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किराया तो आधा हो जाएगा, मगर बदबूदार रास्ते पर यात्रियों को चलने के लिए क्या तैयार किया जा सकेगा

वरुणा नदी के दोनों किनारे पर बनाए गए पाथवे पर डेडिकेटेड ई-रिक्शा कॉरिडोर पर जल्द ही संचालन होगा।

By Edited By: Published: Tue, 03 Dec 2019 01:46 AM (IST)Updated: Thu, 05 Dec 2019 02:36 PM (IST)
किराया तो आधा हो जाएगा, मगर बदबूदार रास्ते पर यात्रियों को चलने के लिए क्या तैयार किया जा सकेगा

वाराणसी, जेएनएन। वरुणा नदी के दोनों किनारे पर बनाए गए पाथवे पर डेडिकेटेड ई-रिक्शा कॉरिडोर योजना को उतारने के लिए प्रशासन ने कदम बढ़ा दिए हैं। तीन जगह ई-रिक्शा और लोगों के उतरने को रैंप बनेगा। पाथवे के दोनों ओर कचहरी स्थित शास्त्रीघाट से पुराना पुल तक करीब छह किमी की दूरी में बसे दर्जनभर मोहल्लों के लोगों को आने-जाने में राहत होगी। लोगों की मानें तो किराया भी आधा हो जाएगा। मगर सवाल यह कि पूरे बदबूदार रास्ते पर ई-रिक्शा वालों-यात्रियों को चलने के लिए क्या तैयार किया जा सकेगा।

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कमिश्नर दीपक अग्रवाल ने गत दिनों बाइक से निरीक्षण कर ई-रिक्शा संचालन योजना की उपयोगिता जांची। कमियों को दूर कर दो महीने में ई-रिक्शा चलाने का निर्देश दिया। ई-रिक्शा संचालन योजना की उपयोगिता जांचने के लिए दैनिक जागरण की टीम ने भी सोमवार को निरीक्षण किया। शास्त्रीघाट से चौकाघाट की तरफ बढ़ते ही सबसे पहले पक्की बाजार नाले से सामना हुआ। गंदगी और बदबू का आलम यह कि ई-रिक्शा चालक नाक दबाएगा कि गाड़ी चलाएगा। रजा कालोनी से आगे बढ़ते ही पाथवे के समानांतर मलजल से भरी गहरी खाई मिली। खाई 10 से लेकर 35 फीट चौड़ी करीब पुराना पुल तक है। इसमें नदी के किनारे की दर्जनों कालोनियों, बड़े-छोटे नाले का मलजल गिर रहा है। यही मलजल जगह-जगह से सीधे 35 मीटर चौड़ी नदी में गिर रहा है। दूषित पानी से नदी के तट भी काले पड़ गए हैं। पुराना पुल के लोगों का कहना है कि वे पंचकोशी चौराहा और पांडेयपुर होते हुए अगर कचहरी आएंगे तो आटो रिक्शा से करीब 30 रुपये खर्च होता है। अगर ई-रिक्शा कॉरिडोर पर चलेगा तो छह किलोमीटर का अधिकतम किराया 10 से 15 रुपये ही होगा। इतना ही नहीं कई जगह आटो बदलने और सड़क जाम के झंझट से मुक्ति मिलेगी। समय घंटे से घट कर कुछ मिनटों में आ जाएगा। फिर भी नाक पकड़ कर न तो गाड़ी चल पाएगी न ही यात्री बैठ पाएंगे।

आमने-सामने ई-रिक्शा क्रॉस होना खतरनाक वरुणा पार की तरफ के पाथवे पर तीन घाट भी बने हैं। वहां पर सात फीट चौड़े पाथवे पर आमने-सामने ई-रिक्शा क्रास होने में भी दिक्कत होगी। जगह-जगह गहरी खाई होने की वजह से थोड़ी सी असावधानी होते ही दुर्घटना की आशंका बनी रहेगी। इसी खाई में डूब कर अभी हाल में एक बच्चे की मौत हो चुकी है। पूरे पाथवे की चौड़ाई काफी कम होने के कारण संचालन में बाधा आएगी। - तीन नहीं 30 बनाने होंगे रैंप वरुणा कॉरिडोर में बाइक व ई-रिक्शा को उतारने के लिए तीन जगह रैंप बनाया जाएगा। रैंप बनाने का काम वीडीए करेगा। इस पर करीब एक करोड़ रुपये खर्च होंगे। करीब 13 फीट गहरे कॉरिडोर में उतरने के लिए 72 से 84 फीट लंबा स्लोपनुमा रैंप बनेगा ताकि वाहनों के अलावा लोगों को उतरने में आसानी हो। वहीं आठ मीटर की वैकल्पिक सीढ़ी भी बनेगी। इस सब के बावजूद पाथवे पर उतर कर यात्री बगल में 35 फीट तक चौड़ी खाई कैसे पार करेंगे। दर्जनों जगह मोहल्ले पाथवे से पांच से आठ मीटर ऊपर हैं। ऐसे में तीन नहीं रैंप की संख्या बढ़ेगी तभी सहूलियत होगी। - नाला डायवर्जन की पाइप व पंप पूरी तरह ध्वस्त शास्त्रीघाट से लेकर पुराना पुल तक नदी में सीधे गिरने वाले 14 बड़े और सैकड़ों का नाले डायवर्ट करने के लिए पाइपलाइन डाली गई है। इसमें करीब दर्जनभर स्थानों पर पंपिंग कर पानी डायवर्ट करने की भी व्यवस्था कॉरिडोर में की गई थी। यह पूरी तरह से ध्वस्त हो चुकी है। खुले मैनहोलों की वजह से बाढ़ की सिल्ट भर गई है।


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