ज्ञानवापी-विश्वनाथ मंदिर परिसर का मामले में मुकदमे की सुनवाई सिविल कोर्ट में चलेगी, अगली सुनवाई 3 को
अंजुमन इंतजामिया मस्जिद तथा सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की ओर से उक्त मामले की सुनवाई करने के सिविल कोर्ट के क्षेत्राधिकार को चुनौती दी गई थी।
वाराणसी, जेएनएन। ज्ञानवापी-विश्वनाथ मंदिर परिसर मामले को लेकर दाखिल मुकदमे की सुनवाई का सिविल अदालत के क्षेत्राधिकारी को लेकर प्रतिवादी अंजुमन इंतजामिया मस्जिद तथा सुन्नी वक्फ बोर्ड की ओर से दाखिल प्रार्थना पत्र को अदालत ने खारिज कर दिया। अंजुमन इंतजामिया मस्जिद तथा सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की ओर से उक्त मामले की सुनवाई करने के सिविल कोर्ट के क्षेत्राधिकार को चुनौती दी गई थी। इस मुद्दे पर वादी तथा प्रतिवादी पक्ष का बहस सुनने के बाद सिविल जज (सीनियर डिवीजन-फास्टट्रैक) जज आशुतोष तिवारी की अदालत ने अपना निर्णय दिया।
मंगलवार को सुनवाई के दौरान प्रतिवादी पक्ष की ओर से अधिवक्ता मुमताज अहमद, तौहीद खां ने दलील दी कि जिस संपत्ति को वादी पक्ष द्वारा विवादित बताया जा रहा है वह संपत्ति मस्जिद है और वक्फ बोर्ड में पंजीकृत है। वक्फ एक्ट के प्रावधान के तहत मस्जिद, कब्रिस्तान,इमामबाड़ा,मजार आदि से संबंधित विवाद का निस्तारण सिविल कोर्ट द्वारा नहीं किया जा सकता। मस्जिद से संबंधित वाद के सुनवाई का अधिकार वक्फ न्यायाधिकरण को है। प्रतिवादी पक्ष ने अपने दलील के समर्थन में हाईकोर्ट तथा सुप्रीम कोर्ट की नजीरों को भी अदालत के समक्ष पेश की।प्रतिवादी पक्ष की प्रार्थना पत्र पर वादमित्र अधिवक्ता विजय शंकर रस्तोगी,राजेन्द्र प्रसाद पाण्डेय व शिवानंद पांडेय ने आपत्ति जताई। उनकी ओर से दलील दी गई कि उक्त विवादित परिसर स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेश्वरनाथ मंदिर का अंश है। इसके नीचे विश्वेश्वरनाथ की ज्योर्तिलिंग मौजूद है। ज्ञानवापी में नए मंदिर बनाने तथा पूजा-पाठ करने आदि को लेकर हिंदु पक्षकारों की ओर से वर्ष 1991 में सिविल जज की अदालत में मुकदमा दाखिल किया गया था जबकि नया वक्फ एक्ट 1995 में गठित हुआ। सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड द्वारा अपने वक्फ रजिस्टर में वक्फ एक्ट 1954 के अंतर्गत ज्ञानवापी मस्जिद का रजिस्ट्रेशन होना बताया गया है। जबकि यह एक्ट यूपी में लागू नहीं हुआ। हिन्दू पक्ष को बिना नोटिस दिए और उनका पक्ष जाने वक्फ में इसका रजिस्ट्रेशन अवैध है। इस स्थिति में मुकदमे की सुनवाई का अधिकार सिविल अदालत को ही है। वादमित्र ने अपने दलील के समर्थन में सर्वोच्च अदालत की नजीरों को अदालत में प्रस्तुत किया।
वादी तथा प्रतिवादी पक्ष की बहस सुनने तथा नजीरों के अवलोकन के पश्चात् अदालत ने अपने निर्णय में कहा कि मुसलमानों के मध्य विवाद की सुनवाई करने का क्षेत्राधिकार वक्फ न्यायाधिकरण को है जबकि गैर मुस्लिम के स्वत्व के विवाद की सुनवाई का क्षेत्राधिकार सिविल कोर्ट को है।इस निर्णय के साथ ही अदालत ने वादमित्र के प्रार्थना पत्र पर सुनवाई के लिए तीन मार्च की तिथि मुकर्रर कर दी। वाद मित्र ने ज्ञानवापी परिसर तथा विवादित स्थल का भौतिक व पुरातात्विक दृष्टि से भारतीय सर्वेक्षण विभाग से राडार तकनीक से सर्वेक्षण कराने की अदालत से अपील कर रखा है।