीन बैठने के साथ पत्थर टूट गए हैं। उसके चारों तरफ गंदा पानी लगने के साथ नशेडिय़ों का जमावड़ा रहता है। उन्हेंं कोई रोकने-टोकने वाला नहीं है। अंतरराष्ट्रीय पर्यटक सारनाथ में पर्यटकों को बढ़ावा देने के लिए पर्यटन मंत्रालय द्वारा वित्त पोषित योजना वर्ष 2015-2016 से 250.31 लाख रुपये सारंगनाथ महादेव कुंड के सुंदरीकरण के लिए मिला। पर्यटन विभाग ने कार्यदायी संस्था उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम भदोही इकाई को काम करने का जिम्मा दिया।
कार्यदायी संस्था ने काम शुरू होने की तिथि नवंबर-2016 होने का बोर्ड लगाया गया है। लेकिन काम वर्ष 2017-18 में शुरू हुआ। कार्यदायी संस्था ने कुंड के अंदर चारो तरफ दीवाल उठाने के साथ परिक्रमा करने के लिए पाथवे बनाया। साथ ही बैठने और आरती करने के लिए अलग से स्थान कुंड के किनारे बनाया। पहले अधिकारियों ने बताया कि कुंड के सुंदरीकरण के लिए करीब 135 लाख रुपये आया है। बाद में यह राशि कब बढ़कर ढाई करोड़ रुपये हो गई किसी को मालूम तक नहीं चला। 250.31 लाख रुपये से कुंड का सुंदरीकरण होने का बोर्ड लगते ही लोगों के जमीन खिसक गए। कुछ लोगों ने कार्यदायी संस्था और पर्यटन अधिकारियों से जानकारी चाही तो वे चुप्पी साध गए।
भारत सरकार के सचिव ने तीन बार किया निरीक्षण
कुंड का सुंदरीकरण शुरू होने से पहले भारत सरकार के संयुक्त सचिव ने कुंड का निरीक्षण करने के साथ गुणवत्ता पर विशेष जोर दिया था। अफसरों को हिदायत देते हुए कहा था कि पर्यटक को ध्यान में रखते हुए मंदिर का विकास किया जाए। लेकिन बाद में कार्यदायी संस्था कुंड का काम खत्म करके चलते बनी। बजट भी बढ़ गया। काम के दौरान दो बार भारत सरकार के सचिव आए।
श्रद्धालुओं ने जांच कराने की उठाई मांग
ढाई करोड़ रुपये में सिर्फ कुंड का सुंदरीकरण होने को लेकर श्रद्धालुओं में आक्रोश है। कार्य के दौरान श्रद्धालु बार-बार कामों को लेकर टोकते रहे। वहां मौजूद मेठ अफसरों से बात करने को कहता रहा। अफसर श्रद्धालुओं से बचने के लिए दूर से काम देखकर चले जा रहे थे। श्रद्धालु कराए गए विकास कार्य की जांच कराने की मांग कर रहे हैं लेकिन उनकी कोई सुनने वाला नही है।