शौचालय का सच : वाराणसी में अपात्रों को मिला लाभ, जरूरतमंद लगाते रहे अधिकारियों के चक्कर
बीते दो अक्टूबर को जनपद को ओडीएफ भी घोषित कर दिया गया। इसके बावजूद शौचालय निर्माण में अनेक समस्या सामने आने लगीं।
वाराणसी, जेएनएन। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तय किया था कि महात्मा गांधी की 150वीं जयंती पर पूरे देश को खुले में शौचमुक्त (ओडीएफ) करना है। इसके लिए जोर-शोर से कार्य शुरू हुआ। बीते दो अक्टूबर को जनपद को ओडीएफ भी घोषित कर दिया गया। इसके बावजूद शौचालय निर्माण में अनेक समस्या सामने आने लगीं। सैकड़ों ने अनुदान राशि 12 हजार रुपये ले तो लिए लेकिन शौचालय का निर्माण ही नहीं कराया। जिनके पास पहले से शौचालय था उन्होंने भी बिचौलियों के माध्यम से धन ले लिया। कुछ ने तो आधा-अधुरा ही बनाया। कहीं शौचालय का कमरा मात्र खड़ा है तो कुछ में दरवाजे ही नहीं, कहीं छत गायब।
ऐसे में बहुत से शौचालय को स्टोर के रूप में प्रयोग किया जा रहा है। इसमें बिचौलियों ने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। गांवों की स्थानीय राजनीति का भी इसमें महत्वपूर्ण रोल रहा। कुछ जगह प्रधान पक्ष के अपात्र लोगों को लाभ मिला तो पात्र ब्लाक और जिला पर मौजूद अधिकारियों का चक्कर लगाते रह गए। परिणाम यह कि आज भी एक आंकड़े के मुताबिक 18905 परिवार को शौचालय की दरकार है। वहीं सत्याग्रहियों की पूरी सत्यापन रिपोर्ट अभी आनी बाकी है।
45 शौचालय जमीन पर नहीं, 46 बिना गड्ढे का
काशी विद्यापीठ ब्लाक के टिकरी गांव में वित्तीय वर्ष 2017-18 में 335 शौचालय बने। सभी शौचालय का स्वच्छताग्राही टीम द्वारा सत्यापन कराया गया तो पता चला कि इसमें से 45 शौचालय कहीं जमीन पर ही नहीं हैं। इसी प्रकार घाटमपुर गांव में वित्तीय वर्ष 2017-18 व 2018-19 में कुल 359 शौचालय बनाया गया। इसमें से 46 में गड्ढे ही नहीं बनाए गए। 198 में सिर्फ एक गड्ढा पाया गया जबकि दो गड्ढे होने चाहिए। पूरी रिपोर्ट डीपीआरओ कार्यालय को भेज दी गई है।
एक गड्ढा बनाकर रख दिया पत्तर
हरहुआं ब्लाक के राजापुर गांव में भैरो, चंदा, लक्ष्मण, रामधनी, संतोष का शौचालय अधूरा पड़ा है। कुछ में सिर्फ एक गड्ढा है। ऊपर पत्तर रखा गया है। कुल 497 शौचालय बना है। श्याम कुमार गुप्ता, आशु, सुभाष, आनंद का कहना है कि निर्माण के पूरे पैसे नहीं मिले और प्रधान द्वारा इसे शामिल कर लिया गया है।
सार्वजनिक सुलभ शौचालय बदहाल
प्रधानमंत्री स्वच्छता की अलख जगाने में लगे हुए हैं किंतु सेवापुरी क्षेत्र के देईपुर गांव में सार्वजनिक शौचालय जो दर्जनों परिवारों की अपनी सेवाएं दे रहा था, अपने भाग्य पर आंसू बहा रहा है। ग्राम प्रधान अरविंद पटेल ने बताया कि ब्लाक स्तर से बनाए गए शौचालय के लिए कई बार सीडीओ को मांग पत्र दिया गया लेकिन कुछ नहीं हुआ। कोई अधिकारी इस तरफ नजरे इनायत नहीं कर रहा। बीडीओ सुरेंद्र प्रताप सिंह का कहना है कि चौदहवें वित्त से इसको ठीक किया जाएगा।
गुणवत्ता का नहीं रखा गया ध्यान
ग्राम पंचायतों में सैकड़ों शौचालयों का निर्माण कराया गया लेकिन उसमें गुणवत्ता का ध्यान नहीं रखा। ऐसा इसलिए हुआ कि बिचौलिए उसमें से हिस्सा ले लिए। चित्रसेनपुर स्थित दलित बस्ती में रजिंदर, सीताराम, नगीना देवी, मुन्ना का शौचालय 2018 में बना जो छह माह में ही खराब हो गया। सूरज कुमार, राजेश, जितेंद्र, सिधारी, विजय कुमार, गीता देवी, अंकित व गुड्डी ने बताया कि पात्रता होने के बावजूद उन्हें दूसरे पक्ष का वोटर समझकर बार-बार आग्रह के बाद भी नहीं दिया गया।
दोयम दर्जे के सामान का प्रयोग
पिंडरा विकास खंड के फूलपुर ग्राम सभा मे कुल 550 शौचालय बनाए गए हैं। इसमें से ज्यादातर में ताला लटका रहता है। हरिजन बस्ती में शौचालय का प्रयोग करने से ग्रामीण कतराते हैं। सुरेंद्र ने बताया कि शौचालय तो बने लेकिन गुणवत्ता खराब होने के चलते उसके टाइल्स टूट गए। दिनेश, महेंद्र ने बताया कि प्रधान के द्वारा सूची में नाम भेजा गया है। यही हाल अन्य बस्तियों का भी है।
अधूरा पड़ा है शौचालय
सारनाथ के छांही गांव की गुड्डी का शौचालय दो वर्ष बाद भी नहीं बना। बताया कि ग्राम प्रधान ने शौचालय के नाम पर ईंट, चार बोरी सीमेंट, बालू गिरा गया लेकिन निर्माण के लिए पैसा नहीं दिया। इसी गांव की जैतुल का कहना है कि शौचालय के नाम पर केवल प्रधान ने ईंट, बालू, सीमेंट दिए। हमने अपना पैसा लगा कर काम पूरा कराया। जब बन गया तो प्रधान ने शौचालय योजना का बोर्ड लगा दिया। ये सब बिचौलियों की वजह से उपजे भ्रष्टाचार का परिणाम है।
बोले जिम्मेदार
ग्राम प्रधान ने कई बार सामान ले जाने के लिए बुलाया किंतु आज तक नही मिला। पांच लोगों का परिवार है। सभी लोग शौच करने सिवान में जाते हैं।
- रामजी शर्मा, निवासी मटूका, सेवापुरी।
स्वच्छाग्रहियों की 25 टीम बनाई गई है। एक टीम में पांच को रखा गया है। पहले चरण में जिन गांवों में 800 और 500 से अधिक शौचालय बनाए गए हैं वहां पर सत्यापन कार्य चल रहा है। रिपोर्ट आने के बाद सही स्थिति का पता चल सकेगा।
- शाश्वत आनंद सिंह, जिला पंचायत राज अधिकारी।