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नगर निगम कार्यकारिणी के छह पदों में तीन पर भाजपा का कब्जा, कांग्रेस और सपा संग निर्दल को भी मिली सीट

नगर निगम कार्यकारिणी के छह पदों के लिए शनिवार को हुए चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को तीन पद पर सफलता मिली।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Sun, 17 Nov 2019 11:24 AM (IST)Updated: Sun, 17 Nov 2019 10:16 PM (IST)
नगर निगम कार्यकारिणी के छह पदों में तीन पर भाजपा का कब्जा, कांग्रेस और सपा संग निर्दल को भी मिली सीट
नगर निगम कार्यकारिणी के छह पदों में तीन पर भाजपा का कब्जा, कांग्रेस और सपा संग निर्दल को भी मिली सीट

वाराणसी, जेएनएन। नगर निगम कार्यकारिणी के छह पदों के लिए शनिवार को हुए चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को तीन पद पर सफलता मिली। वहीं कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और निर्दल ने एक-एक सीट पर कब्जा जमाया। भाजपा ने निर्दल पार्षद संतोष शर्मा को चौथे प्रत्याशी के रूप में खड़ा किया, लेकिन कांग्रेस, निर्दल और बसपा के पार्षदों की एकजुटता के आगे उसकी रणनीति सफल नहीं हुई। निर्दल पार्षद संतोष शर्मा को प्रथम वरीयता के सात सौ मत ही मिले। 

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राष्ट्रपति चुनाव की तरह एकल संक्रमणीय चुनाव पद्धति में कांग्रेस प्रत्याशी सीताराम केशरी व सपा के मनोज यादव को बराबर सर्वाधिक सोलह सौ मत मिले। भाजपा के विजयश्री मौर्य और श्रीप्रकाश मौर्य को बराबर-बराबर चौदह सौ मत और सुशील कुमार गुप्ता को तेरह सौ मत मिले। निर्दल पार्षद बबलू शाह को ग्यारह सौ मत मिले। 

 चुनाव अधिकारी अपर नगर आयुक्त अजय कुमार सिंह ने बताया कि इस पद्धति से चुनाव में प्रथम वरीयता के एक मत का मूल्य सौ के बराबर होता है। सुबह दस मिनट की देरी से नगर निगम सदन की कार्यवाही शुरू हुई। इसके बाद नामांकन की प्रक्रिया शुरू हुई।

सबसे पहले भाजपा पार्षद दल के मुख्य सचेतक डॉ. रवींद्र सिंह ने सुशील कुमार गुप्ता, शिव प्रकाश मौर्य और विजयश्री मौर्य के नाम का प्रस्ताव रखा। इसका समर्थन राजेश यादव चल्लू ने किया। इसके बाद भाजपा के अशोक मौर्य ने निर्दल पार्षद संतोष शर्मा के नाम का प्रस्ताव रखा जिसका समर्थन लकी वर्मा ने किया। सपा की ओर से हारुन अंसारी ने मनोज कुमार यादव के नाम का प्रस्ताव रखा। निर्दल पार्षद बबलू शाह के लिए दावेदारी अजीत सिंह ने पेश की, इसका समर्थन सीता शर्मा ने किया। कांग्रेस पार्षद सीतराम केशरी के नाम का प्रस्ताव गुलराना तबस्सुम ने किया।

आधे घंटे इंतजार के बाद जब किसी ने नाम वापसी नहीं की तो महापौर मृदुला जायसवाल ने 12.30 बजे चुनाव की घोषणा की। इसके बाद कांग्रेस के सीताराम केशरी ने मतदाता सूची में शामिल एमएलसी अशोक धवन, केदार नाथ सिंह और शतरुद्र प्रकाश के मतदान अधिकार पर सवाल उठाया। साथ ही निर्वाचित, नामित और पदेन सदस्यों के अधिकार को स्पष्ट करने को कहा। दोपहर 1.20 बजे चुनाव शुरू हुआ तो कैंट विधायक सौरभ श्रीवास्तव ने सबसे पहले मतदान किया। इसके बाद बारी-बारी से अन्य सदस्यों ने मतदान किया। कुल 92 मत पड़े, इसमें एक मत अवैध पाया गया। नगर आयुक्त गौरांग राठी भी एक घंटे के लिए सदन में उपस्थित रहे। दो महिला पार्षद छित्तनपुरा की रेशमा परवीन और लहंगपुरा की अलिशा अपने छोटे बच्चे को लेकर मतदान करने पहुंचीं थीं। 

तीन बार सदन में हुआ हंगामा

कार्यकारिणी चुनाव के दौरान तीन बार हंगामे की स्थिति बनी। पहली बार हंगामा नामित, निर्वाचित और पदेन सदस्यों के मतदान के अधिकार को लेकर हुआ। जो 20 मिनट तक चला। दूसरी बार सदन में हंगामे की स्थिति तब उत्पन्न हुई जब महापौर ने बुर्का पहनकर आई पार्षद से पर्दा हटाने और परिचय पत्र मांग लिया। पार्षदों का कहना था कि इसके लिए पहले से कोई आदेश नहीं दिया गया था। तीसरी बार हंगामा मतदान समय को आगे बढ़ाने को लेकर भाजपा और अन्य सभी दलों के पार्षदों के साथ हुआ। इस दौरान विपक्षी पार्षदों के उग्र व्यवहार को देखते हुए महापौर ने अंतत: 10 मिनट के बाद 3.10 बजे बिना समय बढ़ाए मतदान समाप्त की घोषणा कर दी। 

मंत्री रवींद्र जायसवाल नहीं कर सके मतदान

कार्यकारिणी चुनाव के दौरान उस समय अजीब स्थिति बनी जब समय समाप्त होने के कारण मंत्री रवींद्र जायसवाल को बिना मतदान बैरंग वापस जाना पड़ा। हालांकि भाजपा पार्षदों ने मतदान का समय बढ़ाने की मांग की लेकिन अन्य दलों के पार्षदों के विरोध के आगे महापौर की नहीं चली। जैसे ही उन्होंने मतदान समाप्ति की घोषणा की मंत्री जी सदन के बाहर पहुंच गए।

पूछा नरेंद्र मोदी आएंगे या नहीं

नगर निगम सदन के पदेन सदस्य होने के नाते मतदाता सूची में नाम देखने के बाद निर्दल पार्षद अजीत सिंह ने पूछा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मतदान करने आ रहे या नहीं। हालांकि शहर से बाहर होने के कारण राज्यमंत्री डॉ. नीलकंठ तिवारी भी मतदान नहीं कर सके। मतदान करने वाले पदेन सदस्यों में विधायक अशोक धवन, केदारनाथ सिंह व चेतनारायण सिंह शामिल रहे। 

मतपत्र को खुलेआम दिखाया

मतदान के दौरान मध्यमेश्वर से पार्षद सपा के भइया लाल ने पार्टी के प्रति अपनी वफादारी दिखाते हुए मतपत्र को सार्वजनिक करने के बाद मतपेटिका में डाला। इसे चुनाव आचार संहिता के खिलाफ बताते हुए उपसभापति नरसिंह दास ने इसका विरोध किया तो महापौर ने अधिकारियों से इसकी प्रक्रिया पूछी। निर्वाचन अधिकारी ने भी इसे गंभीरता से लिया। लेकिन भाजपा पार्षदों ने मामले को इसलिए तूल नहीं दिया कि अगर एक वोट से कहीं का मामला फंसे तो बाद में इसे उठाया जाएगा। 


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