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विश्व कछुआ दिवस : गंगा से यमुना में विस्थापित होंगे कछुए

वाराणसी में कछुए जहां से गंगा में काशी में आए थे, अब वहीं पर विस्थापित किए जाएंगे।

By JagranEdited By: Published: Wed, 23 May 2018 08:30 AM (IST)Updated: Wed, 23 May 2018 08:30 AM (IST)
विश्व कछुआ दिवस : गंगा से यमुना में विस्थापित होंगे कछुए
विश्व कछुआ दिवस : गंगा से यमुना में विस्थापित होंगे कछुए

संग्राम सिंह, वाराणसी : कछुए जहां से काशी में आए थे, अब वहीं पर विस्थापित किए जाएंगे। जिला प्रशासन अब कछुओं को यमुना नदी में इटावा से चंबल के बीच में वापस छोड़ने जा रहा है। इन कछुओं को री-लोकेट करने की तैयारी है, इसको लेकर जिला प्रशासन ने दिल्ली स्थित नेशनल वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन बोर्ड को शिफ्टिंग के कई विकल्प दिए हैं। दरक रहे प्राचीन घाटों के अलावा रेत का हवाला देते हुए प्रशासन ने सकारात्मक रुप से इसे शिफ्ट करने की दिशा में आगे कदम बढ़ाए हैं।

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यमुना नदी में चंबल सेंचुरी है, यहां पर घड़ियाल और कछुए पहले से ही व्यापक संख्या में मौजूद हैं। गंगा में थम चुकी योजनाओं को गति देने की मंशा से कई वर्षो से कछुआ सेंचुरी को शिफ्टिंग करने की कवायद चल रही है। अब प्रधानमंत्री कार्यालय स्वयं प्रकरण की मानीट¨रग कर रहा है, इस लिहाज से शिफ्टिंग कार्रवाई सकारात्मक दिशा में चल रही है। जिला प्रशासन का मानना है कि अगर राजघाट से रामनगर तक गंगा में मौजूद कछुओं को अगर यमुना में ही छोड़ दिया जाए तो सारी समस्या का हल निकल जाएगा। इस दिशा में बोर्ड को सुझाव भेजा गया है, प्रदेश सरकार इस सुझाव को अपने प्रस्ताव में शामिल भी करने वाली है। जिलाधिकारी योगेश्वर राम मिश्रा ने बताया कि यमुना में इन कछुओं को री-लोकेट करने की बात आई है, लेकिन अभी प्रयास जारी है। लौटी वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट देहरादून की तकनीकी टीम

वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट आफ इंडिया देहरादून के तकनीकी एक्सपर्ट अब वापस लौट चुके हैं। वे गंगा का सर्वे कर चुके हैं, उन्होंने अपनी रिपोर्ट संस्थान के विभागाध्यक्ष को भी सौंप दी है। टीम की जाते वक्त वन विभाग और जिला प्रशासन से भी बातचीत हो चुकी है, कछुआ सेंचुरी को लेकर किए गए आंकलन में सामने आए कई सवाल भी स्थानीय अधिकारियों से पूछे हैं, अंदरखाने में इनका जवाब भेजने की तैयारी भी चल रही है। गंगा बेसिन पटना की आई विस्तृत रिपोर्ट

कछुआ सेंचुरी को लेकर अब गंगा बेसिन पटना की भी रिपोर्ट आ चुकी है। उस पर आंकलन भी शुरू हो चुका है, इसके आधार पर आगे की प्लानिंग भी की जा रही है। खोखले हो रहे घाट और बढ़ रही गंगा किनारे रेत का आंकलन भी इसी रिपोर्ट के आधार पर किया जा रहा है।


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