पितृपक्ष के दौरान वाराणसी में गंगा की सफाई कर दी गई पूर्वजों को श्रद्धांजलि
पितृपक्ष के दौरान दशाश्वमेध के गंगा तट पर स्वच्छता की भी अलख जगी।
वाराणसी, जेएनएन। पितृपक्ष के दौरान दशाश्वमेध के गंगा तट पर स्वच्छता की भी अलख जगी। इस दौरान गंगा घाट पर नमामि गंगे का आवाह्न करते हुए दो गज की दूरी मास्क है जरूरी के साथ ही पूर्वजों के प्रति श्रद्धा के महान पर्व पर 'नमामि गंगे द्वारा' जीवन के साथ भी और जीवन के बाद भी साथ निभाने वाली गंगा की निर्मलता और अविरलता का आवाह्न किया गया।
दशाश्वमेध घाट पर तर्पण करने वाले नागरिकों को असुविधा न हो इस निमित्त गंगा तलहटी और घाट की साफ - सफाई बुधवार को की गई। इस दौरान लाउडस्पीकर से गंगा स्वच्छता बनाए रखने की अपील लोगों से की गई। गंगा तट पर स्नान कर रहे नागरिकों को कोरोना महामारी से बचाव के लिए "दो गज की दूरी मास्क है जरूरी" का संदेश भी दिया गया। नदी की साफ सफाई के पश्चात काशी प्रांत के संयोजक राजेश शुक्ला ने कहा कि गंगा हमारे जीवन काल और मृत्यु उपरांत भी हमारा साथ निभाती हैं। अपने नश्वर शरीर की अस्थियों के भस्मावशेष तक को गंगा में समर्पित करने की मधुर लालसा इस विराट दर्शन वाले देश की आत्मा में रची बसी है।
कहा कि गंगा शब्द ही भारतीय संस्कृति का पर्याय है। हमारे पितरों को मोक्ष प्रदान करने वाली गंगा के संरक्षण का संकल्प पितृपक्ष का आह्नान होना चाहिए। आयोजन में प्रमुख रूप से पंडित किशोरी रमण दुबे (बाबू महाराज), पं. राकेश पांडेय, पं. शैलेष तिवारी एवं नमामि गंगे द्वारा नियुक्त सफाई कर्मचारी शामिल रहे। इस दौरान राजेश शुक्ला गंगा सेवक संयोजक नमामि गंगे व सहसंयोजक गंगा विचार मंच काशी प्रांत व सदस्य जिला गंगा समिति वाराणसी भी मौजूद रहे और लोगों को गंगा की स्वच्छता के प्रति जागरुक किया।